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अगले हफ्ते तय होगा खरीफ की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य, पीएम मोदी ने किया बड़ा ऐलान

धान सहित अन्य खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) को अगले हफ्ते मंत्रिमंडल में मंजूरी दी जाएगी

FP Staff

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि धान सहित अन्य खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) को अगले हफ्ते मंत्रिमंडल में मंजूरी दी जाएगी जो उनकी उत्पादन लागत का कम से कम डेढ़ गुना होगा.

उन्होंने यह भी कहा कि गन्ने के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा अगले दो हफ्ते में होगी. यह 2017-18 की दरों से अधिक होगा. गन्ने के लिए केंद्र सरकार की ओर से घोषित मूल्य को उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) भी कहा जाता है.


मोदी ने यह आश्वासन प्रमुख उत्पादक राज्यों मसलन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तराखंड और पंजाब के 140 गन्ना उत्पादकों के साथ बातचीत में दिया. पिछले दस दिन में यह मोदी की किसानों के साथ दूसरी बैठक है. चुनावी साल में सरकार कृषि क्षेत्र के संकट को दूर करने का प्रयास कर रही है और उसने चीनी क्षेत्र के लिए 8,500 करोड़ रुपए के पैकेज सहित कई घोषणाएं की हैं.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है कि खरीफ साल 2018-19 में अधिसूचित फसलों के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की आगामी बैठक में न्यूनतम समर्थन मूल्य को उत्पादन लागत के 150 प्रतिशत पर तय करने को मंजूरी दी जाएगी.

बयान में कहा गया है कि इससे किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकेगी. एमएसपी में बढोतरी की घोषणा अगले हफ्ते होगी. मोदी ने किसानों को यह भी बताया कि चीनी साल 2018-19(अक्तूबर-सितंबर) के लिए गन्ने के एफआरपी की घोषणा भी अगले दो हफ्तों में की जाएगी.

गन्ने से रिकवरी 9.5 प्रतिशत से अधिक होने पर किसानों को करेंगे प्रोत्साहित: पीएम

पीएम मोदी ने कहा कि यह 2017-18 से अधिक होगा. इसके अलावा उन किसानों को प्रोत्साहन भी दिया जाएगा जिनकी गन्ने से रिकवरी 9.5 प्रतिशत से अधिक है. चालू साल 2017-18 के लिए एफआरपी 255 रुपए प्रति क्विंटल है. कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने अगले साल के लिए इसमें 20 रुपए प्रति क्विंटल की बढोतरी का सुझाव दिया है.

इस बैठक में पीएम मोदी ने किसानों को गन्ना किसानों के बकाए को चुकाने के लिए किए गए विभिन्न फैसलों की भी जानकारी दी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पिछले सात से दस दिन में किसानों को 4,000 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया दिया गया है. ऐसा नए नीतिगत उपायों को लागू करने से संभव हुआ है.'

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार एक जून तक गन्ना किसानों का बकाया 22,654 करोड़ रुपए था, जो अब घटकर 19,816 करोड़ रुपए रह गया है. किसानों की आय बढ़ाने के लिए मोदी ने स्प्रिंकलर और ड्रिप सिंचाई, आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकियों और सौर पंपों तथा सौर पैनलों के इस्तेमाल पर जोर दिया.

सरकार की पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण की योजना पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह चीनी उद्योग को स्थिरता देने के लिए एक दीर्घावधि का समाधान होगा. पिछले कुछ महीनों के दौरान सरकार ने घाटे में चल रही चीनी मिलों को गन्ना उत्पादकों के बकाए के भुगतान में मदद के लिए कई कदम उठाए हैं. इनके तहत चीनी पर आयात शुल्क दोगुना कर 100 प्रतिशत किया गया है. निर्यात शुल्क को समाप्त किया गया है और 8,500 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की गई है.

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और सबसे बड़ा उपभोक्ता है. 2017-18 के(अक्तूबर-सितंबर) में यह रिकॉर्ड 3.2 करोड़ टन पर पहुंच जाने की उम्मीद है. इससे पिछले साल चीनी उत्पादन 2.03 करोड़ टन रहा था.