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जानिए अशोक चक्र से सम्मानित कमांडो निराला की शहादत की कहानी

कमांडो ज्योति प्रकाश निराला को यह सम्मान मरणोपरांत मिला, वो कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकियों से लड़ते हुए वह शहीद हो गए थे

FP Staff

गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वायुसेना के कमांडो ज्योति प्रकाश निराला को अशोक चक्र से सम्मानित किया. कमांडो ज्योति को यह सम्मान मरणोपरांत मिला, कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकियों से लड़ते हुए वह शहीद हो गए थे. शहीद कमांडो की ओर से उनकी पत्नी ने यह अशोक चक्र राष्ट्रपति से प्राप्त किया.

शांति के समय में दिया जाने वाला यह देश का सबसे बड़ा सम्मान होता है. बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले ज्योति प्रकाश निराला को देश सेवा में सर्वस्व न्योछावर करने पर यह सम्मान दिया गया. ज्योति एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो थे. वो ऑपरेशन रक्षक के अंतर्गत जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे.


बांदीपोरा में किया था साल का सबसे सफल ऑपरेशन

नवंबर 2017 को इंटेलिजेंस से जानकारी मिली कि बांदीपोरा के चंदरगढ़ गांव में आतंकवादी एक घर में छिपे हुए हैं. जानकारी मिलते ही निराला के नेतृत्व में सेना की टुकड़ी वहां पहुंच गई. सेना की टुकड़ी के वहां पहुंचते ही आतंकवादियों ने गोलीबारी कर दी. जिसकी आड़ में आतंकी वहां से भागना चाहते थे. लेकिन निराला अदम्य साहस दिखाते हुए खुद को उनके इतना करीब ले गए कि आतंकियों के भागने की संभावना समाप्त हो गईं.

आतंकियों पर गोलियां बरसाते हुए निराला ने दो आतंकवादियों को मार गिराया और दो को गंभीर रूप से घायल कर दिया. ज्योति के हाथों मारे गए दो खूंखार आतंकवादियों में से एक लश्कर कमांडर लखवी का भतीजा उबैद उर्फ ओसामा था और दूसरे का नाम महमूद भाई था.

इस गोलीबारी में कमांडो ज्योति को भी गोली लग गई लेकिन घायल होने के बाद भी वह आतंकियों का सामना करते रहे. सेना की इस कार्यवाई में घर में छिपे सभी छह आतंकवादी मारे गए लेकिन इस मुठभेड़ में कमांडो ज्योती शहीद हो गए.