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सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी सालगिरह: पराक्रम पर्व के बीजेपी के लिए बड़े सियासी मायने हैं

कमांडर कॉन्फ्रेंस से पहले प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के साथ राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मौजूदगी भी राजस्थान की सियासत की झलक पेश कर रही है.

Amitesh

पराक्रम पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के जोधपुर मिलिट्री स्टेशन में थे, जहां, उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी. पराक्रम पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री ने सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया. 'पराक्रम पर्व' के तहत लगाई गई यह प्रदर्शनी कोणार्क कोर में आयोजित की गई है. इस कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री सेना के तीनों सेनाओं के कमांडर कॉन्फ्रेंस में भी भाग लेंगे.

पाकिस्तान में आतंकियों के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी सालगिरह को भव्य तरीके से मनाया जा रहा है. सरकार ने बहादुर सैनिकों के साहस और पराक्रम की वीरगाथा सुनाने और उसकी रोमांचित करने वाली सुखद अनुभूति का एहसास देश के लोगों से कराने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक की वर्षगांठ को एक बड़े जश्न के तौर पर मनाने का फैसला किया है. इसी का नाम दिया है ‘पराक्रम पर्व’.


गौरतलब है कि भारतीय सेना ने इस सर्जिकल स्ट्राइक को उड़ी में सेना के कैंप पर हुए हमले के बाद किया था, जिसमें 18 जवान शहीद हो गए थे. जिसके जवाब में सख्त कार्रवाई करते हुए सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों के सात ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया था. भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन को 28-29 सितंबर 2016 की रात को अंजाम दिया था. जिसमें दुश्मन के कब्जे वाले इलाके में घुसकर इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने के बावजूद हमारे वीर जवानों का बाल भी बांका नहीं हुआ था.

अब पराक्रम पर्व पर सर्जिकल स्ट्राइक की याद में जोधपुर के मिलिट्री स्टेशन के अलावा देश भर में कई जगहों पर इस तरह की प्रदर्शनी और कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. खासतौर से पाकिस्तान से लगने वाली सीमा के पास इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है, जिसमें राजस्थान में जोधपुर के अलावा जैसलमेर और गुजरात में अहमदाबाद और भुज स्टेशन पर यह प्रदर्शनी लगाई गई है.

इसके अलावा राजधानी दिल्ली में भी इंडिया गेट के पास बड़ी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है, जिसमें सेना की बहादुरी और देश निर्माण में उसके योगदान को प्रदर्शित किया जा रहा है. इन सभी जगहों पर प्रदर्शनी 28 से 30 सितंबर तक लगाई गई है, जिसमें सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान सेना की तरफ से इस्तेमाल किए गए साजो-सामान और हथियार को भी प्रदर्शित किया जा रहा है.

देश भर में सर्जिकल स्ट्राइक का जश्न

सर्जिकल स्ट्राइक की सालगिरह के मौके पर देश भर में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भी कार्यक्रम हो रहे हैं. देशभर में लगभग एक हजार शिक्षण संस्थानों में कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिसमें सेना के रिटायर्ड अधिकारियों और पूर्व सैनिकों को खासतौर से बुलाया गया है. इस मौके पर पूर्व सैन्य अधिकारी छात्रों को इस बारे में बताएंगे कि कैसे सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था.

हालांकि, इस मुद्दे पर भी सियासत खूब हुई. पूर्व मानव संसाधन मंत्री ने यूजीसी की तरफ से यूनिवर्सिटी में सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर कार्यक्रम आयोजित किए जाने को लेकर सर्कुलर जारी करने पर सवाल खड़ा किया था. उन्होंने इसे यूजीसी की स्वतंत्रता को बर्बाद करने वाला सर्कुलर बताया था.

इसी के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सफाई देते हुए कहा था यह उन कॉलेजों से कहा गया है जो इस तरह के कार्यक्रम करना चाहते हैं. जावडेकर ने साफ कर दिया था कि छात्रों और शिक्षण संस्थानों के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का जश्न मनाना कंपल्सरी नहीं किया गया है.

सर्जिकल स्ट्राइक पर पॉलिटकल माइलेज की तैयारी

भले ही जावडेकर ने सफाई दी हो, लेकिन, हकीकत यही है कि बीजेपी सर्जिकल स्ट्राइक को अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश करती रही है. सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री से लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी अलग-अलग मंच पर बोलते रहे हैं. पाकिस्तान की करतूतों का मुंहतोड़ जवाब देने की बात कर उनकी तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक पर सेना की पीठ भी थपथपाई जाती है, लेकिन, अपनी सरकार की प्रतिबद्धता की बात कहकर अपनी भी वाहवाही की कोशिश होती है.

सर्जिकल स्ट्राइक का मुद्दा पहले भी सियासी बहस के बीच उलझता रहा है. दो साल पहले जब इस घटना को अंजाम दिया गया तो उस वक्त कुछ कांग्रेस के नेताओं की तरफ से सवाल भी खड़ा किया गया था. पी. चिदंबरम और संजय निरूपम ने सर्जिकल स्ट्राइक पर बीजेपी और सरकार के दावे पर ही सवाल उठा दिए थे. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सरकार से सबूत देने की बात कर सियासी बवाल मचा दिया था.

लेकिन, शुरुआती दिनों में प्रधानमंत्री या फिर सरकार का कोई भी वरिष्ठ मंत्री इस पर कुछ भी बोलने से बचता रहा. यह सबकुछ एक तय रणनीति के तहत हुआ जिसमें इस कार्रवाई को अंजाम देने और इस बारे में मीडिया को बताने की जिम्मेदारी सेना को ही सौंपी गई थी.

लेकिन, धीरे-धीरे यह मुद्दे ने सियासी रंग लिया तो राष्ट्रवाद के मुद्दे और उस विचारधारा को अपना प्रतीक बनाकर राजनीति करने वाली बीजेपी फिर कहां पीछे रहने वाली थी. बीजेपी ने इस मुद्दे पर विरोधियों पर हमला भी बोला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सख्त तेवर वाली छवि को भी बताना शुरू कर दिया जिसमें देश के दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब देने की बात कही जाती है.

उसके बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में इस मुद्दे को उठाया जाने लगा और बीजेपी ने इसका सियासी फायदा लेने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. अब जबकि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है तो फिर इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की जाएगी. इसके बाद होने वाले लोकसभा के चुनाव में भी यह बड़ा मुद्दा होगा, जहां सरकार अपने पांच साल की उपलब्धियों की गाथा में सर्जिकल स्ट्राइक का भी प्रमुखता से जिक्र करती नजर आएगी.

हालांकि मोदी सरकार आने के बाद साल में एक बार होने वाले तीनों सेनाओं के कमांडर की कॉन्फ्रेंस दिल्ली में ही होने की परंपरा को खत्म कर दिया गया है. इसी कड़ी में कमांडर कॉन्फ्रेंस राजस्थान के जोधपुर में इस बार की जा रही है. लेकिन, इस कॉन्फ्रेंस में पहुंचे प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री की मौजूदगी में सर्जिकल स्ट्राइक की प्रदर्शनी का आगाज करने के कई दूसरे मायने में निकाले जा रहे हैं.

कमांडर कॉन्फ्रेंस से पहले प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के साथ राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मौजूदगी भी राजस्थान की सियासत की झलक पेश कर रही है. राजस्थान में विधानसभा का चुनाव होने वाला है और उसके पहले प्रधानमंत्री का वहां पहुंचकर सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रदर्शनी का उद्घाटन करना और उसमें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का मौजूद रहना काफी कुछ बयां कर रहा है.