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दिल्ली में पहली बार 80 के पार पहुंचा पेट्रोल, ये है कीमत बढ़ने की वजह

शनिवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 80.38 रुपए प्रति लीटर है. मुंबई में भी 39 पैसे की वृद्धि के साथ पेट्रोल की कीमत 87.77 रुपए हो गई है

FP Staff

दिल्ली में पेट्रोल की कीमत अब तक के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. शनिवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 80.38 रुपए प्रति लीटर है. मुंबई में भी 39 पैसे की वृद्धि के साथ पेट्रोल की कीमत 87.77 रुपए हो गई है.

44 पैसे की बढ़ोत्तरी के साथ दिल्ली में डीजल की कीमत 72.51 रुपए और मुंबई में 76.98 रुपए हो गई है.


अमेरिकी डॉलर के सामने रुपया कमजोर होता गया है, जिसके चलते आयात भी महंगा हो गया है. महज अगस्त के मध्य से ही पेट्रोल की कीमतों में 2.84 प्रति लीटर और डीजल की कीमतों में 3.3 प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हो चुकी है. रुपए के गिरने और क्रूड ऑयल के रेट में वृद्धि के चलते रोज पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है.

विपक्षी दलों ने अगले हफ्ते ईंधन की ऊंची कीमतों के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल और प्रदर्शन का ऐलान किया है. विपक्ष ने ऊंचे करों को इसकी प्रमुख वजह बताया है. कांग्रेस ने एक्साइज ड्यूटी में कटौती करने की भी मांग रखी है. लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को पेट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत देने के लिए एक्साइज ड्यूटी में कटौती का कोई संकेत नहीं दिया. उन्होंने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही कच्चे तेल के दाम ऊंचे हैं. इस पर कांग्रेस का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने पर एक्साइज ड्यूटी घटाया था.

उधर केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए. प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि देश में ईंधन कीमतों में बढ़ोत्तरी अंतरराष्ट्रीय कारकों से हो रही है और अब यह जरूरी हो गया है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाया जाए.

प्रधान ने कहा, ‘अब यह जरूरी हो गया है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाया जाए. दोनों अभी जीएसटी में नहीं हैं जिससे देश को करीब 15,000 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है. यदि पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के तहत लाया जाता है तो यह उपभोक्ताओं सहित सभी के हित में होगा.'

एक्साइज ड्यूटी में कटौती करने के सवाल पर प्रधान ने कहा कि कोई सिर्फ उत्पाद शुल्क घटाकर इस मुद्दे का प्रभावी तरीके से हल नहीं कर सकता.

उन्होंने कहा कि ईरान, वेनेजुएला और तुर्की जैसे देशों में राजनीतिक स्थिति की वजह से कच्चे तेल का उत्पादन प्रभावित हुआ है. पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन ओपेक भी कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ा पाया है, जबकि उसने इसका वादा किया था.