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अहमदाबाद में दौड़ी भारत और जापान के रिश्तों की 'बुलेट ट्रेन'

भारत और जापान के बीच गहराते संबंधों की एक कड़ी खुद पीएम मोदी हैं

Kinshuk Praval

भारत की धरती पर जब जापान के प्रधानमंत्री को लेकर जापान का विमान उतरा तब सबकी निगाहें प्लेन पर ठहर गईं. प्लेन पर भारत और जापान के झंडे एकसाथ लहरा रहे थे. साथ लहराते ये झंडे दोनों देशों की दोस्ती का प्रतीक थे. इस तस्वीर को ही देखकर दोनों देशों के रिश्ते की गर्माहट को महसूस किया जा सकता है.

पीएम शिंजे आबे की अगवानी के लिए खुद पीएम मोदी प्रोटोकाल तोड़ते हुए एयरपोर्ट पर पहुंचे जहां मोदी ने शिंजो का गले लगा कर स्वागत किया. उसके बाद दोस्ती की मुलाकात नए सफर पर आगे बढ़ चली. दोनों पीएम एक साथ 8 किमी लंबे रोड शो पर चले. पीएम शिंजे आबे की पत्नी भी रोड शो में साथ रहीं और वो रास्ते भर सभी राज्यों की झांकियों को अपने मोबाइल में कैद करती दिखीं.


दोनों पति-पत्नी भारतीय पारंपरिक परिधान में थे. शिंजो आबे नेहरू जैकेट पहने हुए थे तो आकी आबे सलवार सूट में लोगों का अभिवादन करती रहीं. रोड शो के बाद साबरमती आश्रम अपने अतिथियों का गवाह बना. शिंजे आबे ने महात्मा गांधी की तस्वीर पर माला चढ़ाई फिर कुछ देर तक तीनों रिवर फ्रंट पर साथ बैठे.

जापानी पीएम के दो दिवसीय दौरे के पहले दिन की ये झलकियां थीं. टीवी चैनलों में देश ने दोनों पीएम के बीच की केमिस्ट्री को करीब से लाइव देखा. शिंजे आबे सिर्फ पीएम मोदी के लिए ही नहीं बल्कि भारत के लिए भी जापान से आए दोस्त हैं. वो दोस्त जिसने मुश्किल घड़ी में साथ दिया. वो दोस्त जो भारत को बुलेट ट्रेन दे रहा है. जापान आज वो दोस्त है जो भारत में अरबों रुपए का निवेश कर रहा है जिससे कि देश के युवाओं के लिए रोजगार पैदा हो सके.

लेकिन सबसे बड़ी सौगात बुलेट ट्रेन के रूप में जापान भारत को दे रहा है. भारत जैसे विकासशील देश में बुलेट ट्रेन किसी सपने सी दिखाई देती है. ट्रेन टेकनोलॉजी की दिशा में जापान की मदद की वजह से भारत ऐतिहासिक कदम बढ़ा रहा है. साल 2022 तक भारत में बुलेट ट्रेन के रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है.

लेकिन जापान के पीएम के भारत दौरे को सिर्फ बुलेट ट्रेन से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है. इस दोस्ती और दौरे के मायनों को चीन से बेहतर कोई नहीं समझ सकता. डोकलाम विवाद जब चीन के साथ युद्ध की कगार पर पहुंच चुका था तब अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में जापान ने भारत के कंधे पर दोस्ती का हाथ रखा था. जापान ने खुलेआम चीन के खिलाफ भारत का साथ दिया था.

भारत और जापान के बीच गहराते संबंधों की एक कड़ी खुद पीएम मोदी हैं. इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि सिर्फ तीन साल के भीतर ही दोनों पीएम की ग्यारह बार मुलाकात हो चुकी है. पीएम बनने के बाद मोदी न सिर्फ जापान के दौरे पर गए थे बल्कि शिंजो आबे भी उनके निमंत्रण पर भारत आए थे. बनारस की गंगा आरती में शामिल हुए थे.

इस बार खासतौर पर पीएम मोदी ने  शिंजो आबे की अगवानी के लिए दिल्ली की जगह अहमदाबाद को चुना. दरअसल भारत-जापान के रिश्तों में मोदी अपनी दोस्ती की भी नजदीकी का अहसास कराना चाहते हैं. एयरपोर्ट से लेकर रोड शो तक शिंजो आबे के साथ मोदी की जुलगलबंदी रिश्तों की नई रेल दौड़ा रही थी.

एक तरफ कारोबार की नजर से जापान भारत का तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है. भारत में जापान की कुल 12 सौ कंपनियां हैं. वहीं साल 2016-17 में 4.7 अरब डॉलर का निवेश किया गया है. वहीं दूसरी तरफ बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट के लिए भी जापान कुल लागत का सबसे बड़ा हिस्सा फंडिंग कर रहा है. इसके अलावा सामरिक तौर पर भी जापान के साथ भारत और अमेरिका संयुक्त सैन्य अभ्यास करते आए हैं. भारत जापान को समुद्र में अपना समुराई वॉरियर बनाना चाहता है. बहुत मुमकिन है कि दोनों के बीच नेवी के लिए लिए US-2 सी-प्लेन की डील आगे बढ़ सकती है. आबे और मोदी 12वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे. दोनों देशों के बीच कई समझौते भी होंगे.

साफ तौर पर भारत के लिए जापान हर मोर्चे पर दमदार साथी है. वहीं जापान को भी साउथ एशिया में बढ़ते चीन के दखल को रोकने के लिए भारत जैसे देश की जरुरत है.चीन के लिए भारत और जापान की ये नजदीकी कई तरह के संकेत हैं. जापान का भारत को खुला साथ मिलना एशिया में सत्ता के संतुलन के लिए जरूरी है. दोनों देशों के बीच 1952 में कूटनीतिक रिश्तों की शुरुआत हुई थी. लेकिन हाल के तीन सालों में जापान ने जिस तरह से भारत का साथ दिया वो दिलों की दोस्ती बन गया है. इसलिए जापान अब सिर्फ भारत का दोस्त नहीं बल्कि खास दोस्त है.