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कितना राजनीतिक है ओबीसी जातियों में कैटगरी निर्धारण का फैसला?

बीते यूपी चुनाव के दौरान भी बीजेपी ने नॉन यादव ओबीसी वर्ग को टारगेट किया था

FP Staff

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ओबीसी समूह में अलग कैटगरी परीक्षण के लिए एक आयोग गठित कर दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस जी रोहिणी इस पांच सदस्यीय आयोग की अध्यक्ष हैं.

ये निर्णय ओबीसी समूह में ऐसी कैटगरी को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से लिया गया है जिन्हें इसका अभी तक ठीक से लाभ नहीं मिल पाया है.


इन निर्णय की जानकारी देने वाली सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार इसकी शुरुआत महात्मा गांधी की जन्मतिथि के दिन हुई है. इससे सरकार के सामाजिक समावेषण के प्रयासों को और ताकत मिलेगी. ये महात्मा गांधी की शिक्षा के और प्रसार में मदद करेगा.'

ओबीसी आरक्षण में सब कैटगरी बनाने के लिए आयोग साइंटिफिक पैमानों के जरिए ये तय करेगा कि जो जातियां आरक्षण के लाभ से बची रह गई हैं उन्हें कैसे ज्यादा से ज्यादा इसका लाभ पहुंचाया जाए.

ऐसा माना जा रहा है कि इस आयोग के गठन को लेकर विपक्षी पार्टियां विशेषत: मंडल आयोग की राजनीति से उपजी पार्टियां जरूर विरोध करेंगी. इनमें लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव विशेष रूप से शामिल हैं. राजनीतिक तौर पर अक्सर ये आरोप लगाए जाते हैं कि बीते बीस सालों के दौरान इन दोनों नेताओं के उभार ने यादव जाति का काफी उत्थान किया है. बीते विधानसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी ने ओबीसी वर्ग के नॉन यादव वोटर्स को लुभाने की कोशिश भी की थी.

इसके अलावा आयोग को दी गई 12 सप्ताह की समयसीमा को लेकर भी कहा जा रहा है कि ऐसा गुजरात चुनाव के मद्देनजर किया जा रहा है. केंद्र की सरकार चाहती है कि ओबीसी वर्ग में पिछड़ी जातियों की सब कैटगरी बनाकर उनका वोट लुभाने की कोशिश की जाए.

क्यों लिया गया ये निर्णय-

ये निर्णय बीते 23 अगस्त को कैबिनेट के उस फैसले के बाद लिया गया है जिसमें उन तथ्यों का पता लगाने की बात कही गई थी कि ओबीसी वर्ग में उन जातियों को चिन्हित किया जाए जिन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है. अभी तक ओबीसी आरक्षण में सब कैटगरी की कोई व्यवस्था नहीं है. ये  27 प्रतिशत है. कैबिनेट के फैसले के बाद ये बात निकलकर सामने आई थी कि ओबीसी वर्ग में कई ऐसी जातियां हैं जिनकी स्थिति बेहतर नहीं हो पाई हैं. इन जातियों को चिन्हित करने की बात कही गई थी.