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राजस्थान: 'आनन्ददायी शनिवार' के साथ बिना बैग की होगी पढ़ाई

राजस्थान सरकार का मानना है कि विद्यार्थियों के लिए ज्ञानात्मक, भावनात्मक और क्रियात्मक तीनों पक्षों का विकास जरूरी है, इसमें से किसी एक पक्ष की उपेक्षा करने पर बाकी सब प्रभावित होते हैं

FP Staff

राजस्थान सरकार ने हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को विद्यार्थियों के लिए 'आनंददायी शनिवार' पहल की शुरुआत की है. इसके अंतर्गत सरकारी स्कूलों के बच्चों को इन दोनों दिन कुछ क्रिएटिव और अलग तरह की पढ़ाई कराई जाएगी. इन दोनों दिन में बच्चों को स्कूल बैग लाने की भी जरूरत नहीं होगी. इससे बच्चों को बहुत खुशी मिलेगी. राजस्थान सरकार का मानना है कि विद्यार्थियों के लिए ज्ञानात्मक, भावनात्मक और क्रियात्मक तीनों पक्षों का विकास जरूरी है. इसमें से किसी एक पक्ष की उपेक्षा करने पर बाकी सब प्रभावित होते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने स्कूलों में हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को आनन्ददायी शनिवार के रूप में मनाने के फैसला किया है.

लंच के बाद सिखाए जाएंगे क्रिएटिव काम


इन दोनों शनिवार को बच्चों को बस्तामुक्त कर दिया जाएगा ताकि वह

यह समय मस्ती में गुजार सकें. लंच के बाद बच्चों को कई तरह के क्रिएटिव कामों की ट्रेनिंग दी जाएगी जिससे उनका मन खुश होगा. राजस्थान स्कूल एजुकेशन काउंसिल का मानना है कि स्कूल में इस तरह की एक्टिविटीज बच्चों के कमयुनिकेशन स्किल में सुधार लाती हैं. साथ ही उनके सोचने की क्षमता को भी बढ़ाती हैं. पहली कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक के बच्चों को इस पहल से

बहुत लाभ मिलेगा. काउंसिल ने राजस्थान के सभी जिला एजुकेशन ऑफिसरों और समग्र शिक्षा अभियान के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेट्रर्स को आनंददायी शनिवार के बारे में बताते हुए सर्कुलर जारी कर दिया है.

बच्चों में सोचने की क्षमता बढ़ेगी

सरकारी सूत्रों के अनुसार इन दोनों दिनों में स्कूलों में बच्चों को कई तरह की एक्टिविटीज जैसे वाद-विवाद, कविता पाठ, कहानी सुनाना, पजल सॉल्व करना, साइंटिफिक मैजिक दिखाना आदि कराया जाएगा. इसके अलावा बच्चों को रोड शेफ्टी नियम, चाइल्ड राइट्स, पौधारोपण करने जैसे काम भी सिखाए जाएंगे.

बच्चों को प्रेरणादयाक वीडियोज भी दिखाए जाएंगे. इस पहल को शुरू करने का उद्देश्य बच्चों में सृजनात्मक शक्ति का विकास करना है. इसके अलावा बच्चों में संप्रेषण क्षमता व सहभागिता का विकास, एकाग्रचित्तता, चिंतन व तार्किक क्षमता का विकास और समूह में पारस्परिक सीखने का विकास भी होगा. इसके साथ ही बच्चों को शारीरिक विकास की भी ट्रेनिंग दी जाएगी.कक्षा 1 से 5, 6 से 8 और 9 से 12 के अलग-अलग ग्रुप बनाए जाएंगे. हर समूह का एक-एक प्रभारी एवं सह प्रभारी होगा. गतिविधियों का चयन कर आयोजन करवाया जाएगा.