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केवल ममता को मनाने के लिए 6 पायलटों की कुर्बानी नाजायज

सिर्फ ईंधन की स्थिति के आधार पर उनका नौकरी से निलंबन गलत लगता है.

Bikram Vohra

कथित रूप से फ्लाइट को खतरे में डालने के लिए 6 पायलटों के निलंबन का कोई मतलब नहीं हैं. इसमें इंडिगो, स्पाइसजेट और एयर इंडिया के दो-दो पायलट शामिल हैं. वे जहाज उतारने के लिए हरी झंडी मिलने के इंतजार में कोलकाता के ऊपर काफी देर तक मंडरा रहे थे.

ममता बनर्जी के उकसावे में ऐसा किया गया है. वह उनमें से किसी एक जहाज पर सवार थीं और उन्हें लगा कि यह सारी गतिविधि उन्हें मारने के लिए की गई थी. इसके बाद डीजीसीए ने इस मुद्दे की जांच करने का निर्णय लिया, जबकि ऐसी मुस्तैदी यह संस्था कभी-कभार ही दिखाती है.


जहाजों में ईंधन की कमी थी

ऐसा लगता है कि तीनों जहाजों में ईंधन की कमी थी और उन्होंने क्लीयरेंस मांगी थी या वे किसी और एयरपोर्ट पर उतरने के लिए तैयार हो रहे थे.

हर कमर्शियल और निर्धारित फ्लाइट का एक तयशुदा प्रोटोकॉल होता है. आप प्वाइंट ए से प्वाइंट बी 30 मिनट के ‘गो अराउंड’ के साथ जाते हैं या प्वाइंट बी के ऊपर ‘मंडराते’ हैं और उसके बाद अपने वैकल्पिक एयरपोर्ट (जो इस मामले में भुवनेश्वर था) पहुंचते हैं और वहां 30 मिनट तक मंडराते हैं.

अगर इनमें से किसी भी मापदंड को तोड़ा गया है तो हर हालत में पायलटों और दूसरे कर्मचारियों को लापरवाही के लिए दोष देना चाहिए.

लेकिन अगर इन नियमों को नहीं तोड़ा गया है और जहाज को वैकल्पिक जगह पर ले जाने के लिए ईंधन पर्याप्त मात्रा में था, तब पाक-साफ बनते हुए ऐसा करना हास्यास्पद है. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उस जहाज पर सवार मुख्यमंत्री परेशान हो रही थीं.

हवाई सुरक्षा को ज्यादा खतरा

हमें यह समझना होगा कि जब हम पायलट समुदाय के लिए तनाव पैदा करेंगे और इस तरह की दडांत्मक कार्रवाई करेंगे तो हम हवाई सुरक्षा को ज्यादा खतरे में डालेंगे. हमें पूरी तैयारी किए बगैर ऐसी जांच में नहीं जाना चाहिए जिसमें नियमों को तोड़े जाने को लेकर कोई तथ्य नहीं है.

इसमें एक ऐसे जांच की जरूरत थी जो यह बता सके कि तीनों जहाजों और एयर ट्रैफिक कंट्रोल के बीच क्या हुआ था. कोई गलतफहमी भी हो सकती है. लेकिन ऐसी उत्तेजना पैदा करने और एकतरफा कार्रवाई करने से बचना चाहिए.

किसी भी मौके पर जहाज खतरे में नहीं था, न ही यात्रियों की सुरक्षा से समझौता किया गया था. ऐसा लगता है कि यह पूरा विवाद ममता बनर्जी के कारण हुआ क्योंकि उनकी फ्लाइट उतरने में देर हुई.

फोटो: पीटीआई

असल में उनसे पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने 170 यात्रियों को क्यों डराया और क्यों आफत मचाकर एक एयरलाइन पर दाग लगाया जो भविष्य के यात्रियों के मन में संदेह पैदा कर सकता है.

आप गंभीरता से इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते कि ममता बनर्जी को खत्म करने के लिए एयरलाइन के कर्मचारियों ने 170 यात्रियों को ले जा रहे विमान को जोखिम में डालने की साजिश की और उनकी जिंदगियों को खतरे में डाला.

ऐसे उपद्रवी बयान देकर भी बच जाते हैं राजनेता

सबसे अजीब बात यह है कि यह राजनेता कितने सुरक्षित हैं कि ऐसे उपद्रवी बयान देकर भी वे बच जाते हैं.

कोई भी सामान्य यात्री अगर ऐसा दावा करे तो उसे सीधे बाहर कर दिया जाएगा या जांच शुरू कर हिरासत में ले लिया जाएगा.

एक बार ऐसा कह चुकने के बाद ममता बनर्जी से यह पूछा जाना चाहिए कि वह कैसे और क्यों इस नतीजे पर पहुंची. क्या सिर्फ इस सतही समझ पर कि उनके जहाज को उतरने में थोड़ी देर हो गई.

कल्पना कीजिए, अगर आप, अगर हम सब अपने देर हुए विमानों में कोई साजिश देखने लगें तो आसमान में कैसी अव्यवस्था फैल जाएगी.

इन विमानों के किसी भी पायलट ने ग्राउंड कंट्रोल को सावधान करने के अलावा न तो इमरजेंसी को बुलावा दिया, न ही ट्रांसपॉन्डर पर 7700 कोड दबाया. यह देखने के बाद सिर्फ ईंधन की स्थिति के आधार पर उनका नौकरी से निलंबन गलत लगता है.

आखिरकार, उनके पास पर्याप्त ईंधन था कि वे मापदंडों को तोड़ते हुए कोलकाता के ऊपर अगले 90 मिनट तक मंडरा सकें.