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पतंजलि आयुर्वेद: छोटी सी फार्मेसी से कैसे बनी एफएमसीजी का बड़ा नाम

दिलचस्प है कि पतंजलि आयुर्वेद में बाबा रामदेव की कोई हिस्सेदारी नहीं है

Pratima Sharma

पतंजलि के प्रॉडक्ट्स को लेकर लोगों की राय अलग हो सकती है. लेकिन जिस एक चीज पर असहमति का कोई सवाल नहीं है, वो ये है कि पतंजलि ही इकलौता ब्रांड है जो इतने कम समय में मल्टीनेशनल कंपनियों को टक्कर दे रहा है.

बाबा रामदेव ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने उत्पादों की धमाकेदार ग्रोथ के बारे मे बताया. उन्होंने बताया कि कंपनी का टर्नओवर 10,000 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर गया है.


फिलहाल पतंजलि का टर्नओवर 10,561 करोड़ रुपए है. प्रॉडक्शन कैपेसिटी के मामले में भी कंपनी आगे है. इसकी सालाना प्रॉडक्शन क्षमता 30 से 40 हजार करोड़ रुपए है. अनुमान है कि 2018 तक यह बढ़कर 60 हजार करोड़ तक पहुंच जाएगा.

कैसे हुई थी शुरुआत?

बाबा रामदेव ने 1997 में आयुर्वेद एक्सपर्ट आचार्य बालकृष्ण के साथ मिलकर एक छोटी सी फार्मेसी कंपनी 'दिव्य फार्मेसी' शुरू की थी. इस कंपनी में 92 फीसदी शेयर बालाकृष्णन के नाम पर है. बाकी के 2 फीसदी शेयर एक एनआरआई भारतीय जोड़े का पास है. दिलचस्प है कि कंपनी में बाबा रामदेव की कोई हिस्सेदारी नहीं है.

एफएमसीजी ब्रांड के तौर पर बाबा रामदेव ने पतंजलि आयुर्वेद की शुरुआत 2006 में की थी. महज 11 साल में ही 10,000 करोड़ रुपए टर्नओवर का आंकड़ा हासिल करना छोटी बात नहीं है. खासतौर पर ऐसे माहौल में जब भारतीय विदेशी या मल्टीनेशनल कंपनियों के प्रॉडक्ट के दीवाने होते थे. देसी प्रॉडक्ट इस्तेमाल करना उनके स्टेटस को सूट नहीं करता था. फिर बाबा रामदेव ने ऐसा क्या किया कि वो एफएमसीजी कारोबार में पतंजलि देश की तीसरी सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी बन गई.

पतंजलि से ऊपर सिर्फ दो कंपनियां हैं. इनमें एचयूएल और आईटीसी है. पतंजलि ने जिन कंपनियों को पीछे छोड़ा है, उनमें गोदरेज और नेस्ले इंडिया है. गोदरेज ने 1918 में अपना पहला साबुन लॉन्च किया था. वही नेस्ले इंडिया स्विस कंपनी की भारतीय इकाई है. इसने 1961 में भारत में पहली फैक्टरी लगाई थी.

पतंजलि ने किशाोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप के साथ हाथ मिलाया है. इस डील के तहत बिग बाजार में पतंजलि के प्रॉडक्ट बेचे जा रहे हैं.

बड़ी चुनौती बन रहे हैं बाबा रामदेव 

शुरुआती दिनों में डाबर, इमामी और मैरिको जैसी जमी-जमाई कंपनियों ने पतंजलि को हल्के में लिया था. उन्हें इस बात का सुबहा भी नहीं था कि 11 साल में पतंजलि उन्हें पीछे छोड़ देगी.

रामदेव के फेसबुक पेज से साभार

बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में सूट-बूट पहने सीईओ और मैनेजमेंट के लोग दिमाग भिड़ा-भिड़ाकर यह तय करते हैं कि क्या प्रॉडक्ट लॉन्च किया जाए. कैसे मार्केटिंग की जाए. किस तरह देश के कोने-कोने तक इन प्रॉडक्ट्स की पहुंच हो. सीईओ की स्ट्रैटेजी को धत्ता बताते हुए बाबा रामदेव ने मल्टीनेशनल कंपनी के हर प्रॉडक्ट का काउंटर प्रॉडक्ट बाजार में उतारा है. फिर चाहे वो तेल, साबुन हो या मैगी, शहद, ओट्स, मुसली.

ये बाबा की धाकड़ मार्केटिंग का ही असर है कि देसी प्रॉडक्ट के नाम पर ज्यादातर आबादी ने पतंजलि के प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं.

मल्टीनेशनल कंपनियों को दी टक्कर 

पतंजलि कॉर्नफ्लेक्स और मुसली की कैटेगरी में केलॉग्स को को टक्कर दे रही है. इस सेगमेंट में केलॉग्स के अलावा पतंजलि ही इकलौता ब्रांड है, जिसे लोग पहचानते हैं. बादाम हेल्थ ड्रिंक सेगमेंट में मॉनडेल्ज इंटरनेशनल के बॉर्नविटा को टक्कर दे रही है. एंटी रिंकल क्रीम सेगमेंट में पतंजलि की टक्कर प्रॉक्टर एंड गैंबल की एंटी एजिंग क्रीम ओले का मार्केट छीन रही है.

पतंजलि का सबसे ज्यादा बिकने वाला प्रॉडक्ट टूथपेस्ट दंत कांति है. यह एचयूएल के पेप्सोडेंट और पीएंडजी के कोलगेट को परेशान कर रहा है.