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किसी 'जिंदा' पद्मावती की इज्जत बचाने भी आएगी करणी सेना?

मलिक मोहम्मद जायसी ने 1540 में 'पद्मावत' नामक काव्य में इस चरित्र के बारे में पहली बार लिखा

Ila Ananya

पद्मावती और उसके तोते हीरामन की कहानी कितने लोगों को पता है?

संजय लीला भंसाली की 'पद्मावती' और करणी सेना के हिंसक विरोध के बीच कुछ सवालों के जवाब अब भी अनसुलझे हैं. मसलन, आज कोई भी यह पूरे दावे के साथ नहीं कह सकता है कि यह सच्ची कहानी है. जिस बात पर लोग सहमत दिखते हैं वो ये है कि ये कहानी गजब की खूबसूरत पद्मावती (रानी पद्मिनी) की है जो रतनसेन की पत्नी थीं. रतनसेन चित्तौड़ के राजा थे. रतनसेन ने पद्मावती की खूबसूरती के चर्चे उनके तोते से सुने थे.


इस कहानी में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी भी एक पात्र है जो रानी पद्मावती को किसी भी कीमत पर पाना चाहता था.

जब खिलजी ने इस खूबसूरत रानी को हासिल करने के लिए चित्तौड़ पर हमला किया तो पद्मावती ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए दूसरी महिलाओं के साथ जौहर कर लिया था. दुर्भाग्य से उस वक्त तक रतनसेन भी एक दूसरे राजा के साथ जंग में अपनी जान गंवा बैठे थे. यह राजा भी पद्मावती को पाना चाहता था.

चितौड़ के खिलाफ जंग में खिलजी को जीत जरूर नसीब हुई, लेकिन जीत में उसे बस एक वीरान किला मिला था.

जायसी ने पहली बार किया था जिक्र 

यही कहानी मलिक मोहम्मद जायसी ने 1540 में 'पद्मावत' नामक काव्य में लिखी. यही कहानी हमारे इतिहास के पन्नों का हिस्सा बन गई.

27 जनवरी को करणी सेना के संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' के सेट पर तोड़फोड़ के बाद से हम पद्मावती पर कई कहानियां सुन रहे हैं. इसके बाद लोगों ने इतिहास खंगालना शुरू किया है.

जहां कुछ लोग इस बात पर तर्क-वितर्क कर रहे हैं कि पद्मावती की कहानी सच्ची है या फिर काल्पनिक, वहीं भाजपा नेता अखिलेश खंडेलवाल जैसे लोग एलान कर रहे हैं कि जो भी शख्स भंसाली को जितनी बार जूतों से पीटेगा, वो उसे उतनी ही बार दस हजार रुपए के इनाम से नवाजेंगे.

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करणी सेना इस बात से गुस्साई हुई है कि भंसाली की 'पद्मावती' में कथित रूप से पद्मावती और खिलजी के बीच प्रेम प्रसंग है- भंसाली ऐसे किसी सीन से इंकार कर चुके हैं. 30 जनवरी को भंसाली ने भरोसा दिलाया कि खिलजी और पद्मावती के बीच कोई रोमांटिक सीन नहीं फिल्माया जाएगा, जिसपर करणी सेना ने फिल्म का टाइटल बदलने और रिलीज से पहले देखने की मांग रखी.

आखिर इस गुस्से की वजह क्या है? भंसाली के सेट पर इसलिए तोड़फोड़ की गई, क्योंकि उनकी फिल्म में कथित तौर पर पद्मावती को 'इज्जत' नहीं दी गई. इसलिए हर कोई पद्मावती की इज्जत बचाने दौड़ पड़ा.

पद्मावती को बचाने की होड़  

बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कहते हैं, 'पद्मावती ने खुद की जान दे दी, लेकिन समर्पण नहीं किया.' इस समर्पण का साफ मतलब एक मुस्लिम शासक के सामने नहीं झुकने से था.

यदि जौहर की घटनाओं का इतिहास खंगालें तो ऐसा शायद ही कहीं कोई कहानी मिलती है, जहां राजपूतों की महिलाओं ने दूसरे राजपूतों की जीत के बाद जौहर किया हो.

भाजपा नेता खंडेलवाल फेसबुक पर लिखते हैं, 'वे (फिल्मकार) लोग इतिहास को गलत तरीके से तोड़-मरोड़ कर हमारा गलत चित्रण कर रहे हैं. हमलोग और खामोश नहीं रह सकते हैं. हमें जिम्मेदारी है कि इन ताकतों से निपटा जाए.' ये कौन 'वे' और कौन 'हम' हैं?

गिरिराज लिखते हैं कि पद्मावती को लेकर ऐतिहासिक तथ्यों से इसलिए छेड़छाड़ की गई, क्योंकि वह हिंदू थी. उनका सवाल है कि क्या ये फिल्मकार पैगंबर मोहम्मद पर फिल्म बना सकते हैं.

उनका कहना है, 'इस फिल्म को बनाने वालों के आदर्श औरंगजेब जैसे शख्सियत हैं. ऐसी फिल्में भारतीय संस्कृति को चोट पहुंचाती है.'

