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लालू के बेटों की तरह एजेंसियां अमित शाह के बेटे की जांच क्यों नहीं करती: रघुवंश प्रसाद सिंह

हम चाहते हैं कि बिहार में किसी एक परिवार का नहीं राजद परिवार का बोलबाला रहे

Ravishankar Singh

राष्ट्रीय जनता दल की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. एक तरफ जहां आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार भ्रष्टाचार के मामले में जांच एजेंसियों के निशाने पर है, वहीं दूसरी तरफ पार्टी के अंदर भी पार्टी के सांगठनिक ढांचे में बदलाव को लेकर लालू प्रसाद यादव निशाने पर हैं.

आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह पिछले कुछ दिनों से पार्टी के सांगठनिक ढांचे में बदलाव की वकालत जोर-शोर से कर रहे हैं. पिछले कई मौकों पर रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी में चल रहे परिवारवाद के खिलाफ आवाज बुलंद की है. रघुवंश प्रसाद सिंह ने फ़र्स्टपोस्ट हिंदी संवाददाता रविशंकर सिंह से पार्टी से जुड़े कई मुद्दों पर बेबाक बात की. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश:


फ़र्स्टपोस्ट- लगभग दो दशक पहले तक आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बारे में कहा जाता था कि जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालूक्या आपको नहीं लगता है कि लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक चमक फीकी पड़ती जा रही है. आरजेडी अपने स्थापना काल के बाद सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है?

रघुवंश प्रसाद सिंह- देश में युगों-युगों से होता आ रहा है कि देश या समाज में विषमता के खिलाफ जिसने भी आवाज उठाई है, उसको यातनाएं झेलनी पड़ी हैं. लालू प्रसाद यादव का यही कसूर था कि दबे-कुचले समाज को उन्होंने आवाज दी. यह उनके विरोधी भी स्वीकार करते हैं. इस समय भारत सरकार की जो भी एजेंसियां हैं आईटी वाले, सीबीआई वाले, ईडी वाले या और दूसरी एजेंसियां एक ही परिवार के पीछे क्यों लगी हुई हैं?

मैं आपसे कहना चाहता हूं कि यही जांच एजेंसियां क्यों नहीं अमित शाह के बेटे की संपत्ति जो 16 हजार गुना बढ़ी है, उसकी जांच करा रही है? यह एक राजनीतिक साजिश है. जिसमें लालू प्रसाद यादव  और उनके परिवार को परेशान किया जा रहा है.

तेजस्वी यादव

फ़र्स्टपोस्ट- क्या आप यह कहना चाह रहे हैं कि लालू प्रसाद यादव ने जो पैसा कमाया है वह खून-पसीने और मेहनत की कमाई का है? लालू यादव या उनके परिवार के किसी भी सदस्यों ने किसी भी तरह की कोई हेरा-फेरी नहीं की है? अपने आपको चरवाहा का बेटा कहने वाले लालू यादव के परिवार के हर सदस्यों के पास करोड़ों की प्रॉपर्टी कहां से आई? राजधानी पटना के सबसे पॉश इलाके में बिहार का सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल निर्माण कराने की आखिर क्या जरूरत आन पड़ी?

रघुवंश प्रसाद सिंह- देखिए मैं फिर से बताना चाहता हूं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जी के पुत्र ने अपना कारोबार पांच हजार रुपए पूंजी के साथ शुरू किया और दो साल में ही उनकी प्रॉपर्टी में 16 हजार गुना बढ़ी. कहां है ईडी, कहां है आईटी और कहां है सीबीआई. कोई देखने वाला है?

इसी तरह से देश के जितने भी बड़े लोग हैं उनकी भी संपत्ति की जांच की जाए और देखा जाए की क्या उनकी संपत्ति में भी 16 हजार गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. लेकिन, जांच का कहां चल रही है. मायावती, मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव पर. मेरे कहने का मतलब जिन्होंने पिछड़े वर्ग, दलित और अनुसूचित वर्गों की आवाज बन कर सत्ता की ऊंचाई को छुआ उन्हीं को कुचला जा रहा है.

फ़र्स्टपोस्ट- राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष पद का चुनाव 20 नवंबर होने वाला है. क्योंकि लालू प्रसाद यादव और उनका पूरा परिवार भ्रष्टाचार के आरोप में काफी बुरी तरह से घिर गया है, ऐसे में कोई बाहरी व्यक्ति पार्टी का अध्यक्ष बन सकता है?

रघुवंश प्रसाद सिंह- देखिए अध्यक्ष पद का यह कोई पहला चुनाव नहीं है. दूसरी पार्टियों की तरह हमारी पार्टी भी चुनाव आयोग के कानून नियमपूर्वक लागू करती है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि दूसरी पार्टियों में भी क्या होता है? बीजेपी में कभी वोट हुआ है? सब मामला पहले से तय होता है. जेडीयू में क्या है? शरद जी को हटा कर नीतीश कुमार अपने आप अध्यक्ष बन गए. आप थोड़ा इंतजार कीजिए वक्त आने पर आपके उत्तर का आपको जवाब मिल जाएगा.

