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सीएम खट्टर ने क्यों जोड़े हरियाणा पुलिस के हाथ? CBI जांच की ये है वजह

एक सप्ताह के भीतर पुलिस ने जैसे कार्रवाई की है उससे लग रहा है कि वो बेहद हड़बड़ी में है

Ravishankar Singh

हरियाणा पुलिस की कथित थ्योरियों ने प्रद्युम्न हत्याकांड में इतने पेंच फंसा दिए कि सीएम खट्टर को न सिर्फ पहले खुद प्रद्युम्न के घर जाना पड़ा तो बाद में इंसाफ के लिये सीबीआई जांच का आदेश भी देना पड़ा. सीएम खट्टर मामले की गंभीरता और हरियाणा पुलिस की स्टाइल को समझ गए. इससे पहले मामला  और उलझता उन्होंने सीबीआई का वेलकम कर हरियाणा पुलिस को आइना दिखा दिया. राजनीतिक नजर में वो पीड़ित परिवार की सीबीआई मांग को मान गए लेकिन दूरदर्शी नजर में वो हरियाणा पुलिस की एफआईआर की पटकथा को जान भी गए.

पहले जाट आंदोलन में फजीहत, फिर गुरमीत राम रहीम मसले पर हाईकोर्ट की फटकार और अब गुरुग्राम के रायन स्कूल के एक छात्र प्रद्युम्न मर्डर केस को उलझाने का आरोप. इन तमाम मामलों में हरियाणा पुलिस की कार्यशैली ने केवल खट्टर सरकार का ही सिरदर्द बढ़ाने का काम किया है.


प्रद्युम्न की हत्या के बाद पहले दिन और पहले घंटे से ही हरियाणा पुलिस  सवालों के घेरे में है.  सबसे बड़ा सवाल ये है कि प्रद्युम्न को घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाने में इतनी देर क्यों हुई?

दूसरा सवाल ये है कि प्रद्युम्न को किसी मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल की बजाए सामान्य से अस्पताल क्यों ले जाया गया?

इन दो मामलों में हरियाणा पुलिस को सबसे पहले रायन मैनेजमेंट की लापरवाही पर बयान दर्ज कराने चाहिए थे. लेकिन हरियाणा पुलिस का फोकस कंडक्टर अशोक से हटा ही नहीं. हिरासत में लेने के कुछ घंटे बाद ही कंडक्टर को गिरफ्तार कर हरियाणा पुलिस ने मामले का अपनी तरफ से पटाक्षेप ही कर दिया.

जबकि सच्चाई ये है कि हरियाणा पुलिस या तो खुद बेहद कन्फ्यूज़ थी और अंधेरे में तीर चला रही थी या फिर वो किसी बड़े दबाव के चलते प्रद्युम्न हत्याकांड को कंडक्टर की गिरफ्तारी पर ही समेटना चाहती थी.

मीडिया की रिपोर्टिंग में जो बातें और सीसीटीवी फुटेज से जो हकीकत सामने आ रहीं थीं वो लगातार हरियाणा पुलिस को ही कटघरे में खड़ा कर रही थीं. हरियाणा पुलिस के सबूत ही उसकी जांच के खिलाफ जा रहे थे. कहीं न कहीं ये हत्याकांड किसी और मास्टरमाइंड की मौजूदगी का भी अहसास करा रहा था.

एक तरफ गिरफ्तार कंडक्टर के परिवारवालों का आरोप है कि उसे नशे का इंजेक्शन देकर बयान लिया गया है. वहीं उसे हत्या कबूल करने के लिए थर्ड डिग्री का टॉर्चर भी दिया गया है.

सबूत के नाम पर हरियाणा पुलिस के पास वो चाकू है जिसे पुलिस नया बता रही है जबकि कंडक्टर के पहले दिए गए बयान में वो चाकू बस में काफी समय से पड़ा था जिससे ड्राइवर ने साफ इनकार किया था.

किसी भी हत्या के मामले में सबूत की अपनी अहमियत होती है. वेपन की बरामदगी के अलावा हत्या की असल वजह जानना बेहद जरूरी होता है. लेकिन प्रद्युम्न हत्याकांड में न तो कंडक्टर का बयान हत्या की वजह से मेल खा रहा है और न ही बरामद वेपन कुछ साबित कर पा रहा है.

प्रद्युम्न मर्डर केस में गुरुवार को हरियाणा पुलिस ने स्कूल के माली से 5 घंटे तक लगातार पूछताछ की. माली के दावों ने हरियाणा पुलिस की थ्योरी की हवा निकाल दी.

स्कूल के माली हरपाल का कहना है कि जब उसने पहली बार ड्राइवर अशोक के देखा तो उसके कमीज पर खून के धब्बे नहीं थे. लेकिन बाद में पुलिस ने माली को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी. माली का आरोप है कि पूछताछ के दौरान उसे पीटा गया और पानी में उसके सिर को डुबोया गया.

