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बिहार बोर्ड: नतीजों के बाद छात्रों ने सिस्टम को कोसा

इस रिजल्ट ने छात्रों को सड़कों पर उतार दिया है और ये तय है कि आने वाले कुछ दिनों तक इंटर का रिजल्ट सारे मुद्दों को गौण कर देगा

FP Staff

पिछले साल दो खबरों ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी थी. ये शायद आपके जेहन में भी हो. पहली, वो तस्वीर जिसमें चार मंजिली इमारत पर स्पाइडरमैन की तरह चढ़ कर नकल कराई जा रही थी. दूसरी ख़बर टॉपर घोटाले की थी.

इसके बाद माना ही जा रहा था कि इस बार सख्ती होगी और रिजल्ट पर इसका असर पड़ेगा. पर दो-तिहाई बच्चे फेल हो जाएंगे, इसका अंदेशा नहीं था.


इंटरमीडिएट की परीक्षा के नतीजों के बाद चारो तरफ असंतोष के स्वर उठने लगे हैं. ये रिजल्ट किसी के गले नहीं उतर पा रहा. परीक्षार्थी, अभिभावक, शिक्षा जगत के जानकार और नेता सब सिस्टम को कोस रहे हैं.

इसका असर पटना की सड़कों पर भी देखने को मिला. रिजल्ट के विरोध में परीक्षार्थी सड़क पर उतरे तो सरकार ने उन पर लाठियां भी चटकाईं. इससे पहले 1997 में मात्र 14 फीसदी कैंडिडेट पास हुए थे. उसके बाद का ये सबसे बुरा रिजल्ट है.

टॉपर खुशबू का दर्द

रिजल्ट से बिहार के परीक्षार्थी किस तरह से असंतु्ष्ट हैं इसकी बानगी खुद टॉपर से बात करने के दौरान मिली. 86 फीसदी अंकों के साथ बिहार में साइंस टॉपर बनने वाली खुशबू कुमारी भी अपने मार्क्स को लेकर नाराज दिखीं. खुशबू को जब हमने उनकी सफलता पर बधाई दी तो, उन्होंने यहां तक कह डाला कि ऐसी सफलता और टॉपर बनने का क्या फायदा जब मेरा दाखिला दिल्ली यूनिवर्सिटी के किसी अच्छे कॉलेज में नहीं हो सके.

खुशबू के अलावा वो 35 फीसदी छात्र-छात्राएं भी अपने भविष्य को ले कर सशंकित हैं जो पास हो गए हैं लेकिन अच्छे संस्थानों में दाखिले को लेकर संशय में हैं. बिहार में इंटर के नतीजों पर नजर डालें तो सबसे खराब नतीजे साइंस के हैं जिसमें मात्र 30 फीसदी छात्र सफल हुए हैं. आर्ट्स में 37 फीसदी जबकि कॉमर्स में 73.76 फीसदी छात्र सफल हुए.

वहीं, बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने इस रिजल्ट को ऐतिहासिक बताया है और नतीजों के लिए बिहार बोर्ड को बधाई दी है. इस बधाई के बाद उन पर लगातार कटाक्ष हो रहे हैं. टि्वटर पर वो ट्रोलिंग हो रही है.

बोर्ड का पक्ष

पिछले साल इंटर की परीक्षा में जहां 62.19 फीसदी छात्र सफल हुए थे, वहीं 2015 में ये आंकड़ा 87.45 था. इंटर के खराब नतीजों पर जब ईटीवी ने बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर से बात की तो उन्होंने कहा कि इस बर हमने काफी सख्ती के साथ परीक्षा ली.

परीक्षा की पूरी प्रकिया सख्त और पारदर्शी थी. पर सीबीएसई तो ये पहले से करता आ रहा है. फिर उसके नतीजों पर तो असर नहीं पड़ता, ये पूछे जाने पर किशोर न चाह कर भी बताते हैं कि ठीक से पढ़ाई नहीं होने के कारण ऐसे नतीजे आए हैं.

पर कुछ सवाल तो पहले से उठ रहे थे. जब मिडिल स्कूल के शिक्षकों को कॉपियां जांचने की जिम्मेदारी दे दी गई. कारण, उस वक्त बिहार में 12वीं के शिक्षक हड़ताल पर थे. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदार पांडेय ने भी इस मसले पर सवाल उठाते हुए फिर से कॉपी चेक कराने की मांग की है. उन्होंने माना कि आठवीं क्लास में पढ़ाने वाले टीचर 12वीं की कॉपी ठीक से नहीं जांच सकते.

बीजेपी ने उठाए सवाल

बिहार में इंटर के बाद मैट्रिक के मॉडल आंसरशीट में भी खामियां पाई गई थीं. भौतिकी के मॉडल आंसरशीट में 8 गलतियां पाई गईं थीं. बीजेपी के नेता विनोद नाराय़ण झा ने भी मॉडल आंसरशीट की गलतियों पर सवाल खड़े किए और कहा कि ऐसे में एक छात्र बेहतर नतीजों की उम्मीद कैसे रख सकता है लेकिन बोर्ड ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया.

अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि इस बारे में पहले ही जानकारी मिल गई और ऐसे प्रश्नों में पूरे मार्क्स मिलेंगे. खैर, ये तो मैट्रिक के रिजल्ट के समय पता लगेगा.

फिलहाल सरकार इंटर के रिजल्ट पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी को तलब कर जानकारी मांगी है. गाय-गाद-भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों में शिक्षा दब गई है. पर, इस रिजल्ट ने छात्रों को सड़कों पर उतार दिया है और ये तय है कि आने वाले कुछ दिनों तक इंटर का रिजल्ट सारे मुद्दों को गौण कर देगा.

उत्तीर्ण हुए छात्रों के आंकड़े (पिछले पांच साल के)

2012– 90.74 फीसदी

2013- 88.04 फीसदी

2014 – 76.17 फीसदी

2015 – 87.45 फीसदी

2016- 62.19 फीसदी

2017 – 35.25 फीसदी

न्यूज़ 18 साभार