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मिशन 2019: नए फेरबदल में इन चेहरों पर दांव लगा सकते हैं पीएम मोदी

सूत्रों के मुताबिक, दो सितंबर को दोपहर बाद कैबिनेट विस्तार संभव है नहीं तो पितृपक्ष के बाद शुभ मुहूर्त का इंतजार करना होगा

FP Staff

कैबिनेट फेरबदल को लेकर अटकलों का बाजार गरम है. राजधानी दिल्ली में लगातार हो रही मुलाकातों के दौर ने सियासी पारा और बढ़ा दिया है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से वित्त मंत्री अरुण जेटली और लघु एवं सूक्ष्म उद्दोग मंत्री कलराज मिश्र की मुलाकात हुई है.

इसके बाद कई दूसरे नेताओं ने भी पार्टी अध्यक्ष से मुलाकात की है. पार्टी के भीतर चल रही हलचल के बाद माना जा रहा है कि कैबिनेट फेरबदल जल्द हो सकता है.


पिछले एक हफ्ते से अध्यक्ष अमित शाह लगातार दिल्ली में डेरा डाले बैठे हैं. इस दौरान उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ के वरिष्ठ नेताओं से भी अलग-अलग बात-चीत हो रही है. मुलाकातों के इस दौर में चर्चा सरकार और संगठन में बड़े बदलाव को लेकर हो रही है.

2019 के लोकसभा चुनाव के पहले सरकार में इसे आखिरी बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है. क्योंकि लोकसभा चुनाव के वक्त आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडीशा में चुनाव भी होने हैं. उसके पहले 2018 की आखिर में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा का चुनाव होगा. इसी साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव होना है. कई राज्यों में राज्यपाल का पद भी खाली है. लिहाजा इस बार सरकार से लेकर संगठन तक बड़े बदलाव की तैयारी हो रही है.

सूत्रों के मुताबिक, बीस से पच्चीस मंत्रियों के विभागों में फेरबदल हो सकता है या फिर कुछ की विदाई हो सकती है. कुछ नए मंत्रियों को शामिल भी किया जा सकता है. जेडीयू के एनडीए में शामिल होने के बाद जेडीयू कोटे के दो मंत्रियों का सरकार में शामिल होना तय है.

इनमें जेडीयू  संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया जा सकता है. जेडीयू के दूसरे सांसद को राज्यमंत्री बनाया जा सकता है. जेडीयू से राज्यसभा सांसद अनिल सहनी को राज्य मंत्री बनाया जा सकता है.

जेडीयू सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी से अलग होने के बाद जेडीयू अति पिछड़े तबके को साधने की तैयारी में है. ऐसे में पार्टी की तरफ से अतिपिछड़े निषाद जाति से आने वाले अनिल सहनी को बाकी नेताओं पर तरजीह देकर राज्यमंत्री बनाया जा सकता है. अनिल सहनी निषाद समाज से आते हैं जिसका उत्तर बिहार में खासा प्रभाव है.

आरएलएसपी अध्यक्ष और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा पर भी बाहर जाने का तलवार लटक रहा है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कुछ दिन पहले ही  कुशवाहा को मिलने के लिए बुलाया था, जिसके बाद उनके कैबिनेट से बाहर होने के कयास लगने शुरू हो गए हैं.

उपेंद्र कुशवाहा

दूसरी तरफ, बिहार के बीजेपी कोटे के कई मंत्रियों पर भी गाज गिर सकती है. खासतौर से बिहार से जेडीयू कोटे के दो मंत्रियों को शामिल करने के बाद पहले से मौजूद बीजेपी के एक या दो मंत्री बाहर किए जा सकते हैं.

राजनीतिक गलियारे में राजीव प्रताप रूडी और रविशंकर प्रसाद को संगठन में वापस भेजे जाने को लेकर चर्चा जोरों पर है. खासतौर से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से उनकी मुलाकात के बाद उनके बाहर जाने को लेकर अटकलें बढ़ गई हैं.

दूसरी तरफ, पार्टी के भीतर 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों से पहले मीडिया विभाग को और चुस्त-दुरुस्त करने की तैयारी हो रही है. सूत्रों के मुताबिक, पार्टी आलाकमान चाहता है कि प्रवक्ताओं की एक मजबूत टीम तैयार की जाए जो लोकसभा चुनाव तक सरकार के काम को मजबूती से जनता के सामने रख सके.

इसी के मद्देनजर रविशंकर प्रसाद जैसे पुराने वरिष्ठ प्रवक्ताओं को फिर से मुख्य प्रवक्ता और संगठन में महत्वपूर्ण पद देकर लाया जा सकता है.

