view all

मोदी सरकार का मूडीज पर रेटिंग बेहतर करने का दबाव नाकाम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास पुरुष की छवि भी दुनिया भर में और मजबूत होती.

FP Staff

भारत सरकार ने अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज के काम करने के तरीके पर सवाल उठाए हैं. कर्ज और बैकों की खस्ता हालत को देखते हुए मूडीज ने भारत की अंतरराष्ट्रीय रेटिंग बढ़ाने से इंकार कर दिया था. इसके बाद मोदी सरकार ने रेटिंग सुधारने के लिए मूडीज पर भरपूर दबाव डालने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली.

मूडीज से बेहतर रेटिंग मिलने से मोदी सरकार के विदेश निवेश बुलाने की कोशिशों को मदद मिलती. भारत सरकार का दावा है कि वह दुनिया में सबसे तेज गति बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. ऐसे में मूडीज रेटिंग में सुधार सरकार की कोशिशों के लिए सोने पर सुहागा का काम करती. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास पुरुष की छवि भी दुनिया भर में और मजबूत होती.


मूडीज के रवैये से संतुष्ट नहीं

अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार भारत सरकार ने मूडीज में अपने रेटिंग बढ़वाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की. ऐसा नहीं होने पर भारत ने मूडीज के रेटिंग देने के तौर-तरीकों पर सवाल खड़े किए.

मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही भारत में निवेश के लिए दुनिया भर में छवि सुधारने का दावा किया. इसके अलावा सरकारी घाटा और महंगाई कम करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए. लेकिन इन सबके बावजूद रेटिंग में सुधार नहीं हुआ.

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने अपनी खबर में मूडीज और वित्त मंत्रालय के बीच संवाद के हवाले से बताया कि सरकार एजेंसी की चिंताओं को दूर करने में नाकाम रही. मूडीज एजेंसी को भारत के उपर लदे कर्ज को लौटाने की क्षमता पर शक है. वहीं भारतीय बैंको के 13600 करोड़ रुपए डूबने से बचाने के लिए भी भारत के पास कोई ठोस रणनीति नहीं है.

इसी साल अक्टूबर के महीने में ईमेल के जरिए वित्त मंत्रालय ने रेटिंग जारी करने के मूडीज के तरीके पर सवाल उठाया. मंत्रालय का तर्क था कि मूडीज पिछले कुछ सालों में भारत के घटते कर्ज को संज्ञान में नहीं ले रहा. मंत्रालय ने मूडीज को लिखी चिट्ठी में आरोप लगाया कि वो विकास का अनुमान लगाते वक्त देश की वित्तीय ताकत का सही अंदाजा नहीं लगाया.

कोशिशें नाकाम

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी खबर में आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास और मूडीज की विश्लेषक मैरी दिरोन की मुलाकात में तनाव का जिक्र किया है. 21 सितंबर को नार्थ ब्लॉक में शक्तिकांत दास के दफ्तर में हुई इस बैठक में रेटिंग को रिव्यू करना था. इस बैठक के बाद दिरोन ने भारती मीडिया से कहा कि भारत की रेटिंग में सुधार होने में अभी कुछ साल और लगेंगे.

इसके बाद 27 अक्टूबर को दिरोन को लिखे एक ईमेल में शशिकांता दास ने कहा कि भारत में राजनीतिक अस्थिरता का जोखिम पहले स कम हुआ है. दास ने इस ईमेल में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए भारत सरकार की कोशिशों का जिक्र किया. इसके आधार पर दास ने मूडीज से अपनी रेटिंग बदलने की मांग की.

मूडीज ने भारत में निवेश के लिए पॉजिटिव आउटलुक बनाए रखा है. लेकिन 17 नवंबर को जारी बयान में रेटिंग बेहतर करने से साफ इंकार कर दिया.