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'भारत बंद' का ट्रेन सेवाओं पर व्यापक असर, 100 ट्रेनें प्रभावित

दलित संगठनों के बुलाए 'भारत बंद' में प्रदर्शनकारी कई जगहों पर रेलवे की पटरियों पर जाकर बैठ गए जिससे रेल यातायात पर असर पड़ा

Bhasha

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट) में सुप्रीम कोर्ट के बदलाव के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों के आह्वान पर आज यानी सोमवार को 'भारत बंद' है.

'भारत बंद' के दौरान प्रदर्शनकारियों ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, ओडिशा, बिहार और दिल्ली में कई जगहों पर हिंसा हुई. प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर रेल और सड़क यातायात को बाधित कर दिया. प्रदर्शनकारी रेल की पटरियों पर बैठ गए जिससे लगभग 100 ट्रेनों की सेवाएं प्रभावित हुईं.


विभिन्न क्षेत्रों के रेल अधिकारियों ने बताया कि सोमवार सुबह से ही प्रदर्शनकारी रेल यार्डों में एकत्र होने लगे थे. उत्तर रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों के सुबह लगभग 10 बजे गाजियाबाद रेल यार्ड पहुंचने के बाद सेवाएं बाधित हुईं. सप्त क्रांति एक्सप्रेस, उत्कल एक्सप्रेस, भुवनेश्वर और रांची राजधानी, कानपुर शताब्दी सहित कई ट्रेनों को गाजियाबाद से पहले मेरठ और मोदीनगर में ही रोक दिया गया.

उन्होंने बताया कि करीब 2 हजार लोगों की भीड़ ने हापुड़ स्टेशन पर ट्रेनों को रोका. कई मालगाड़ियों को भी इस दौरान रोका गया.

वहीं आगरा रेल मंडल पर एक शताब्दी और गतिमान एक्सप्रेस सहित 28 ट्रेनें देरी से चलीं.

पंजाब में फिरोजपुर रेल यार्ड पर सुबह साढ़े 8 बजे करीब 150 प्रदर्शनकारी पहुंचे जिससे ट्रेनों की आवाजाही बाधित हुई. अन्य 200 लोगों ने अमृतसर-लुधियाना रेल खंड पर भी सेवाएं बाधित की.

रेलवे अधिकारी ने बताया कि मार्गों पर से प्रदर्शनकारियों को हटा दिया गया है और थोड़े विलंब के बाद ट्रेनों का परिचालन बहाल हो गया.

भारत बंद के चलते पूर्व मध्य रेलवे की करीब 43 ट्रेनें प्रभावित हुई. बिहार में भी प्रदर्शनकारी पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए और जबरन टिकट बुकिंग काउंटर बंद करा दिया और पटरियों पर जाकर बैठ गए.

वहीं ईस्ट कोस्ट रेलवे में करीब 4 ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुई जहां सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर प्रदर्शनकारी संबलपुर और खुर्दा मार्ग खंड पर बैठ गए थे.

उत्तर पूर्व रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे और उत्तर पूर्व फ्रंटियर रेलवे में करीब 18 ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुई लेकिन सुबह साढ़े 9 बजे सेवाएं बहाल हो गईं.

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अपने आदेश में कहा था कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमों में बिना जांच के किसी भी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया जाए. इसपर केंद्र सरकार ने 26 मार्च को अदालत में रिव्यू पेटीशन (पुनर्विचार याचिका) दाखिल की है.

दलित शोषण मुक्ति मंच सहित कई दलित संगठनों और कुछ राजनीतिक पार्टियों ने इस आदेश से कानून के कमजोर पड़ने और दलितों के खिलाफ हिंसा बढ़ने की आशंका जताई है.