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PM का बिहार दौरा : महात्मा की कर्मभूमि से क्या होगा मोदी का संदेश ?

मोतिहारी में मौका स्वच्छा अभियान का रहेगा. लेकिन, नजर इस दिन निकलने वाले सियासी संकेतों पर होगी.

Amitesh

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे को लेकर तैयारी जोर-शोर से चल रही है. अगले 10 अप्रैल को मोदी चंपारण की उसी धरती से स्वच्छता मिशन को नई धार देंगे जहां से महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह का बिगुल फूंका था.

सौ साल पहले 10 अप्रैल 1917 को ही महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह के लिए बिहार की धरती पर कदम रखा था. सौ साल पूरा होने के मौके पर पिछले साल यानी 10 अप्रैल 2017 को चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह की शुरुआत की गई थी. अब इस समारोह का समापन प्रधानमंत्री मोदी करेंगे. इस कार्यक्रम का नाम दिया गया है ‘सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह.’


बिहार के पूर्वी चंपारण के जिला मुख्यालय मोतिहारी में मोदी इस दिन सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह कार्यक्रम में देश भर के चार लाख स्वच्छाग्रहियों को संबोधित करेंगे. हालांकि, इनमें से केवल 20 हजार स्वच्छाग्रही ही मोतिहारी में कार्यक्रम स्थल पर मौजूद रहेंगे. बाकी देश के अलग-अलग हिस्सों में सोशल मीडिया और इलेक्ट्रोनिक माध्यमों के जरिए प्रधानमंत्री के स्वच्छता मिशन को आगे बढ़ाने पर दिए गए संदेश को देखेंगे.

ये सभी स्वच्छाग्रही देश भर में खुले में शौच से मुक्ति यानी ओडीएफ के लिए काम कर रहे हैं. हालांकि 10 अप्रैल को होने वाले कार्यक्रम से पहले ये सभी 20 हजार स्वच्छाग्रही बिहार के अलग-अलग जिलों में जाकर जागरुकता अभियान भी चला रहे हैं. इस तरह के अभियान का काफी फायदा भी हुआ है.

केंद्र में सरकार बनने के बाद 2 अक्टूबर 2014 को ही प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के जन्मदिन के मौके पर देश भर में स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी. इसे मोदी सरकार ने बड़े मिशन और चुनौती के तौर पर लिया था. उस वक्त अगले पांच सालों में स्वच्छता अभियान को अपने अंजाम तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था. सरकार का दावा है कि 2 अक्टूबर 2019 तक देश भर में सभी गांवों को खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ घोषित कर दिया जाएगा.

प्रतीकात्मक तस्वीर

2 अक्टूबर 2014 को जब स्वच्छता अभियान की शुरुआत की गई थी, उस वक्त  पूरे देश में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या 55 करोड़ के आस-पास थी. लेकिन, अब यह आंकड़ा घटकर 20 करोड़ ही रह गया है. लेकिन, सरकार का लक्ष्य इस आंकड़े को घटाकर शून्य पर लाने का है. सरकार का दावा है कि 2 अक्टूबर 2019 तक इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा.

सरकारी आंकड़े के मुताबिक, मोदी सरकार बनने के बाद जब से स्वच्छता अभियान की शुरुआत हुई है, तभी से स्वच्छता को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है. इस अभियान की शुरुआत में जहां देश भर में स्वच्छता का प्रतिशत 38.7 के करीब था, वह अब बढ़कर 80 फीसदी से ज्यादा हो गया है. इस वक्त देश भर में 3 लाख 44 हजार गांव, 360 जिले, 15 राज्य और तीन केंद्र शासित प्रदेशों को पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है.

मोतिहारी से सांसद केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में लगे हैं. फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान राधामोहन सिंह बताते हैं कि ‘इस कार्यक्रम से स्वच्छता को लेकर देशभर में बेहतर संदेश जाएगा. स्वच्छता को लेकर लोगों में जागरुकता बढ़ेगी.’

हालांकि इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ मौजूद रहेंगे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही पिछले साल चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह की शुरुआत की थी. उस वक्त नीतीश कुमार महागठबंधन का हिस्सा हुआ करते थे. नीतीश कुमार के उस वक्त के प्रयास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष के चेहरे के तौर पर खुद को स्थापित करने की कोशिश के तौर पर लिया गया था. माना गया था कि नीतीश कुमार इस कदम से विपक्षी दलों के भीतर अपनी छवि को और बेहतर करना चाहते हैं. उस वक्त नीतीश कुमार ने कहा था ‘हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत गांधी जी का विचार है.’

उन्होंने उस वक्त असहिष्णुता का जिक्र करते हुए कहा था कि ‘देश और दुनिया में असहिष्णुता का माहौल है.’ नीतीश कुमार ने गांधीजी के विचारों पर सार्थक बहस करने की नसीहत देते हुए कहा था कि इससे जो नतीजा निकलेगा वह देश के लिए महत्वपूर्ण होगा.

लेकिन, वक्त ने करवट ली और पदयात्रा के कुछ ही महीने बाद जुलाई में नीतीश कुमार को महागठबंधन से बाहर होना पड़ा था. भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे लालू परिवार से अपना पिंड छुड़ाकर फिर से नीतीश कुमार अपने पुराने साथी के साथ आ चुके हैं.

अब शताब्दी समारोह के एक साल पूरा होने के मौके पर वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रहेंगे. लेकिन, इस साथ पर भी क्या बात होती है यह देखने वाली बात होगी. पिछले साल असहिष्णुता की बात करने वाले नीतीश कुमार इस बार क्या रुख अपनाते हैं. इस पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी. यह सवाल इसलिए सियासी फिजांओं में तैर रहा है क्योंकि बीजेपी के कुछ नेताओं के हाल के बयान और सांप्रदायिक तनाव को लेकर नीतीश कुमार असहज महसूस कर रहे हैं.

हालांकि बीजेपी आलाकमान अपनी पार्टी के बयानबाज नेताओं के साथ खड़े होने के बजाए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ दिख रहा है. तो क्या प्रधानमंत्री की तरफ से अहिंसा के पुजारी की कर्मभूमि से कोई बड़ा संदेश दिया जाएगा या फिर नीतीश कुमार इस मौके पर सांप्रदायिक सौहार्द के मुद्दे पर कोई संदेश देंगे. यह बड़ा सवाल बना हुआ है. खैर, इसके लिए तो 10 अप्रैल तक का इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन, मोदी-नीतीश के मंच साझा करने और स्वच्छता अभियान पर दोनों की जुगलबंदी सांप्रदायिक माहौल खराब करने वाले नेताओं के लिए बड़ा संदेश छोड़ जाएगी. मोतिहारी में मौका स्वच्छा अभियान का रहेगा. लेकिन, नजर इस दिन निकलने वाले सियासी संकेतों पर होगी.