view all

जानिए कौन कर रहा है रामलला की 25 सालों से सेवा!

यह साधु 1992 से अयोध्या में रामलला की मूर्ति को नहलाने, खिलाने और कपड़े पहनाने का काम कर रहे हैं

FP Staff

साधु सत्येंद्र दास को विवादित रामजन्म भूमि में उस जगह जाने की इजाजत है जहां किसी और को नहीं. वे रामजन्मभूमि के गर्भ-गृह में जा सकते हैं, जिसके बारे में यह मान्यता है कि वहां भगवान राम का जन्म हुआ था.

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में दास कहते हैं कि यह मेरे लिए और मेरे सहयोगी पुजारियों के बहुत ही सौभाग्य की बात है कि हम भगवान के उस जगह की सेवा कर रहे हैं, जहां राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक को जाने की इजाजत है. यह भगवान की कृपा है कि मुझे यह मौका मिला है, मुझे किसी भौतिक वस्तु की आकांक्षा नहीं है. मुझे इस काम से संपूर्णता का एहसास होता है.


सत्येंद्र दास 80 साल के हो चुके हैं और वे 1 मार्च. 1992 से अयोध्या में रामलला की मूर्ति को नहलाने, खिलाने और कपड़े पहनाने का काम कर रहे हैं.

दास संस्कृत के विद्वान हैं और अयोध्या की संकरी गलियों में स्थित दो कमरे के फ्लैट में रहते हैं. हर दिन करीब 10,000 श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए आते हैं.

महज 8480 रुपए है वेतन

दास को सरकार ने इस काम के लिए मुख्य पुजारी नियुक्त किया है. जब उन्हें नियुक्त किया गया था तब उनका वेतन 150 रुपए प्रति महीने था. अभी उन्हें 8,480 रुपए हर महीने मिलता है.

दास बताते हैं कि वे 1958 में संत कबीर नगर से ज्ञान और मुक्ति की खोज के लिए अयोध्या आए थे. इसके बाद उन्होंने संस्कृत व्याकरण, वेदांत और फिर आचार्य की पढ़ाई की. दास का कहना है कि साहित्य और मंदिर की सेवा ही उनकी एकमात्र संपत्ति है.

वे रामलला की सेवा में लगे अन्य कर्मचारियों पर भी नजर रखते हैं. उनके साथ 4 सहयोगी पुजारी, एक कोठारी और रामलला के लिए भोग तैयार करने के लिए एक भंडारी भी नियुक्त है. इन सबको 4,500 रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता है.