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भारतीय रेलवे में फिर से 'नीतीश मॉडल' लाने की तैयारी

नई नीति के तहत आईआरसीटीसी को दोबारा ट्रेनों में खान-पान की जिम्मेदारी मिलने जा रही है

Ravishankar Singh

रेलवे को लेकर मोदी सरकार ने अपनी नीतियों में बदलाव करना शुरू कर दिया है. सबसे पहले ये बदलाव रेल बजट को आम बजट के साथ पेश कर किया गया, और अब खान-पान को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है.

आईआरसीटीसी को दोबारा ट्रेनों में खान-पान की जिम्मेदारी मिलने जा रही है. भारतीय रेल की खान-पान नीति सोमवार को जारी होने वाली है. जिसमें रेलवे को लेकर कई घोषणाएं होने वाली हैं.


अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नीतीश कुमार रेल मंत्री थे (फोटो: रॉयटर्स)

हम आपको बता दें कि पहली बार आईआरसीटीसी को रेलवे में खान-पान की जिम्मेदारी नीतीश कुमार के रेल मंत्री रहते दी गई थी.

नई नीति के तहत पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर से कुल्हड़ में चाय पिलाने की तैयारी शुरू होगी. साथ ही राजधानी, शताब्दी जैसी ट्रेनों में खान-पान को वैकल्पिक बनाया जाएगा.

भारतीय रेल में कुल्हड़ में चाय पीने की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते शुरू हुई थी. लालू प्रसाद यादव जब तक रेल मंत्री रहे तब तक खान-पान की जिम्मेदारी आईआरसीटीसी के पास ही था.

लेकिन 2010 में जब ममता बनर्जी रेल मंत्री बनीं तो कैटरिंग पॉलिसी बना कर आईआरसीटीसी से यह जिम्मेदारी लेकर रेलवे को दे दी गई.

प्रभु की रेल में दोबारा बदलाव

दिल्ली के सियासी गलियारों में रेल मंत्री के तौर पर प्रभु के काम-काज के बारे में खूब चर्चा हो रही है. जानकार मानते हैं कि रेल मंत्री के तौर पर प्रभु ज्यादा प्रभावशाली साबित नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि रेलवे में एक बार फिर से नीतीश कुमार द्वारा तैयार मॉडल लाने की तैयारी चल रही है.

सुरेश प्रभु के पिछले रिकॉर्ड को ध्यान में रख कर ही पीएम मोदी ने रेलवे जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी सुरेश प्रभु को सौंपी थी. वाजपेयी सरकार में सुरेश प्रभु ने ऊर्जा विभाग में काफी प्रभाव छोड़ा था.

बीते दिनों एक के बाद एक हुए रेल हादसों से रेल मंत्री सुरेश प्रभु के कामकाज पर सवाल उठे हैं

प्रधानमंत्री मोदी को सुरेश प्रभु पर कितना विश्वास था, यह इस बात से साबित होता है कि शिवसेना के न चाहते हुए भी सुरेश प्रभु को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. सुरेश प्रभु अपने शपथ ग्रहण के दिन ही बीजेपी में शामिल हुए थे. बीजेपी में आने से पहले सुरेश प्रभु शिवसेना में थे.

जानकारों की माने तो पिछले कुछ दिनों से रेल मंत्री सुरेश प्रभु के कामकाज पर उंगलियां उठने लगी हैं. हाल के कुछ दिनों में लगातार हो रहीं रेल दुर्घटनाओं को लेकर सरकार की किरकिरी हुई है.

रेल मंत्रालय में अगले कुछ दिनों में सेफ्टी फंड बनाने को लेकर एक बार फिर से विचार-विमर्श शुरू हो गए हैं. भारतीय रेल में पहली बार सेफ्टी फंड की शुरुआत नीतीश कुमार ने की थी.

रेलवे बोर्ड के पूर्व चेयरमैन आरएन मल्होत्रा ने फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए जानकारी दी ‘जब नीतीश कुमार रेल मंत्री थे और मैं रेलवे बोर्ड का चेयरमैन था, तो पहली बार हम लोगों ने 17 हजार करोड़ रुपए का सेफ्टी फंड अटल जी से मंजूर करवाया था. इस फंड का इस्तेमाल हम लोग सिग्नल सिस्टम और रेलवे लाइनों को दुरुस्त करने के लिए करते थे. लेकिन, 2007-2008 तक ये पैसा खत्म हो गया’.

इस बार पेश हुए बजट में रेलवे को एक लाख 31 हजार करोड़ रुपए की रकम आवंटित की गई है. मोदी सरकार द्वारा आवंटित यह रकम पहले की किसी भी सरकार के आवंटित रकम से ज्यादा है.

रेलवे में सुधार कार्यक्रम

रेल मंत्रालय अब अपना ध्यान यात्रियों की सुविधाओं पर भी देने वाली है. मंत्रालय ने रेलवे की बेहतरी के लिए लोगों से सुझाव मांगे हैं. इन सुझावों के जरिए रेलवे को आम आदमी के माफिक दुरुस्त करने के प्रयास शुरू किए जाएंगे.

भारतीय रेल से हर दिन ढाई करोड़ से ज्यादा लोग सफर करते हैं

मंत्रालय ने रेलवे से संबंधित कई सवाल लोगों से पूछे हैं. इन सवालों के जवाब देने पर लाखों का इनाम भी रखा गया है.

आईआरसीटीसी की नई नीति

आईआरसीटीसी की नई नीति के तहत खाना तैयार करने और उसके वितरण करने की जिम्मेदारी अलग-अलग दी जाएगी. खाना बनाने के ठेके होटल कंपनियों को दिए जाएंगे और खाना वितरण की जिम्मेवारी मौजूदा ठेकेदारों को दिए जाएंगे. अभी रेलवे में एक ही ठेकेदार खाना तैयार करता है और उसे वितरित भी करता है.

दूसरा बदलाव ई-कैटरिंग के दायरे में विस्तार के तौर पर दिखाई देगा. अभी केवल 45 बड़े स्टेशनों पर ही ई-कैटरिंग की सुविधा उपलब्ध है. नई नीति के तहत ए1 और ए श्रेणी के सभी 408 रेलवे स्टेशनों पर यह सुविधा उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है.