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अयोध्या मामला LIVE: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 10 जनवरी तक टली

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को कुल 60 सेकेंड तक सुनवाई हुई लेकिन किसी भी पक्ष ने कोई तर्क पेश नहीं किया

FP Staff
13:03 (IST)

अयोध्या मामले पर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि इस मामले को कोर्ट में घसीटने की जरूरत नहीं है. इसे बातचीत से सुलझाया जा सकता है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि इस मुद्दे को लोगों के साथ टेबल पर चर्चा कर सुलझाया जाना चाहिए. इसे कोर्ट कोर्ट में घसीटने की क्या जरूरत है. मुझे पूरा यकीन है बातचीत के जरिए इसे सुलझाया जा सकता है. भगवान राम पूरी दुनिया के हैं, सिर्फ हिंदुओं के नहीं.

उन्होंने कहा कि भगवान राम से किसी को बैर नहीं है और न होना चाहिए. कोशिश करनी चाहिए सुलझाने की और बनाने की. जिस दिन ये हो जाएगा मैं भी एक पत्थर लगाने जाऊंगा. जल्द समाधान होना चाहिए.

11:44 (IST)

सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका भी खारिज कर दी जिसमें अयोध्या मामले को तत्काल और रोजाना के आधार पर सुनने की मांग की गई थी. जनहित याचिका नवंबर 2018 में एक वकील हरिनाथ राम द्वारा दायर की गई थी.

10:52 (IST)

अयोध्या केस पर सुनवाई के लिए नए बेंच का गठन होगा. नई बेंच तय करेगी कि इस मामले पर सुनवाई कैसे होगी.

10:50 (IST)

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में बेंच के गठन पर सुनवाई 10 जनवरी तक के लिए टाल दी है. इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में कुल 60 सेकेंड तक सुनवाई चली लेकिन किसी पक्ष ने कोई तर्क पेश नहीं किया.

10:44 (IST)

सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले पर सुनवाई 10 जनवरी तक के लिए टल गई है.

10:36 (IST)

सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई से पहले बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने राम मंदिर को लेकर विवादित ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा, 'एक बाबर के आने से 100 करोड़ हिंदुओं को हिंदुस्तान में राम मंदिर के लिए हिंदुओं को दर-दर भटकना पड़ रहा है कल जनसंख्या वृद्धि होने के कारण का राम मंदिर को तो छोड़िए राम का नाम लेना भी हिंदुस्तान में मुश्किल हो जाएगा. संभालिए और हिंदुस्तान को संभालिए.'

10:34 (IST)

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 29 अक्टूबर को कहा था कि यह मामला जनवरी के पहले हफ्ते में उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा जो इसकी सुनवाई का कार्यक्रम निर्धारित करेगी.

10:34 (IST)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में 2010 में अपना फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ भूमि का सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से बंटवारा करने का आदेश दिया था. तीनों ही पक्षों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

10:33 (IST)

राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई के लिए तीन सदस्यीय जजों की पीठ गठित किए जाने की उम्मीद है.

10:32 (IST)

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राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर आज यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी. राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई के लिए तीन सदस्यीय जजों की पीठ गठित किए जाने की उम्मीद है. इस मामले पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच सुनवाई करेगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ भूमि का सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से बंटवारा करने का आदेश दिया था. तीनों ही पक्षों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.


शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ये बताएगा की इस मामले कि किस बेंच में सुनवाई होगी और सुनवाई कब से शुरू होगी. कोर्ट यह तय करेगा कि इस मामले को की कौन-कौन जज सुनवाई करेंगे और उस बेंच की अध्यक्षता कौन करेगा. आम तौर पर ऐसे मामले तीन जजों की पीठ में भेजे जाते हैं. कुछ पक्षकार इस मामले की रोजाना सुनवाई की मांग कर रहे हैं लेकिन इस पर अंतिम फैसला चीफ जस्टिस या उस बेंच पर निर्भर करता है जो इस मामले की सुनवाई करेगी.

इस मामले में आखिरी सुनवाई पिछले साल 29 अक्टूबर को हुई थी

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 29 अक्टूबर को कहा था कि यह मामला जनवरी के पहले हफ्ते में उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा जो इसकी सुनवाई का कार्यक्रम निर्धारित करेगी.

बाद में अखिल भारत हिंदू महासभा ने एक अर्जी दायर कर सुनवाई की तारीख पहले करने का अनुरोध किया था परंतु कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि 29 अक्टूबर को ही इस मामले की सुनवाई के बारे में आदेश पारित किया जा चुका है. हिंदू महासभा इस मामले में मूल वादकारियों में से एक एम सिद्दीक के वारिसों द्वारा दायर अपील में एक प्रतिवादी है.

इससे पहले, 27 सितंबर, 2018 को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत से 1994 के एक फैसले में की गई टिप्पणी पांच जजों की बेंच के पास नए सिरे से विचार के लिए भेजने से इनकार कर दिया था. इस फैसले में टिप्पणी की गई थी कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है.

न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अध्यादेश लाने पर होगा विचार

अयोध्या प्रकरण की सुनवाई के दौरान एक अपीलकर्ता के वकील ने 1994 के फैसले में की गई इस टिप्पणी के मुद्दे को उठाया था. अनेक हिंदू संगठन विवादित स्थल पर राम मंदिर का यथाशीघ्र निर्माण करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं.

इस बीच, शीर्ष अदालत में शुक्रवार को होने वाली सुनवाई महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ही कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के मामले में न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अध्यादेश लाने के बारे में निर्णय का सवाल उठेगा.