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नोटबंदी: सरकारी नीतियों के चक्रव्यूह में फंसी आम जनता

जनता नोटबंदी, पॉलिसी रेट न घटने और रेल टिकट पर सब्सिडी घटाने के प्रस्ताव से परेशान

Pratima Sharma

आज से ठीक एक महीना पहले 8 नवंबर को 2016 को प्रधानमंत्री ने 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को बंद करने का ऐलान किया था. इस एक महीने में सबसे ज्यादा परेशानी आम लोगों को हुई.

आम जनता को उम्मीद दी गई कि 31 दिसंबर तक सब कुछ सामान्य हो जाएगा. प्रधानमंत्री ने 50 दिनों का वक्त मांगा और जनता ने खुले दिल से दिया भी. 30 दिन बीत चुके हैं लेकिन हालात में कुछ खास सुधार नजर नहीं आ रहे हैं.


कुछ लोग शिकायत भी कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग दिक्कत सहने के बावजूद प्रधानमंत्री के साथ बने हुए हैं.

तीन तरफा मुश्किल

देश की जनता फिलहाल चारों तरफ से घिरी हुई है. एक तरफ वह नोटबंदी से परेशान है, दूसरी तरफ आरबीआई ने महंगाई का हवाला देते हुए पॉलिसी रेट नहीं घटाया.

तीसरी चोट रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने दी है. प्रभु ने एक प्रस्ताव रखा है जिसमें  एलपीजी कनेक्शन की तरह उपभोक्ता को सब्सिडी छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

इस प्रस्ताव का सीधा मतलब यह है कि आने वाले दिनों में रेल टिकट के दाम बढ़ेंगे.

अर्थव्यवस्था पर तगड़ी मार

नोटबंदी ने सिर्फ हमारे रोजमर्रा के जीवन को ही प्रभावित नहीं किया है बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी इसकी चोट पड़ी है.

नोटबंदी के बाद से लगातार जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटाया जा रहा है. पहले फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली और अब आरबीआई के नए गवर्नर उर्जित पटेल ने भी यह साफ कर दिया कि नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था की ग्रोथ घटेगी.

अर्थशास्त्रियों को उम्मीद थी कि इस बार कम से कम 0.25 फीसदी का रेट कट होगा. वहीं कुछ जानकार नोटबंदी के असर के तौर पर आधा फीसदी रेट कट की उम्मीद कर रहे थे.

लेकिन उर्जित पटेल ने एक हैरतअंगेज फैसला लेते हुए पॉलिसी रेट को 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा. इसी के साथ ईएमआई घटने की जो उम्मीद थी वह भी टूट गई.

महंगाई का डर बढ़ा

पटेल ने आने वाले महीनों में महंगाई का खतरा बढ़ने की भी बात कही. नोटबंदी और नकदी संकट के मद्देनजर पटेल ने जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को भी घटा दिया है.

फिस्कल ईयर 2016-17 में आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.6 फीसदी से घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया है. जीडीपी ग्रोथ घटने का असर कंपनियों के कामकाज और नए रोजगार पर पड़ेगा.

पटेल ने कहा कि ओपेक देश क्रूड का प्रॉडक्शन घटा रहे हैं. ऐसे में सप्लाई कम होने से क्रूड की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे महंगाई में तेजी आ सकती है.

सरकारी नीतियों का चक्रव्यूह

नोटबंदी पर आक्रामक रवैया अपनाने वाले वित्त मंत्री अरुण जेटली के तेवर भी अब ठंडे पड़ रहे हैं.

सरकार अभी तक उम्मीद कर रही थी कि 15.50 लाख करोड़ रुपए की कुल रकम में से 3 लाख करोड़ रुपए  500 और 1000 रुपए के नोट के तौर पर बैंकों में जमा नहीं होंगे. इस बात पर सरकार अपनी पीठ थपथपा सकती थी.

लेकिन यहां उलटा हो रहा है. कुल 15.50 लाख करोड़ रुपए में से 12 लाख करोड़ रुपए से अधिक के 500 और 1000 रुपए के नोट बैंकिंग सिस्टम में आ गए हैं. ऐसे में सरकार खुद एक ऐसी मुश्किल में फंस गई है.

आम आदमी फिलहाल सरकारी नीतियों के चक्रव्यूह में फंस चुका है, जिससे निकलने में काफी वक्त लग सकता है.