फ़र्स्टपोस्ट- आरजेडी और लालू प्रसाद यादव के परिवार में भी पार्टी नेतृत्व को लेकर उठापटक चल रही है. लालू के दोनों बेटों और बेटियों में पार्टी के उत्तराधिकारी को लेकर खटपट चल रही है. ऐसे में पार्टी की बेहतरी के लिए आप क्या करने जा रहे हैं. आपकी नजर में लालू के राजनीतिक उत्तराधिकारी में कौन ज्यादा काबिल नजर आता है?

रघुवंश प्रसाद सिंह- देखिए जब परिवार के अंदर ही राजनीति सिमट कर रह जाती है तो उठापटक तो स्वाभाविक बात है. सभी लोग अपना-अपना चांस ले रहे हैं. आपस में लड़ेंगे और भिड़ेंगे भी. आप यूपी में मुलायम सिंह यादव के परिवार का हाल देख ही रहे हैं. देखिए इसी लड़ाई में एसपी ने यूपी में सत्ता गंवा दी. मेरा मानना है कि जब परिवार के अंदर ही सत्ता सिमट कर रह जाएगी तो उसका हश्र बहुत बुरा होता है.

तेजप्रताप और लालू यादव

फ़र्स्टपोस्ट- क्या आप यह कहना चाह रहे हैं कि लालू यादव के परिवार तक जो आरजेडी सिमटी है वह ठीक नहीं है?

रघुवंश प्रसाद सिंह- देखिए बिहार में जनता का दबाव है कि एक परिवार का नहीं बल्कि राजद परिवार का बोलबाला रहे. यह हर हालत में करना ही पड़ेगा. हम आरजेडी को एक परिवार नहीं बल्कि पूरे समाज की पार्टी बनाएंगे.

फ़र्स्टपोस्ट- साल 2019 के चुनाव को लेकर पार्टी की क्या रणनीति होने वाली है, क्योंकि अभी तक आरजेडी में देखा गया है कि कुछ खास जातियों को ही विधानसभा या लोकसभा का टिकट दिया जाता है. पार्टी के सुप्रीमो खुले मंच से बिहार की दो-तीन अगड़े जातियों को टिकट जानबूझ कर नहीं देने की बात स्वीकार भी किया है. ऐसे में आरजेडी में मौजूद आप जैसे नेताओं का क्या रुख रहने वाला है?

रघुवंश प्रसाद सिंह- देखिए आरजेडी के साथ जो लोग हैं उनमें और कुछ लोगों की जोड़ने की जरूरत है. आरजेडी का जो आधार वोट है उसके अलावा भी हमलोग कुछ नया करने वाले हैं, तभी तो कुछ न कुछ आएगा. सभी तरह के लोगों को जोड़ना पड़ेगा उसके बिना काम नहीं चलेगा.

देखिए पार्टी में दो धाराएं चलती हैं. एक धारा का मानना है कि जिस जाति के लोग वोट नहीं देते हैं उनको टिकट नहीं मिलनी चाहिए, जबकि एक धारा का मानना है कि जब कुछ देंगे ही नहीं तो कैसे इधर आकर्षित होंगे? हमको लगता है कि सबको मिला कर चलने वाली धारा मजबूत होगी.

फ़र्स्टपोस्ट- बिहार कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है. माना यह जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग लालू यादव के साथ जाना नहीं चाहता है. खुद राहुल भी लालू के दागी छवि को लेकर हमेशा सचेत रहते हैं. अब तो राहुल गांधी की अध्यक्ष बनाने की बात चल रही है ऐसे में आरजेडी का क्या रुख रहने वाला है?

रघुवंश प्रसाद सिंह- देखिए यह कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी मामला है. सोनिया गांधी अध्यक्ष रहें या फिर राहुल बन जाएं. हमें तो कांग्रेस पार्टी से मतलब है.

फ़र्स्टपोस्ट- क्या नीतीश कुमार से आपकी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी है? अक्सर यह देखा गया है कि रघुवंश प्रसाद सिंह गठबंधन या बिहार की सत्ता में साथ रहते हुए भी नीतीश कुमार पर सबसे ज्यादा आक्रमक रहते हैं. आखिर नीतीश कुमार पर इतने नाराज आप क्यों रहते हैं?

रघुवंश प्रसाद सिंह- देखिए बिहार की राजनीति में इस वक्त एक खराब चलन की शुरुआत हो गई है. जयकारी दलों का बोलबाला हो गया है. सबलोग नीतीश कुमार की गलती पर भी जय हो, जय हो, करते रहते हैं. हम वो नहीं करते हैं. हमने जितनी बार भी नीतीश कुमार पर सवाल उठाया है, उस तर्क को किसी ने काटा नहीं है. नीतीश कुमार तीन-चार गरीहंडा (गांव-देहात में गाली देने वालों के लिए कहा जाता है) रखे हुए हैं, जो दिन-रात गाली देते रहते हैं.

हमने नीतीश कुमार के प्रति एक भी व्यक्तिगत बयान नहीं दिया है. सभी बयान नीतिगत बातों पर दिए गए हैं. हमने नोटबंदी का विरोध किया तो नीतीश जी ने समर्थन कर दिया. इसी तरह राष्ट्रपति चुनाव में भी नीतीश जी बीजेपी उम्मीदवार को सपोर्ट कर दिया.