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पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद, Whatsapp Group उग्र राष्ट्रवाद, नफरत और युद्धोन्माद को हवा दे रहे हैं

यह भड़काऊ संदेश कई Whatsapp Groups में दिखाई देते हैं, जो इस संभावना की तरफ इशारा करते हैं कि वो कुछ लोगों द्वारा पूरी शिद्दत से साझा किए जा रहे हैं

Kunal Purohit

पुलवामा के फिदायीन हमलावर आदिल अहमद डार के साथ खड़े कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मॉर्फ्ड फर्जी तस्वीरें सामने आ रही हैं, लेकिन यह तो भ्रामक सूचनाओं का सिर्फ एक तिनका भर है.

एक पड़ताल से पता चलता है कि हमले के कुछ ही घंटों के भीतर राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों द्वारा चलाए जाने राजनीतिक वाट्सऐप (Whatsapp) ग्रुपों में भ्रामक सूचनाओं की बाढ़ आ गई. अलग-अलग ग्रुपों में व्यवस्थित तरीके से युद्धोन्माद (War Mongering) भड़काने वाले परमाणु हमले की मांग करने से लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने के फर्जी वीडियो तक एक जैसे संदेशों से वाट्सऐप ग्रुप उग्र राष्ट्रवाद के टेक्स्ट, वीडियो, फोटो और मीम्स (Memes) से भर गए. यह सारी सामग्री काफी हद तक एक जैसे विषयों के इर्द-गिर्द घूमती है: कई ने भारत में 'पाकिस्तान से सहानुभूति रखने वालों' को दोषी ठहराया, तो दूसरों ने 'टुकडे़-टुकडे़ गिरोह' और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्रों को निशाना बनाया.


इस सब के बीच, एक महत्वपूर्ण संदेश लगातार घूमता रहा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पुलवामा हमले के लिए उपयुक्त प्रतिशोध लेने के लिए पाकिस्तान के साथ युद्ध छेड़ने का ‘अनुरोध.’ यह संदेश विभिन्न समूहों में देखा गया. यह ‘अनुरोध’ मोदी को इस आश्वासन के साथ खत्म होता है कि युद्ध के लिए देश उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में 400 सीटें देकर पुरस्कृत (इनाम) करेगा.

पुलवामा हमले के बाद वाट्सऐप पर युद्धोन्माद भड़काने वाले इस तरह के फेक मैसेज भेजे जा रहे हैं (फोटो: कुणाल पुरोहित)

इस पड़ताल में साझा की गई सामग्री को समझने के लिए, बीजेपी और कांग्रेस दोनों के नाम से चलने वाले कई वाट्सऐप ग्रुपों को एक्सेस (Access) किया गया. इन ग्रुप्स के नाम उन सूत्रों की पहचान छिपाए रखने के लिए सार्वजनिक नहीं किए जा रहे हैं, जिन्होंने हमें इन अंदरूनी ग्रुप्स तक पहुंचने में मदद की.

#भारत को परमाणु हमला कर देना चाहिए

पड़ताल किए गए सभी सात समूहों में यूजर्स के साझा किए जा रहे संदेशों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ने की मांग. कुछ संदेश जो सभी समूहों में समान थे, उनमें से कई पुलवामा में 'मारे गए 40 जवानों के बदल में 400 पाकिस्तानी सिर' की मांग कर रहे थे. इनमें से एक संदेश, मोदी को आगे बढ़कर युद्ध छेड़ने और, उनसे पाकिस्तान में 'गुजरात' दोहराने के लिए कह रहा है.

वाट्सऐप पर भेजा जा रहा एक फेक मैसेज (फोटो: कुणाल पुरोहित)

वाट्सऐप पर भेजा जा रहा एक फेक मैसेज (फोटो: कुणाल पुरोहित)

यह संदेश कई ग्रुप्स में दिखाई देते हैं, जो इस संभावना की तरफ इशारा करते हैं कि वो कुछ लोगों द्वारा पूरी शिद्दत से साझा किए जा रहे हैं.

आतंकी हमले की प्रतिक्रिया में दुष्प्रचार

अजीब बात है कि इस सामग्री का काफी हिस्सा, खासकर हेर-फेर कर बनाए गए वीडियो और भ्रामक मीम, पुलवामा हमले के चंद घंटों के अंदर क्रिएट (Create) किए गए हैं.

उदाहरण के लिए, पुलवामा हमले के सात घंटे के भीतर रात 10 बजकर 24 मिनट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नाम पर बने एक ग्रुप में, एक यूजर ने कथित रूप से ‘कश्मीर लाइव न्यूज’ नाम के वाट्सऐप ग्रुप के स्क्रीनशॉट (Screenshot) को पोस्ट किया, जिसमें हमले का जश्न मनाया जा रहा है. स्क्रीनशॉट का स्रोत (Source) साझा नहीं किया गया था. अन्य यूजर्स ने सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ इस पोस्ट को फौरन साझा करना शुरू कर दिया.

सर्कुलेट किए जा रहे मीम में मांग की गई है कि पत्थरबाजी करने वाले कश्मीरी प्रदर्शनकारियों को गोली मार देनी चाहिए और 'उरी-2' को अंजाम देना चाहिए.

वाट्सऐप पर भेजा जा रहा एक फेक मैसेज (फोटो: कुणाल पुरोहित)

आधी रात तक, हमले के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते मैसेज सामने आ गए. जाहिर है, यह सिर्फ शुरुआत थी.

