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अरविंद पनगढ़िया: जिन्हें पीएम मोदी ने देश की आर्थिक प्रगति का सारथी बनाया

गरीब परिवार में जन्मे पनगढ़िया राजस्थान में हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ते थे

FP Staff

नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. योजना आयोग का नाम बदल कर नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया किये जाने के बाद इसके उपाध्यक्ष बनाए गए. अरविंद पनगढ़िया तकरीबन ढाई साल तक पद पर रहे. नीति आयोग भारत सरकार के पॉलिसी थिंक टैंक हैं जिसके चेयरमैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.

पीएम मोदी ने योजना आयोग के नाम के साथ-साथ नीति बदलने के लिए पनगढ़िया को इसका पहला अध्यक्ष बनाया था.


अकादमिक क्षेत्र में पनगढ़िया की है गहरी रुचि

खबरों के मुताबिक अरविंद पनगढ़िया का इरादा दोबारा अकादमिक क्षेत्र में जाने का है.

वह इससे पहले अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में इंडियन पोलिटिकल इकॉनमी के प्रोफेसर रह चुके हैं.

पनगढ़िया देश के बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में गिने जाते हैं. उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, न्यू जर्सी से अर्थशात्र में डॉक्टरेट किया है. इसके अलावा उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से स्नातक किया था. वह एशियन डेवलपमेंट बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री भी रह चुके हैं.

अर्थशास्त्र में अपने योगदान के लिए पनगढ़िया देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित हो चुके हैं.

64 वर्षीय पनगढ़िया दुनिया के प्रमुख आर्थिक और वित्तीय संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं जिनमें वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ, डब्ल्यूटीओ और यूएन कांफ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट शामिल हैं.

इसके अलावा पनगढ़िया ने मुख्य तौर पर अर्थशास्त्र से जुडी कई किताबें भी लिखी हैं जिनमें 'इंडिया: द इमर्जिंग जायंट' शामिल है.

अमर्त्य सेन से रहे हैं मतभेद

पनगढ़िया का जन्म 30 सितम्बर, 1952 को राजस्थान में हुआ. गरीब परिवार में जन्मे पनगढ़िया हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ते थे. पढ़ने में तेज पनगढ़िया को उनके माता-पिता आईएएस अफसर बनाना चाहते थे पर वह खुद ऐसा नहीं चाहते थे.

पनगढ़िया के नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन से मतभेद भी चर्चा का केंद्र रहे हैं. जब अमर्त्य सेन ने 2013 में कहा था कि बच्चों की बड़ी संख्या में मौत खाद्य सुरक्षा कानून के पारित नहीं होने के चलते हो रही है तो पनगढ़िया ने इसपर अपनी असहमति जताई थी.