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ट्रेन दुर्घटना के असर को कम कर सकते हैं स्टेनलेस स्टील से बने डिब्बे

स्टेनलेस स्टील के डिब्बे मजबूत होते हैं और टक्कर के दौरान अधिक ऊर्जा का सहन कर सकते हैं. जिससे ये दुर्घटना के असर को झेल सकते हैं

Bhasha

रेल डिब्बे अगर कार्बन स्टील के बजाए स्टेनलेस स्टील के बने हों तो उससे ट्रेन दुर्घटना के प्रभाव को कम किया जा सकता है. एक उद्योग संगठन ने मंगलवार को यह बातें कही.

इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिशन (आईएसएसडीए) ने मुजफ्फरनगर रेल हादसे का जिक्र करते हुए कहा, ‘देश में अगर रेल डिब्बे कार्बन स्टील के बजाए स्टेनलेस स्टील से बनाए जाएं तो इससे ट्रेन हादसों में जनहानि में कमी लाई जा सकती है.’ आईएसएसडीए देश में प्रमुख स्टेनलेस स्टील उत्पादकों का शीर्ष संगठन है.


संगठन के अनुसार अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, जापान, कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं और पूर्वी एशियाई देशों में यात्री डिब्बों में स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल सामान्य है.

आईएसएसडीए ने कहा कि फिलहाल रेलवे केवल राजधानी, शताब्दी और प्रीमियम ट्रेनों के लिये एलएचबी डिजाइन में स्टेनलेस स्टील का उपयोग कर रही है. एलएचबी डिब्बों का डिजाइन इस तरह से होता है जिससे वो पटरी से उतरने के दौरान एक दूसरे पर नहीं चढ़ते.

स्टेनलेस स्टील के डिब्बे मजबूत होते हैं साथ ही टक्कर के दौरान अधिक ऊर्जा का सहन कर सकते हैं. और बिना टूट-फूट के दुर्घटना के असर को झेल सकते हैं.

बीते शनिवार को यूपी के मुजफ्फरनगर में खतौली के पास कलिंगा-उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटना का शिकार हो गई थी. इस हादसे में ट्रेन की कई बोगियां एक दूसरे के ऊपर चढ़ गईं. इस दुर्घटना में ट्रेन में सफर कर रहे 21 मुसाफिरों की मौत हो गई और डेढ़ सौ से अधिक लोग घायल हो गए थे.