फ्रांस के साथ हुए राफेल सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी बुधवार को दाखिल याचिकाओं पर अहम सुनवाई होगी. अदालत राफेल सौदे की कीमत और उसके फायदों की जांच करेगा. केंद्र ने पिछली सुनवाई में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत और उसके फायदे के बारे में कोर्ट को सीलबंद दो लिफाफों में रिपोर्ट सौंपी थी.
केंद्र सरकार ने राफेल सौदे के तहत 36 लड़ाकू विमानों की कीमत का जो ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा हैं, अदालत में उस पर सुबह साढ़े 10 बजे से सुनवाई होगी.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ बुधवार को इस मामले में अहम सुनवाई करेगी जिसमें याचिकाकर्ता भी दलीलें देंगे. याचिकाकर्ताओं ने सौदे की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सरकार ने सुनवाई से पहले याचिकाकर्ताओं को सौदे की प्रकिया संबंधित जानकारी दे दी है. जिसमें सरकार ने सभी नियमों का पालन करने की बात कही है. साथ ही बताया कि उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस को ऑफसेट पार्टनर बनाने का फैसला दसॉ का है.
दसॉ के CEO ने कहा- भारत को सस्ते में राफेल विमान दिए जा रहे हैं
केंद्र ने सोमवार को ‘36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का आदेश देने के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाए गए कदमों का विवरण’ शीर्षक वाला 14 पन्नों का दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को सौंप दिया.
इससे पहले, मंगलवार को दसॉ के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में राफेल सौदे में भारत को सस्ते में लड़ाकू विमान देने की बात कही थी. उन्होंने राहुल गांधी के सौदे में लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वो झूठ नहीं बोलते.
उन्होंने कहा कि सौदे के तहत भारत को 38 राफेल विमान 18 विमानों की कीमत में दी जा रही थी. ट्रैपियर ने कहा कि इनके दाम दोगुने होने चाहिए थे. मगर यह दोनों देशों (भारत-फ्रांस) की सरकारों के बीच हुआ सौदा है. इसलिए कीमतों में मोलभाव की गई. मुझे विमानों के दाम 9 प्रतिशत कम करने पड़े.
उन्होंने यह भी साफ किया कि दसॉ ने अनिल अंबानी की कंपनी को खुद ही संयुक्त उपक्रम (जॉइंट वेंचर) के लिए चुना. उन्होने कहा कि रिलायंस के अलावा पहले से हमारे 30 अन्य पार्टनर हैं. भारतीय वायुसेना इस सौदे का समर्थन कर रही है क्योंकि उन्हें अपने डिफेंस सिस्टम को टॉप पर रखने के लिए आधुनिक और बेहतर लड़ाकू विमान चाहिए.
राफेल डील को लेकर कांग्रेस के क्या हैं आरोप?
कांग्रेस राफेल सौदे में भारी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है. पार्टी का आरोप है कि मोदी सरकार 1670 करोड़ रुपए प्रति विमान की दर से राफेल लड़ाकू विमान खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार के समय प्रति विमान की कीमत 526 करोड़ रुपए तय हुई थी.
राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां ने मोदी सरकार के खिलाफ शुरू से काफी हमलावर तेवर अपना रखा है. कांग्रेस का दावा है कि यूपीए सरकार ने फ्रांस के साथ जिस राफेल लड़ाकू विमान की डील की थी, उसे मोदी सरकार 3 गुना कीमत में खरीद रही है. कांग्रेस का आरोप है कि नई डील में किसी भी तरह की तकनीक ट्रांसफर की बात नहीं हुई है.
राहुल गांधी लगातार अपने भाषणों और संबोधनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर राफेल मामले में देश से झूठ बोलने और सौदे में भारी भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाते रहे हैं.
(भाषा से इनपुट)