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मॉनसून सत्र: क्या है राइट टू एजुकेशन बिल? किन बदलावों की है उम्मीद?

राइट टू एजुकेशन बिल के पास होने से बहुत बड़े बदलाव आएंगे.

FP Staff

संसद में मॉनसून सत्र शुरू हो चुका है. सबकी नजरें संसद की कार्यवाही पर हैं क्योंकि इस बार कुछ अहम बिलों के पास होने की उम्मीद है. इनमें से एक अहम बिल है-राइट टू एजुकेशन. इस लेख में जानिए राइट टू एजुकेशन बिल क्या है और इसके पास होने से क्या बदलाव आएंगे.

क्या है राइट टू एजुकेशन?


6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने के उद्देश्य से 1 अप्रैल 2010 को केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया. इसे अनुच्छेद 45 के तहत नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत रखा गया है. संविधान में 86वें संशोधन में शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने भी 'शिक्षा का अधिकार' कानून पर अपनी मुहर लगाते हुए पूरे देश में लागू करने का आदेश दिया. इस कानून के तहत देश के हर 6 साल से 14 साल के बच्चे को मुफ्त शिक्षा हासिल करने का अधिकार होगा. हर बच्चा पहली से आठवीं तक मुफ्त और अनिवार्य रूप से पढ़ेगा. सभी बच्चों को अपने आस-पास के स्कूल में दाखिला लेने का अधिकार होगा.

यह कानून निजी स्कूलों पर भी लागू होगा. शिक्षा के अधिकार के तहत राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके राज्य में बच्चों को नि:शुल्क अनिवार्य शिक्षा प्राप्त हो सके. किताबी ज्ञान के साथ फिजिकल एजुकेशन पर भी जोर है.

अधिनियम के प्रमुख प्रावधान

- 6-14 साल तक के बच्चों के लिए नजदीकी स्कूल में मुफ्त बेसिक एजुकेशन अनिवार्य है.

- बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाएगी और न ही किसी फीस की वजह से उन्हें शिक्षा लेने से रोका जाएगा.

- अगर 6 वर्ष से अधिक उम्र का बच्चा किन्हीं कारणों से स्कूल नहीं जा पाया है तो उसे उसकी योग्यता के हिसाब से क्लास में एडमिशन मिलेगा.

- अगर इन बच्चों की शिक्षा के लिए स्थानीय शासन को नया स्कूल भी खोलना पड़े तो खोलना होगा. इस अधिनियम में कहा गया है कि अगर किसी इलाके में स्कूल नहीं है तो वहां शासन को 3 सालों के अंदर-अदर एक स्कूल का निर्माण करना होगा.

- इन प्रावधानों को मानने की बाध्यता और जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार दोनों की होगी और दोनों मिलकर इसका खर्च उठाएंगे.

इसके अलावा अधिनियम के भाग-13 के इन प्रावधानों का उल्लेख करना भी जरूरी है-

- एडमिशन के दौरान कोई व्यक्ति या स्कूल एडमिशन फीस नहीं ले सकता, न ही बच्चे या उसके अभिभावक का किसी तरह का टेस्ट ले सकता है.

- अगर कोई व्यक्ति एडमिशन फीस लेता है तो उस व्यक्ति पर जुर्माना लगाया जा सकता है, जो मांगे जाने वाली फीस का 10 गुना होगा.

- अगर कोई स्कूल बच्चे या अभिभावक का टेस्ट लेता है तो उसपर पहली बार 25,000 रुपए और दूसरी बार उल्लंघन करने के लिए 50,000 रुपए का जुर्माना लगेगा.

क्यों महत्वपूर्ण है अधिनियम

- शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्तचित होगी.

- बाल मजदूरी पर रोक लगाई जा सकेगी.

- इसका लाभ मजदूरों के बच्चे, बाल मजदूर, प्रवासी, स्पेशल बच्चे, या सामाजिक, आर्थिक, भाषाई या अन्य कारणों से पढ़ न पाने वाले बच्चों को भी स्कूल जाने का मौका मिलेगा.

- साथ ही इससे बच्चों को अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा और ट्रेन्ड टीचरों से पढ़ने की सुविधा भी मिलेगी.

- इन सबके अलावा इस अधिनियम से भारत को मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (यूएन के शिक्षा, भुखमरी, गरीबी, पर्यावरण से जुड़े गए लक्ष्य) और एजुकेशन फॉर ऑल के लक्ष्य तक पहुंचने में भी मदद मिलेगी.