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राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास करने बिहार जाएंगे पीएम मोदी

सभी परियोजनाओं का शिलान्यास कार्यक्रम मोकामा में होगा जहां प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहेंगे

Bhasha

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बिहार में चार जलमल निकासी परियोजनाओं और चार राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे जिसकी लागत 3,769 करोड़ रुपए आएगी.

जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इसमें चार जलमल निकासी परियोजनाओं की लागत 738 करोड़ रुपए और चार राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की लागत 3031 करोड़ रुपए है. इन चार राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 195 किलोमीटर होगी .


इन सभी परियोजनाओं का शिलान्यास कार्यक्रम मोकामा में होगा जहां प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहेंगे .

चार जल निकासी परियोजनाओं में बेउर में जलमल शोधन संयंत्र, बेउर में ही जलमल नेटवर्क के साथ जलमल प्रणाली, करमालीचक में जलमल शोधन संयंत्र तथा सैदपुर में जलमल नेटवर्क निर्माण शामिल है. इन परियोजनाओं से 120 एमएलडी नई जलमल शोधन संयंत्र क्षमता सृजित होगी. इसके साथ ही बेउर में वर्तमान 20 एमएलडी क्षमता का उन्नयन किया जा सकेगा.

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री जिन चार राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे उनमें एनएच 31 पर औंता-सिमरिया खंड को चार लेन बनाने का और गंगा सेतु पर छह लेन की सड़क के निर्माण का कार्य शामिल है. इस पर 1161 करोड़ रुपए की लागत आएगी.

इसके साथ ही एनएच 31 पर बख्तियारपुर-मोकामा खंड को चार लेन का बनाने के कार्य पर 837 करोड़ रुपए की लागत आएगी जबकि एनएच 107 पर महेश्वरखूंट सहरसा पूर्णिया खंड पर दो लेन की सड़क के निर्माण पर 736 करोड़ रुपए की लागत आएगी. एनएच 82 पर बिहारशरीफ बरबीघा मोकामा खंड पर दो लेन की सड़क के निर्माण पर 297 करोड़ रूपये की लागत आयेगी.

जल संसाधन मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पटन में सात अन्य जलमल परियोजनाएं लागू किए जाने के विभिन्न चरणों में है जिसमें से दीघा और कंकरबाग क्षेत्र में दो परियोजनाएं शामिल है. इन्हें हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल के आधार पर सार्वजनिक निजी साझेदारी के तहत मंजूरी दी गई है.

पटन की वर्तमान जनसंख्या 16,83,000 है और शहर में वर्तमान में 220 एमएलडी उत्पन्न होता है. साल 2035 तक इसके बढ़कर 320 एलएलडी होने की उम्मीद है. दीघा और कंकरबाग में कोई शोधन सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में वर्तमान शोधन क्षमता के विस्तार और जलमल शोधन प्रणाली को ऐसे क्षेत्रों में आगे बढ़ाने की जरूरत है जहां यह सुविधा नहीं है.