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अयोध्या राम मंदिर विवाद: SC में अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी, मामले की सुनवाई जमीन विवाद की तरह होगी

सुप्रीम कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने दस्तावेजों के अनुवाद कराए हैं जो 53 खंड में है

FP Staff
15:12 (IST)

हम सभी पक्ष सुनेंगे. इस केस केस को जमीन विवाद की तरह सुलझाया जाएगा- सुप्रीम कोर्ट

15:07 (IST)

रोज सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नहीं कहा. चीफ जस्टिस ने सभी पक्षों को दो हफ्ते में अपना पक्ष जमा करना के लिए कहा है.

15:01 (IST)

इस दौरान चीफ जस्टिस ने कहा- एक बार हम मामले की सुनवाई शुरू करेंगे, तो खत्म ही करेंगे. 

14:58 (IST)

कोर्ट से पूछकर हमने बाबरी का ढांचा नहीं गिराया था. हमने गिराने के लिए कोर्ट से नहीं पूछा था, अब यह कोर्ट का मामला कहां से आ गया. सुनवाई कब तक लोकसभा चुनाव तक चलेगी- संजय राउत, शिवसेना सांसद

14:53 (IST)

राम मंदिर विवाद में अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी. 7 मार्च तक सारे दस्तावेज पूरे करने का निर्देश दिया गया है. 

14:51 (IST)

13 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व पर अयोध्या में रामराज्य रथ यात्रा निकाली जाएगी. अयोध्या से चलकर रामेश्वरम तक जाने वाली इस रथयात्रा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हरी झंडी दिखा सकते हैं. रामराज्य रथ यात्रा का आयोजन श्रीराम दास मिशन यूनिवर्सल सोसाइटी कर रही है.

14:46 (IST)

इस पीठ ने पिछले साल पांच दिसंबर को स्पष्ट किया था कि वह आठ फरवरी से इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी और उसने पक्षों से इस बीच जरूरी संबंधित कानूनी कागजात सौंपने को कहा.

वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने कहा था कि दीवानी अपीलों को या तो पांच या सात न्यायाधीशों की पीठ को सौंपा जाए या इसे इसकी संवेदनशील प्रकृति तथा देश के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने और राजतंत्र पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए 2019 के लिए रखा जाए.

शीर्ष अदालत ने भूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 दीवानी अपीलों से जुड़े एडवोकेट आन रिकार्ड से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी जरूरी दस्तावेजों को शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को सौंपा जाए.

14:32 (IST)

मामले में सारे दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं. इन दस्तावेजों पर सुप्रीम कोर्ट में चर्चा हो रही है. इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता की सुनवाई पहले होगी. सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा इस मुद्दे में मुख्य पक्ष हैं.

14:23 (IST)

जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही है. अयोध्या विवाद में 3 मुख्य पक्ष हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि अयोध्या विवाद एक जमीन विवाद है

Update 1- मामले में सारे दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं. इन दस्तावेजों पर सुप्रीम कोर्ट में चर्चा हो रही है. इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता की सुनवाई पहले होगी. सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा इस मुद्दे में मुख्य पक्ष हैं.

Update 2- जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही है. अयोध्या विवाद में 3 मुख्य पक्ष हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि अयोध्या विवाद एक जमीन विवाद है


सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद मामले की 8 फरवरी यानी गुरुवार से सुनवाई होने जा रही है. पूरे देश की नजरें इस वक्त इस मामले पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह शीर्ष अदालत के सामने इस साल का सबसे महत्वपूर्ण मामला है.

इस मामले की पिछली सुनवाई 5 दिसंबर को हुई थी. सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि इस मामले की सुनवाई को लेकर इतनी जल्दी क्यों है. 2019 के बाद इसकी सुनवाई की जाए. उनकी इस दलील को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने नकार दिया था और कहा था कि अब सुनवाई नहीं टाली जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले के लिए दस्तावेजों का अलग-अलग लिपियों और भाषाओं में अनुवाद कराया है, जो 53 खंड में है. मूल दस्तावेज संस्कृत, फारसी, पालि, उर्दू और अरबी में हैं.

शिया वक्फ बोर्ड की होगी महत्वपूर्ण भूमिका

इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. शिया वक्फ बोर्ड मामले की सुनवाई से पहले अपील करेगा कि उसकी याचिका पर सुनवाई की जाए. अपनी याचिका में शिया वक्फ बोर्ड ने निचली अदालत द्वारा 30 मार्च, 1996 को दिए उस फैसले को चुनौती दी है जिसके तहत जमीन का मालिकाना हक सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को दिया गया था. बता दें कि यूपी सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड और कुछ हिंदू संगठन एक-दूसरे के संपर्क में आए हैं. जाहिर तौर पर बोर्ड चाहेगा कि कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई के दौरान ये संगठन उसका साथ दें.

7 साल से लंबित इस मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच कर रही है. इस बेंच की अगुवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा कर रहे हैं. उनके अलावा इस बेंच में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर हैं.

सितंबर 2010 में आया था हाई कोर्ट का फैसला

इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के जजों ने फैसले में कहा था कि तीन गुंबदों से ढके इलाके में बीच का हिस्सा हिंदुओं का है. फिलहाल, भगवान राम की मूर्ति वहीं है. यह फैसला 30 सितंबर 2010 को आया था.

इसी के बाद विवादित जमीन मामले को लेकर हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके साथ ही सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था.