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ट्रेन और मालगाड़ियों को चलाने का काम प्राइवेट ऑपरेटरों को सौंपने पर विचार कर रहा रेलवे

रेलवे बोर्ड के सदस्य पिल्लई ने कहा, ‘दुनिया भर में ट्रेनों के परिचालन में कई बदलाव हुए हैं और मेरा मानना है कि यह ऐसा समय है कि भारत को यात्री ट्रेनों के परिचालन में निजी ऑपरेटरों को अनुमति देने के विकल्प पर चर्चा करनी चाहिए

FP Staff

रेलवे ट्रेन और मालगाड़ियों को चलाने का काम प्राइवेट ऑपरेटरों को सौंपने पर विचार कर रहा है. इस मामले पर  रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ सदस्य ने शुक्रवार को कहा कि रेलवे यात्री ट्रेनों और मालगाड़ियों के परिचालन में निजी ऑपरेटरों को अनुमति देने पर विचार कर रहा है.

रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) गिरीश पिल्लई ने परिवहन अनुसंधान एवं प्रबंधन केंद्र (सीटीआरएम) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि वरिष्ठ अधिकारी अभी इस मामले पर विचार कर रहे हैं.


पिल्लई ने कहा, ‘दुनिया भर में ट्रेनों के परिचालन में कई बदलाव हुए हैं और मेरा मानना है कि यह ऐसा समय है कि भारत को यात्री ट्रेनों के परिचालन में निजी ऑपरेटरों को अनुमति देने के विकल्प पर चर्चा करनी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘उन्हें किराया तय करने और टर्मिनल का निर्माण करने की इजाजत दी जा सकती है कि नहीं, इस पर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी और इस क्षेत्र के विशेषज्ञ चर्चा कर रहे हैं.'

पिल्लई ने यह भी कहा कि मालढुलाई के क्षेत्र को यात्री सेवाओं से अलग करने की जरूरत है. वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ट्रेन सेवाएं इस वक्त घाटे की स्थिति में हैं, सिर्फ कुछ ही ट्रेनें फायदे में चल रही हैं. उन्होंने कहा कि यात्री और माल ढुलाई के किराए में बदलाव करने की जरूरत है. पिल्लई ने कहा कि माल ढुलाई के सेक्टर में हामी भरने के साथ ही अब तक लगभग 50 प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल देश में आ चुके हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका में वैगन और कंटेनर सेवाओं का केवल 25 फीसदी ही रेल ऑपरेटर के पास है बाकी का 75 फीसदी प्राइवेट सेक्टर के पास है. रूस में इन सेवाओं में सरकार का कोई दखल नहीं है.

रेलवे सवारी गाड़ियों के स्थान पर मेमू चलाने पर कर रहा विचार

इसके अलावा रेलवे सवारी गाड़ियों के स्थान पर मेमू ट्रेन चलाने पर भी विचार कर रहा है.  रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. रेलवे के इस कदम से यात्रा समय में कमी आएगी और व्यस्त मार्गों पर यातायात में कमी आएगी.

रेलवे बोर्ड के सदस्य (रॉलिंग स्टॉक) राजेश अग्रवाल ने कहा कि मेमू ट्रेनें शुरू होने से यात्रा में कम समय लगेगा क्योंकि ऐसी ट्रेनें जल्दी ही रफ्तार पकड़ लेती है. ऐसी ट्रेनें 300 से 500 किलोमीटर की दूरी के बीच चलती है.

सवारी गाड़ियां अक्सर प्रमुख जंक्शनों को छोटे स्टेशनों से जोड़ती हैं. आम तौर पर ऐसी गाड़ियां पूरी तरह से अनारक्षित होती हैं. हालांकि कुछ ट्रेनों में आरक्षित डिब्बे भी होते हैं.

सवारी गाड़ियों की रफ्तार कम होती है लेकिन मेमू ट्रेनों की अधिकतम गति करीब 100 किलोमीटर प्रति घंटा और औसत गति करीब 50 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. इन नई ट्रेनों के हर डिब्बों में दो शौचालय भी होंगे.

(भाषा से इनपुट)