सुबह तक मशीनरी पूरे शबाब पर थी. सुबह-सुबह, जम्मू-कश्मीर का एक वीडियो सर्कुलेट किया जाने लगा, जिसमें कांग्रेस नेता सगीर सईद खान को यह कहते हुए दिखाया गया है कि पार्टी के सत्ता में आने पर फर्जी एनकाउंटर में मारे गए लोगों के परिजनों को 1 करोड़ रुपए मिलेंगे. खान ने हकीकत में ऐसा बयान दिया था, लेकिन यह लगभग दो महीने पहले का उनका बयान था. हालांकि, वीडियो को पुलवामा हमले के जवाब में बयान के रूप में चलाया गया, जिसमें कांग्रेस पर ‘आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति’ रखने का आरोप लगाया गया था.

इसके तुरंत बाद एक और वीडियो आया जिसमें कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस को लाठीचार्ज करते दिखाया गया. इन वीडियो के साथ टेक्स्ट में आरोप लगाया गया है कि इन कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाते पकड़ा गया था और इनके इस जुर्म के लिए इन्हें पीटा गया. पुलवामा हमले से एक दिन पहले बूम लाइव ने इन वीडियो को फर्जी बताया था. पड़ताल में पाया गया था कि यह वीडियो पिछले साल छत्तीसगढ़ का था, जहां तत्कालीन बीजेपी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था. लेकिन पुलवामा हमले के बाद, यह वीडियो पुन: सर्कुलेट किए गए और अलग-अलग यूजर्स द्वारा कई ग्रुप्स में शेयर किए गए थे.

यहां तक कि वेबसाइट लिंक भी थे, जो एक दक्षिणपंथी सोशल मीडिया एक्टिविस्ट को दिखा रहे थे, जो ‘पुलवामा हमले में कांग्रेस की भूमिका को उजागर कर रहा था.’

वाट्सऐप पर भेजा जा रहा एक फेक मैसेज (फोटो: कुणाल पुरोहित)

कांग्रेस के कई नेताओं को निशाना बनाते हुए बहुत से मीम सर्कुलेट किए गए, जिनमें से एक में पुलवामा हमले में मारे गए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए हुए कार्यक्रम में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को कथित रूप से फोन चेक करते दिखाया गया है. इसी तरह, कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू पर हमला करते हुए, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तानी सेना प्रमुख (COAS) कमर जावेद बाजवा के साथ उनके फोटो वाले मीम बनाए गए.

वाट्सऐप पर भेजा जा रहा एक फेक मैसेज (फोटो: कुणाल पुरोहित)

पुलवामा हमले के बाद वाट्सऐप पर भेजा जा रहा एक मैसेज (फोटो: कुणाल पुरोहित)

तकरीबन यह सभी बयानबाजियां उग्र राष्ट्रवाद की भावना को भड़काने की दिशा में जा रही थीं, इस हमले के लिए जम्मू-कश्मीर के लोगों को जिम्मेदार ठहराने वाली सामग्री भी इसका एक अहम हिस्सा थी और राज्य के ‘बहिष्कार’ का प्रस्ताव किया जा रहा था. मैसेज में सैलानियों को अगले पांच वर्षों के लिए राज्य की यात्रा पर आत्म-प्रतिबंध लगाने और आतंकवादी गतिविधियों का ‘समर्थन’ करने के लिए राज्य के लोगों से बदला लेने के लिए अमरनाथ यात्रा का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया है.

आश्चर्य नहीं कि शनिवार को, मीडिया रिपोर्ट और सोशल मीडिया पोस्ट में खबरें आ रही थीं कि जम्मू में कश्मीरियों के साथ मारपीट की गई और देश के कुछ अन्य हिस्सों में भी बदसलूकी की गई.

यह क्यों खतरनाक है

यहां तक कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी अपनी पार्टी के प्रवक्ताओं से कहा कि वो 'युद्धोन्माद' से बचें और विपक्षी दल सरकार को अपना समर्थन देने की घोषणा करते हैं, लेकिन वाट्सऐप के धुंधले संसार में राजनीतिक प्रचार इसके एकदम विपरीत चल रहा है.

पिछले साल, बीबीसी के एक अध्ययन में बताया गया था कि लोगों द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस तरह दुष्प्रचार को शेयर करने के पीछे राष्ट्रवाद एक प्रमुख प्रेरक शक्ति है. अध्ययन में कहा गया था कि 'राष्ट्रीय पहचान जताने की भावनात्मक इच्छा' को पूरा करने में तथ्य बहुत कम महत्वपूर्ण होता है. इस पड़ताल में भी कम से कम सात अलग-अलग वाट्सऐप समूहों में पहुंच में इस निष्कर्ष की पुष्टि होती है, जिसमें यूजर्स विभिन्न समूहों में एक जैसे संदेश पोस्ट कर रहे हैं.

भारत पहले ही वाट्सऐप जैसे अंदरूनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से फैलने वाले दुष्प्रचार के दुखद परिणामों को देख चुका है, जहां 30 से अधिक लोगों को भीड़ द्वारा मौत के घाट (Mob Lynching) उतार दिया गया, जो उन अफवाहों पर विश्वास करती थी, जो ऐप के माध्यम से उन तक पहुंची थी. पिछले साल, कंपनी ने कहा था कि भारत में वाट्सऐप के 20 करोड़ से अधिक यूजर्स हैं. यह संख्या निश्चित रूप से अब बढ़ चुकी होगी. जुलाई में, लोकनीति-सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के अध्ययन में पाया गया कि वाट्सऐप का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, खासकर ग्रामीण समुदायों में.

इस तरह के संवेदनशील समय में ऐसे दुष्प्रचार का अंजाम आने वाले समय में और साफ हो जाएगा.

वाट्सऐप पर भेजा जा रहा एक फेक मैसेज (फोटो: कुणाल पुरोहित)