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अयोध्या : पूजा के मूलाधिकार को लागू करवाने कोर्ट पहुंचे स्वामी

भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय का रुख कर राम जन्म भूमि पर पूजा अर्चना के अपने मूल अधिकार को लागू कराने संबंधी अपनी याचिका पर फौरन सुनवाई करने का अनुरोध किया.

Bhasha

भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय का रुख कर राम जन्म भूमि पर पूजा अर्चना के अपने मूल अधिकार को लागू कराने संबंधी अपनी याचिका पर फौरन सुनवाई करने का अनुरोध किया.

गौरतलब है कि स्वामी के आग्रह पर ही बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि विवाद के संवेदनशील मामले की सुनवाई में तेजी लाई गई है.


प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की सदस्यता वाली एक पीठ ने स्वामी की याचिका पर विचार किया, जिसमें उन्होंने दलील दी है कि दीवानी वाद के प्रतिद्वंद्वी पक्षों के संपत्ति का अधिकार की तुलना में वहां पूजा अर्चना का उनका मूल अधिकार अधिक महत्व रखता है.

इसपर सीजेआई ने कहा, 'नहीं , नहीं. अभी नहीं.'

केंद्र का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता अमन सिन्हा ने किया. इससे पहले सीजेआई और न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा एसए नजीर की एक विशेष पीठ ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में हस्तक्षेप करने की श्याम बेनेगल और तीस्ता सीतलवाड़ जैसे कार्यकर्ताओं की इन आशाओं पर पानी फेर दिया था.

इसने मुख्य मामले में हस्तक्षेप के लिए स्वामी को भी इजाजत नहीं दी थी.

हालांकि , पीठ ने स्वामी की यह दलील स्वीकार कर ली कि उन्होंने मामले में हस्तक्षेप की मांग नहीं की है , बल्कि अयोध्या में राम जन्म भूमि पर पूजा अर्चना के अपने मूल अधिकार को लागू कराने का अनुरोध करते हुए एक अलग रिट याचिका दायर की है.

स्वामी ने कहा था, 'मैंने एक रिट याचिका दायर कर कहा है कि पूजा अर्चना करने का मेरा एक मूल अधिकार है और यह संपत्ति का अधिकार की तुलना में श्रेष्ठतर अधिकार है.'

पीठ ने कहा था कि स्वामी की रिट याचिका का निपटारा उपयुक्त पीठ कानून के मुताबिक करेगी.

स्वामी ने पूजा अर्चना के अपने मूल अधिकार को लागू कराने के लिए अपनी याचिका फौरी आधार पर सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया.