नोटबंदी के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काले धन पर नियंत्रण लगाने के साथ भ्रष्टाचार पर काबू पाने की सोच भी थी. लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा.
बाजार में नए नोट आए दस दिन भी नहीं हुए हैं. भ्रष्टाचार में नए नोटों के इस्तेमाल का पहला मामला सामने आ गया है.
मध्यप्रदेश शिक्षा मंडल के तीन अधिकारियों को 25000 रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया. यह कारवाई लोकायुक्त पुलिस ने भोपाल में की. इस रकम में 2000 रुपए के पांच नए नोट भी शामिल थे.
अपने ही विभाग की एक महिला क्लर्क को सस्पेंड होने से बचाने के लिए रविशंकर पाल, अशोक कैथवास और पीएस राजपूत ने एक लाख रुपए की मांग रखी थी. इसमें से 25000 रुपए एडवांस के रूप में लिए जा रहे थे.
मध्यप्रदेश शिक्षा मंडल के संभागीय कार्यालय में 54 वर्षीय रोली श्रीवास्तव सहायक के हैं. कुछ दिनों पहले उनसे 10वीं और 12वीं क्लास के 15 अयोग्य छात्रों के नाम गलती से योग्य छात्रों की लिस्ट में जुड़ गए थे.
यह गलती खुद रोली की ही पकड़ में आई. जिसे उन्होंने अपने संभागीय अधिकारी अशोक कैथवास के साथ साझा किया था. इसके बाद से ही कैथवास के साथ मिलकर सेक्शन ऑफिसर पीएस राजपूत और उनके सहायक रविशंकर पाल रोली को परेशान करने लगे.
इन अधिकारियों ने रोली को बताया कि गलती बड़ी है. इसको रफादफा करने के लिए एक लाख रुपए लगेंगे. रोली ने लोकायुक्त पुलिस में इसकी शिकायत 10 नवंबर को की थी.
नोटबंदी की बाद देश में भ्रष्टाचार का यह पहला मामला है. लेकिन इसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी से भ्रष्टाचार रुकने के दावे की पोल खोल दी है. गौर करने वाली बात यह है कि यहां भी बीजेपी सरकार है.