view all

RSS की बैठक को आज संबोधित करेंगे प्रणब मुखर्जी, भाषण पर रहेगी सबकी नजर

अब तक के संघ की बैठकों को महात्मा गांधी, पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन, जयप्रकाश नारायण और सेना के कमांडर इन चीफ एम करिअप्पा संबोधित कर चुके हैं

FP Staff

पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी आज आरएसएस के कार्यक्रम में स्वयंसेवको को संबोधित करेंगे. सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि प्रणब मुखर्जी अपने भाषण में किन बातों का चर्चा करेंगे. बुधवार शाम को आरएसएस के मुख्यालय नागपुर पहुंचने के बाद से इस मामले पर तेजी से प्रतिक्रिया आने लगी है.

पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उनके कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर उन्हें नसीहत दी. तो अब सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का बयान भी आ गया. अहमद पटेल ने ट्वीट करके कहा है कि 'मैंने प्रणब दा से इसकी उम्मीद नहीं की थी.' पटेल चूंकि सोनिया गांधी के काफी करीबी हैं और उनकी राजनीति का पूरा हिसाब-किताब रखते हैं, ऐसे में जानकारों का मानना है कि पटेल ने अगर मुखर्जी जैसे वरिष्ठतम नेता को ऐसी सलाह दी तो किसके इशारे पर?


दूसरी ओर प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि उनके पिता नागपुर जाकर ‘बीजेपी और आरएसएस को फर्जी खबरें गढ़ने और अफवाहें फैलाने’ की सुविधा मुहैया करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनके ‘भाषण तो भुला दिए जाएंगे, लेकिन तस्वीरें (विजुअल्स) रह जाएंगी.’

मुखर्जी का यह बयान भी कम गंभीर नहीं माना जा रहा क्योंकि उन्होंने अपने पिता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के विचारों को 'फर्जी खबरें' और 'अफवाहों' तक कैद करके रख दिया.

प्रणब मुखर्जी के दौरे पर कांग्रेस के और भी कई नेताओं ने अपनी बात रखी लेकिन सोनिया गांधी के प्रेस सचिव अहमद पटेल और शर्मिष्ठा मुखर्जी के बयान काफी मायने रखते हैं क्योंकि यह बयान कांग्रेस की कोर कमेटी से आया तो दूसरा प्रणब के खुद के परिवार से.

शर्मिष्ठा ने ट्वीट किया, 'आशा करती हूं कि प्रणब मुखर्जी को आज की घटना से इसका अहसास हो गया होगा कि बीजेपी का डर्टी ट्रिक्स विभाग किस तरह काम करता है'. उन्होंने कहा, 'यहां तक कि आरएसएस कभी यह कल्पना भी नहीं करेगा कि आप अपने भाषण में उनके विचारों का समर्थन करेंगे लेकिन भाषण को भुला दिया जाएगा और तस्वीरें रह जाएंगी और इनको फर्जी बयानों के साथ फैलाया जाएगा'.

मुखर्जी के इस कार्यक्रम को लेकर और भी कई प्रकार की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. फर्स्टपोस्ट में राशिद किदवई ने लिखा है कि मुखर्जी का संघ की बैठक में जाना इस बात की ओर इशारा है कि आरएसएस अपना आधार और संगठन से जुड़े लोगों का दायरा बढ़ा रहा है.

किदवई ने सीएसडीएस-लोकनीति का हवाला देते हुए एक हालिया सर्वे का जिक्र किया है जिसमें कहा गया है कि 2019 के चुनाव में बीजेपी अपने दम पर बहुमत नहीं ले पाएगी. टूटे जनादेश या सरकार न बन पाने की दशा में प्रणब मुखर्जी जैसे लोग 2019 के 'पावर पॉलिटिक्स' में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक खबर में लिखा है कि पिछले हफ्ते केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्नीतला ने मुखर्जी को एक पत्र भेजकर उनसे बैठक

में हिस्सा न लेने का आग्रह किया था. चेन्नीतला ने अपनी चिट्ठी में लिखा था कि मुखर्जी का संघ की बैठक में शामिल होना देश के सेकुलर मिजाज के लिए 'अशिष्ट सदमा' है.

दूसरी ओर बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, प्रणब मुखर्जी से मेरा यही सवाल है कि क्या संघ के लिए पूर्व में दिए उनके बयान गलत थे? हमें पूरा याद है कि वे कैसे संघ की विचारधारा के खिलाफ शुरू से बोलते रहे हैं.

मुखर्जी के नागपुर जाने और संघ की बैठक को संबोधित करने से कांग्रेस का पूरा कुनबा नाराज हो, ऐसा नहीं है. पीटीआई ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे का बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा, 'प्रणब मुखर्जी सेकुलर व्यक्ति हैं. वे हमेशा अपने सेकुलर विचार को आगे रखते रहे हैं और वहां (नागपुर) में रखेंगे. वे बहुत अच्छे विचारक हैं और वहां उनका विचार काफी महत्वपूर्ण होगा.'

बिजनेस स्टैंडर्ड ने एक चौंकाने वाली खबर में लिखा है कि शर्मिष्ठा मुखर्जी ने प्रणब मुखर्जी के कार्यक्रम में जाने के विरोध में ट्वीट तब किया, जब कुछ सूत्रों के हवाले से खबर चली कि शर्मिष्ठा मुखर्जी बंगाल के मालदा सीट से 2019 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं. इस खबर को हालांकि, शर्मिष्ठा मुखर्जी के दफ्तर ने सिरे से नकार दिया. उनके ऑफिस से कहा गया कि मुखर्जी और बीजेपी के बीच कोई बात नहीं चल रही है.

मुखर्जी ने जब से इस कार्यक्रम में शरीक होने का न्योता मंजूर किया है, तब से इस मामले ने तूल पकड़ा हुआ है. गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी संघ के काडर ट्रेनिंग प्रोग्राम 'तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग' में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लेंगे.

एक तरफ कांग्रेस का कहना है कि मुखर्जी के इस कार्यक्रम में शामिल होने से 'बेवजह के मतभेद' पनपेंगे, तो दूसरी ओर खुद मुखर्जी कहते रहे हैं कि वे किसी पार्टी लाइन से जुड़कर नहीं बल्कि अपने विचार रखेंगे.

अब तक के संघ की बैठकों को महात्मा गांधी, पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन, जयप्रकाश नारायण और सेना के कमांडर इन चीफ एम करिअप्पा संबोधित कर चुके हैं.