बड़ा सवाल ये है कि आखिर माली के साथ पुलिस के थर्ड डिग्री टॉर्चर की वजह क्या है?

पिछले एक सप्ताह में पुलिस पर पूछताछ में कथित तौर पर मारपीट करने का ये दूसरा आरोप लगा है. इससे पहले बस ड्राइवर सौरभ राघव ने भी पुलिस पर मानसिक दबाव बनाने का आरोप लगाया था.

स्कूल का माली हरपाल इस केस में एक अहम गवाह है. हरपाल ही वह पहला शख्स था जिसने सबसे पहले प्रद्युम्न को खून से लथपथ देखा था.

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने पुलिस पूछताछ के बाद माली हरपाल से बात की थी. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक हरपाल ने कहा, 'मेरी ड्यूटी सुबह 7 बजे शुरू होती है. मैं पानी पीने स्कूल के अंदर गया था. स्कूल के ग्राउंड फ्लोर के वॉश रूम के बाहर वाटर कूलर लगा है.

'मैंने पानी पिया और फिर जाने लगा. तभी मैने कुछ चीखने की आवाज सुनी. दो-तीन बच्चे वहां पहले से थे. उन्होंने फर्श पर पड़े प्रद्युम्न की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अंकल जी इस बच्चे को क्या हो गया?'

'मैं भी थोड़ा नर्वस हो गया. तभी उन बच्चों ने मुझे कहा कि अंजू मैडम (जूनियर बच्चों की इंचार्ज) को बुलाइए. जब मैं टीचर के साथ वापस लौटा तो देखा कि कंडक्टर अशोक भी वहीं खड़ा था.'

'अशोक की शर्ट पर उस समय तक खून का कोई निशान नहीं था. अंजू मैडम ने अशोक को बाहर जाने में मदद करने को कहा. अशोक उस बच्चे को हाथ में लेकर मैडम के साथ बाहर गया.'

बुधवार को भी उसी माली हरपाल से हरियाणा पुलिस ने दो घंटे तक पूछताछ की थी. इस मामले की जांच करने वाली एसआईटी की टीम ने स्कूल में हर उस शख्स से पूछताछ की जो वारदात के दिन किसी न किसी रूप से घटना का गवाह रहा था.

हरियाणा पुलिस अपनी जांच के दौरान लगातार कहती रही कि यह वारदात दस मिनट के अंदर हुई और इस केस में पुलिस के पास न केवल साइंटिफिक बल्कि तकनीकी रूप से इतने मजबूत सबूत हैं जो आरोपी को दोषी साबित करने में सहायक होंगे.

इसके बावजूद पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठते हैं. कंडक्टर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने कहा था कि आरोपी ने मर्डर के बाद यूनिफॉर्म बदलने की बात कबूली है. इस पर कंडक्टर की पत्नी का कहना है कि उसके पति के पास स्कूल की दी हुई एक ही यूनिफॉर्म थी.

अब सवाल यह है कि वारदात के बाद उसने दूसरी यूनिफॉर्म कैसे पहनी? चाकू पर खून के निशान न होने और चाकू नया होने की बात पहले ही सामने आ चुकी है.

इसके अलावा यह भी सवाल उठ रहे हैं कि पुलिस ने एक ही दिन में हिरासत में लेकर फिर गिरफ्तारी करने में जल्दी क्यों दिखाई?

पुलिस के मुताबिक प्रद्युम्न की ड्रेस पर सीमेन के अंश मिले थे. जबकि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर दीपक माथुर ने इस बात से साफ इनकार किया है. इससे यह बात निकल कर आ रही है कि पुलिस जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में विरोधाभास हैं.

हरियाणा सरकार की तरफ से इस मामले में चार्जशीट शनिवार यानी 16 सितंबर तक दाखिल करने की बात कही गई थी लेकिन अब खट्टर सरकार खुद समझ गई कि हरियाणा पुलिस ने उसकी फजीहत कराने में कोई कमी नहीं छोड़ी है. ऐसे में किरकिरी से बचने के लिये सीबीआई को जांच सौंपने का फैसला किया है.

चाहे वर्णिका कुंडू-विकास बराला का मामला हो या फिर डेरा प्रमुख राम रहीम की गिरफ्तारी में पुलिस की कारगुजारी हो, हाल के दिनों में हरियाणा पुलिस कई बार विवादों के घेरे में आई है. इसके बावजूद ऐसा लगता है कि हरियाणा पुलिस खुद में सुधार लाने के लिये तैयार नहीं है. रायन स्कूल मर्डर केस के जरिए उसे अपनी छवि सुधारने का एक मौका मिला था लेकिन पुलिस ने उसे गंवा दिया और सूबे के मुख्यमंत्री को आखिरकार सीबीआई को केस सौंपना पड़ गया.