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फलाहारी बाबा: गुरमीत राम रहीम से कम नहीं हैं इसकी हरकतें

फलाहारी ने दावा किया कि उसके पास ऐसी जड़ी बूटियां हैं जिनके दम पर वह 64 साल की उम्र में भी सेक्सुअली फिट है

Mahendra Saini

दो दिन से जेल में बंद फलाहारी बाबा, जो 30 साल से केवल फल और गंगाजल का आहार ले रहा था, अब जेल का पानी पी रहा है. सूत्रों का कहना है कि उसने जेल में भी गंगाजल और फलों की मांग की. जब उसे जेल मैन्युअल के तहत सादा पानी और खाना पकड़ाया गया तो उसने लेने से इनकार कर दिया. बाद में नवरात्र कर रहे एक कैदी से मांग कर उसने केले खाए.

इससे पहले गिरफ्तारी से बचने के भी उसने तमाम प्रयास किए लेकिन अलवर पुलिस के सामने उसकी दाल नहीं गली. एसपी राहुल प्रकाश और उनकी टीम ने फलाहारी को एक निजी हॉस्पिटल की आईसीयू से निकाल कर अलवर जेल की बैरक में पहुंच दिया.


बाबा तो जेल पहुंच गया लेकिन अब उसके काले कारनामे बाहर आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि फलाहारी ने बचने के लिए भागने की योजना भी बना ली थी. इसके लिए उसने अपना हुलिया भी बदल लिया था. पहले दाढ़ी और सफेद बाल उसकी पहचान हुआ करते थे लेकिन जैसे ही उसे एफआईआर दर्ज होने की खबर मिली, उसने पहले तो क्लीन शेव किया, बाल डाई कर लिए और उसके बाद आईसीयू में एडमिट हो गया.

हालांकि पुलिस ने ऐसा शिकंजा कसा कि वो अपनी योजना में कामयाब नहीं हो सका. 20 सितंबर को ही अलवर पुलिस ने अस्पताल के आईसीयू के बाहर पहरा बैठा दिया. खुद एसपी राहुल प्रकाश ने फलाहारी से बात की. राहुल प्रकाश का कहना है कि वे इस केस में कोई किंतु-परंतु नहीं छोड़ना चाहते थे. इसीलिए आरोपी की गिरफ्तारी से पहले शिकायत दर्ज कराने वाली लड़की से भी लगभग 100 सवाल पूछे गए. उसके संतोषजनक जवाबों के बाद फलाहारी का बचना मुश्किल हो गया.

पुलिस ने गिरफ्तारी में जरूर वक्त लगाया लेकिन इसके पीछे गुरमीत राम रहीम केस के जैसे हालात से बचने की रणनीति थी. चूंकि फलाहारी का भी अलवर में खासा दबदबा था, इसलिए किसी भी विपरीत हालात से बचने के लिए पूरी रणनीति बनाई गई. आरोपी का पुरुषत्व टेस्ट भी कराया गया. यही वजह है कि जेल में फलाहारी 2 दिन से गुमसुम हो गया है. साथी कैदियों से उसने ये भी पूछा है कि यौन शोषण के मामले में कितनी सजा हो सकती है.

कौन है फलाहारी, क्या है घटना? 

जिस लड़की की शिकायत पर फलाहारी जेल पहुंचा है, उसका परिवार 1986 से ही इसके संपर्क में था. पीड़ित छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की है और जयपुर से लॉ कर रही है. पीड़ित को हाल ही में स्टाइपेंड के रूप में 3,000 रुपये की अपनी जिंदगी की पहली कमाई मिली थी. इसपर पीड़ित के पिता ने उसे ये कमाई दक्षिणा के रूप में गुरुजी को देने को कहा. इसी सिलसिले में पीड़िता 7 अगस्त को जयपुर से अलवर पहुंची.

अलवर में काला कुआं इलाके में फलाहारी का आश्रम है. उस दिन चंद्र ग्रहण की बात कहकर फलाहारी ने पीड़ित को आश्रम में ही रोक लिया. शाम को सबको स्नान के लिए भेज कर फलाहारी ने लड़की का यौन शोषण किया. फलाहारी ने उसे ये बात किसी को न बताने की धमकी दी. इस पर डरी-सहमी ये लड़की चुपचाप चली गई. लेकिन बिलासपुर पहुंच कर उसने अपने घरवालों को पूरी बात बता दी. बिलासपुर में ही जीरो एफआईआर दर्ज कर केस डायरी अलवर पुलिस को भेजी गई.

फलाहारी का पूरा नाम है, जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य फलाहारी बाबा. जितना बड़ा इसका नाम है, उतने ही बड़े-बड़े इसके कारनामे भी अब सामने आ रहे हैं. पीड़ित के पिता के अनुसार ये खुद के ब्रह्मचारी होने का दावा करता था जबकि हकीकत ये है कि उत्तरप्रदेश में इसका परिवार मौजूद है.

हवस के लिए देता था कई तरह के झांसे! 

लोगों पर अपना रुतबा झाड़ने के लिए ये सबको राजनेताओं के साथ खींची गई अपनी फोटो जरूर दिखाता था. इन नेताओं में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और रमन सिंह भी शामिल हैं.

फलाहारी के नजदीकी लोगों का कहना है कि इसके भक्तों में कई नेता, प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं. आलम ये था कि अधिकारी अपने ट्रांसफर के लिए भी इसकी शरण मे आते थे. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही लड़कियों को ये इंटरव्यू में पास कराने का भरोसा भी दिलाता था.

