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हाईकोर्ट ने राजीव हत्याकांड में दोषी नलिनी की रिहाई की याचिका खारिज की

एकल जस्टिस का आदेश बरकरार रखते हुए खंडपीठ ने कहा कि नलिनी को सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले पर फैसला आने तक इंतजार करना होगा

Bhasha

मद्रास हाईकोर्ट ने राजीव गांधी हत्या कांड में उम्र कैद की सजा पाने वाली नलिनी की समय पूर्व रिहाई की याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया.

अदालत ने इस सप्ताह के शुरू में कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा पाने वाली नलिनी की याचिका पर 27 अप्रैल को फैसला सुनाया जाएगा.


जस्टिस केके शशिधरन और आर सुब्रमण्यम की खंडपीठ ने नलिनी की याचिका पर 24 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. नलिनी ने 1994 में राज्य सरकार की एक योजना के तहत अनुच्छेद 161 (क्षमादान देने के लिए राज्यपाल की शक्तियों) के अनुसार समय पूर्व रिहाई के लिए अदालत की एकल पीठ के समक्ष अनुरोध किया था. यह अनुरोध अस्वीकार हो जाने पर नलिनी ने इस आदेश को चुनौती दी थी.

राज्य सरकार के रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए 22 फरवरी 2014 को नलिनी ने 1994 योजना के तहत समय पूर्व रिहाई की मांग की थी और बाद में अदालत का रुख किया था.

राज्य सरकार ने उस समय सुप्रीम कोर्ट में इसी तरह का एक मामला लंबित रहने का हवाला देते हुए इसका विरोध किया था. इसके बाद एकल जस्टिस ने उससे इस रिपोर्ट पर विचार करने के लिए कहा था.

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2016 में अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सीआरपीसी की धारा 435 के तहत समय पूर्व रिहाई केंद्र की सहमति से होगी क्योंकि मामलों की जांच सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसी ने की थी.

एकल जस्टिस का आदेश बरकरार रखते हुए खंडपीठ ने कहा कि नलिनी को सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले पर फैसला आने तक इंतजार करना होगा. इसके साथ ही अदालत ने उसकी अपील खारिज कर दी.

खंडपीठ के समक्ष बहस के दौरान नलिनी के वकील राधाकृष्णन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इस मामले से कोई संबंध नहीं है क्योंकि उनकी मुवक्किल ने अनुच्छेद 161 के तहत समय पूर्व रिहाई की मांग की है.