रविशंकर प्रसाद का राज्यसभा का कार्यकाल अगले साल खत्म हो रहा है. ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि उन्हें इस बार  राज्यसभा का दोबारा टिकट ना दिया जाए और उन्हे अगले लोकसभा चुनाव में पटना साहिब से बीजेपी का उम्मीदवार बना दिया जाए. बीजेपी फिलहाल शत्रुघ्न सिन्हा के बड़बोले बयानों से खुश नहीं है. ऐसे में अगली बार उनकी जगह रविशंकर प्रसाद को पटना साहिब से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है.

इसके अलावा यूपी से भी बीजेपी कोटे के कुछ मंत्रियों की छुट्टी संभव है. 75 की उम्र पार कर चुके केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र पर भी मंत्रिमंडल से बाहर होने की तलवार लटक रही है. जबकि दूसरे केंद्रीय मंत्री और गौतमबुद्ध नगर से सांसद डॉ महेश शर्मा को भी यूपी के भीतर संगठन में बड़ी जिम्मेदारी देकर उन्हें कैबिनेट से बाहर किया जा सकता है.

यूपी से बागपत से सांसद और मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर सतपाल सिंह की भी इस बार लॉटरी लग सकती है. उन्हें मोदी कैबिनेट में इस बार जगह दी जा सकती है.

इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा समेत कई और मंत्रियों को भी फिर से संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है. हिमाचल प्रदेश में इस साल के आखिर में चुनाव होने हैं और पार्टी सूत्रों के मुताबिक जे पी नड्डा को हिमाचल चुनाव जीताने की जिम्मेदारी दी जा सकती है. लेकिन, नड्डा को बाहर करने के बाद हिमाचल में समीकरण साधने की कोशिश में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल या फिर उनके सांसद बेटे अनुराग ठाकुर को कैबिनेट में जगह दी जा सकती है.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री  पीयूष गोयल, धर्मेन्द्र प्रधान, निर्मला सीतारमण और मनोज सिंहा को कैबिनेट मंत्री बनाकर उनकी तरक्की संभव है.

इसके अलावा नए मंत्रियों में बीजेपी उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे और असम से बीजेपी नेता हेमंत विश्वसर्मा को भी कैबिनेट में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है.बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के मौजूूदा महासचिव भूपेंद्र यादव और राम माधव को भी इस बार के कैबिनेट विस्तार में जगह दी जा सकती है.

वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने के बाद शहरी विकास मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभाव ग्रामीण  विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर संभाल रहे हैं जबकि सूचना प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी संभाल रही हैं. रक्षा मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय के लिए भी फुलटाइम मंत्री की तलाश है.

एक के बाद एक हो रहे रेल हादसों के बाद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की पेशकश कर दी है. ऐसे में रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी नीतिन गडकरी को दी जा सकती है. चर्चा है कि सुरेश प्रभु देश के नए रक्षा मंत्री बना दिए जाएं.

उधर कई राज्यों में राज्यपाल का पद खाली है. ऐसे में कुछ नए राज्यपालों की भी जल्द ही नियुक्ति होगी.

संगठन से लेकर सरकार तक हर स्तर पर व्यापक बदलाव कर 2019 की बडी लड़ाई के लिए बीजेपी अपने-आप को तैयार कर रही है. पूरी कवायद लगभग पूरी भी हो चुकी है. ऐसे में जल्द ही कैबिनेट विस्तार संभव है.

लेकिन, अगर अगले दो दिनों में कैबिनेट विस्तार नहीं हुआ तो फिर दो हफ्तों तक का इंतजार करना होगा क्योंकि प्रधानमंत्री तीन सितंबर से सात सितंबर तक चीन और म्यांमार के दौर पर जा रहे हैं और उनके वापस लौटने के बाद पितृपक्ष शुरू हो जाएगा जिसमें किसी तरह के शुभ काम की संभावना बेहद कम है. ऐसे में कैबिनेट विस्तार के लिए फिर सितंबर के आखिरी हफ्ते तक का  इंतजार करना होगा.

उधर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी एक सितंबर को तिरुपति जा रहे हैं जहां से दो सितंबर को दोपहर उनकी वापसी होगी. फिर तीन और चार सितंबर को राष्ट्रपति गुजरात दौरे पर रहेंगे. ऐसे में महज दो सितंबर के शाम का ही वक्त बचता है जब राष्ट्रपति दिल्ली में मौजूद रहेंगे.

सूत्रों के मुताबिक, दो सितंबर को दोपहर बाद कैबिनेट विस्तार संभव है. वरना, पितृपक्ष के बाद शुभ मुहुर्त का इंतजार करना होगा.