इसके आश्रम आने वाले कई लोगों के अनुसार अपने पुरुष भक्तों को ये अपने शरीर से ढाई फीट दूर से केवल डंडा छुआकर आशीर्वाद देता था. जबकि लड़कियों को कई बार ये विशेष आशीर्वाद के लिए एकांत में भी बुलाता था.

उसकी हवस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पीड़ित से भी उसने दूसरी लड़की का जिक्र करते हुए कहा कि उसका फिगर तुमसे अच्छा है. फलाहारी ने ये भी दावा किया कि उसके पास ऐसी जड़ी बूटियां हैं जिनके दम पर वह 64 साल की उम्र में भी सेक्सुअली फिट है. उसने पीड़ित को भी जड़ी बूटी से सेक्सी फिगर बना देने की बात कही.

ब्याज पर देता था रकम, दर सुंदरता के अनुसार 

आरोप है कि भक्तों से मिले चढ़ावे को ये राम रहीम की तरह ही प्रॉपर्टी में निवेश करता था. लोगों को खासकर महिलाओं को ब्याज पर रुपए देता था. बताया जाता है कि ब्याज की दर महिला की सुंदरता और उसकी जरूरत के अनुसार तय होती थी. कम सुंदर महिलाओं से उनके गहने गिरवी रखवाए जाते थे. ऊंचे ब्याज के कारण वे अपने गहने कभी नहीं छुड़वा पाती थी.

तलाशी में इसके कमरे से कई तरह की जड़ी बूटियों के अलावा महिलाओं के सोने चांदी के गहने भी मिले हैं. पुलिस अब उन 6 व्यापारियों की भी तफ्तीश कर रही है, जो इसकी रकम को बाजार में निवेश करते थे. उन लोगों का भी पता लगाया जा रहा है जिन्होंने इसको लक्ज़री गाड़ियां गिफ्ट में दी थी.

पर्दाफाश के बाद भी भक्ति बरकरार

सबसे बड़ी हैरानी की बात ये है कि एक के बाद एक इन फर्जी बाबाओं के कच्चे चिट्ठे लगातार खुल रहे हैं. इसके बावजूद इनके भक्तों में अंधविश्वास कम होता नहीं दिख रहा है. इस फलाहारी की गिरफ्तारी के बावजूद आश्रम आने वालों की संख्या कुछ खास कमी नहीं हुई है. कुछ भक्त तो फल और दूध लेकर जेल भी पहुंच गए.

ऐसा ही आसाराम के मामले में भी देख सकते हैं. 2013 से आसाराम की जमानत नहीं हो पा रही है. इसके बावजूद हम देखते हैं कि जब उसको पेशी पर लाया जाता है तो भक्त उसके पांव की मिट्टी को भी उठाकर ले जाते हैं, गोया कि इससे पवित्र चीज और कुछ है ही नहीं.

सवाल ये है कि लोग इन दुराचारियों के प्रति भी इतनी श्रद्धा कैसे रख पाते हैं. मनोविज्ञानी महेश दैया का कहना है कि बहुधा हम कुछ न कुछ परेशानियों से घिरे होते हैं. अक्सर ये बाबा लोग अपने प्रचार के लिए मार्केटिंग के सबसे बढ़िया तरीके अपनाते हैं. कुछ लोगों के जरिये ये माउथ पब्लिसिटी कराते हैं तो प्रिंट और विजुअल मीडिया का भी ये लोग भरपूर इस्तेमाल करते हैं.

परेशानी से घिरे लोग, विशेषकर महिलाएं इन प्रचारतंत्रों से प्रभावित होकर इनके पास पहुंच जाती हैं. गलत मानसिकता वाले यानी फर्जी बाबा मनोविज्ञान की भी अच्छी समझ रखते हैं. इसी के बूते ये महिलाओं को प्रभावित करने में कामयाब रहते हैं. धीरे-धीरे ये महिला के पूरे परिवार को अपने झांसे में लाने में सफल हो जाते हैं.

मनोविज्ञान को बेहतर समझते और इस्तेमाल करते हैं ऐसे लोग

अक्सर ये फर्जी बाबा राजनेताओं, बड़ी हस्तियों या समाज में अमीर वर्ग के लोगों के साथ उठने बैठने वाली तस्वीरें भी प्रचारित करते हैं. इससे मिडिल क्लास आसानी से प्रभावित हो जाता है. नतीजा, इनके भक्त बनने की भेड़चाल शुरू हो जाती है.

मनोविज्ञानी महेश दैया का कहना है कि वास्तव में इनके पास समस्या का कोई इलाज नहीं होता. कई बार समस्या स्वतः हल हो जाती है तो कई बार ये समस्या के लिए भक्त के पूर्व जन्मों के कर्म को जिम्मेदार ठहरा देते हैं. फिर ये कर्मकांडों के नाम पर तगड़ा पैसा भी बनाते हैं. इस तरह इनके दोनों हाथों में लड्डू होता है.

हैरानी है कि डिजिटल इंडिया के इस दौर में, जबकि भारत विज्ञान पर रिसर्च करने वाले टॉप-10 देशों में शामिल है, तब भी हममें से बहुत लोग ऐसे बाबाओं के चंगुल में फंसे हुए हैं.