'बाजीराव मस्तानी' और 'जोधा अकबर' का भी हुआ था विरोध  

जब साल 2015 में संजय लीला भंसाली की 'बाजीराव मस्तानी' रिलीज हुई थी तो उस वक्त भी इसी तरह का विवाद खड़ा हुआ था. फिल्म में बाजीराव के साथ मस्तानी के लव सीन फिल्माने को लेकर सवाल भी उठे थे.

ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसे विरोध कहां तक भारतीय संस्कृति और इतिहास बचाने से जुड़े होते हैं.

जैसे कि हम मुगलिया सहिष्णुता का उदाहरण बनीं जोधा के बारे में क्या जानते हैं? अकबर के समकालीन अबुलफजल ने कहीं भी जोधाबाई का जिक्र अपनी किताबों में नहीं किया. सलीम की मां मरियम जमानी थी, कोई जोधाबाई नहीं.

पहली बार 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश काल में राजस्थानी किंवदंतियों में जोधाबाई का जिक्र हुआ. जब आशुतोष गोवारिकर जोधा-अकबर की शूटिंग कर रहे थे तो भी करणी सेना ने सवाल उठाए थे. उनका कहना था कि जोधा अकबर की नहीं सलीम की पत्नी थीं.

राजस्थान में इस फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया गया. जयपुर राजघराने ने भी कहा कि अकबर ने जोधा से शादी जरूर की थी, लेकिन दूसरे लोगों की तरह उनकी भी कहानी भावनाओं पर ही आधारित थी.

नामचीन लेखक सलमान रुश्दी के चर्चित उपन्यास 'एंचेंट्रेस ऑफ फ्लोरेंस' में जोधाबाई को एक चमत्कारिक चरित्र बताया गया है. वह अकबर की काल्पनिक पत्नी/दोस्त थीं. रुश्दी लिखते हैं, 'उनका (जोधाबाई) व्यक्तित्व बेहद आकर्षक था, इतना परफेक्ट कि यह असंभव लगता था. लोग उनसे डरते थे क्योंकि असंभव होने के लिए उनके आकर्षण से बचना भी असंभव था. यही वजह रही कि बादशाह उन्हें इतना प्यार करते थे.'

सती, स्त्री और इज्जत  

पद्मावती की साहस की चर्चा उड़ी हमले के बाद भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त भी हुई थी. उसका वक्त का एक ट्वीट मुझे याद आता है. इसमें कहा गया, 'आप जानते हैं कि भारत में सती प्रथा आदर्श कैसे बनी? आक्रमणकारी हमारी महिलाओं के साथ बलात्कार करते... इससे बचने के लिए वे खुद को आग लगा लेती थीं.'

पद्मावती फिल्म के कलाकार (तस्वीर फेसबुक वाल से)

यह ट्वीट उस शख्स के यकीन को पुख्ता करता है कि खिलजी से बचने के लिए पद्मावती ने ऐसा कदम उठाया होगा. वह सोच ही नहीं सकता कि पद्मावती खिलजी के धर्म या मूल को भूलकर उससे रोमांस भी कर सकती थी. जाहिर है चिंता 'ऐतिहासिक तथ्यों' को लेकर नहीं है. ये आवाजें महिलाओं के शरीर की निगरानी और उनकी इज्जत बचाने के लिए उठती रहती हैं.

वैसे भारत के ही कुछ इलाकों में औरत की 'इज्जत' को उसके शरीर और पुरूष के साथ रिश्ते से ही बंधे हैं. इस बात को भी वरीयता दी जाती है कि उस पुरुष की धर्म और जाति क्या है?

किसी महिला के एक से अधिक पुरूष के साथ रिश्ते के बारे में आप सोच भी नहीं सकते हैं. भले ही पद्मावती के पति की कई बीवियां हों. ऐसे में कोई भी औरत अपनी सुरक्षा मांगती है और करणी सेना जैसे संगठन उसके बचाव में कूद पड़ते हैं.

हम पद्मावती के बारे में सब कुछ जायसी की लेखनी से ही जानते हैं. यहां भी दावा किया गया है कि जायसी भी कहते है पद्मावती की कहानी एक रूपक शैली की कल्पना थी.

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इसके बावजूद पद्मावती चरित्र ने ऐसा रूप लिया जो जायसी की लेखनी से बड़ा होता चला गया. अब वही पद्मावती हमारे इतिहास का हिस्सा बन चुकी है.

अजीब लगता है कि कुछ लोग पूरी घटना को एक ऐसी महिला के चरित्र की इज्जत के साथ जोड़ रहे हैं जिसकी वास्तविकता पर ही सवाल है.

अगर पद्मावती हैं तो आपने इज्जत पर हमले को हिंदुओं और राजपूतों की आन-बान-शान पर हमले से ऐसे क्यों जोड़ दिया जो उसका अपना अस्तित्व कुछ रहा ही नहीं? यह सब करते हुए करणी सेना इस बात को भूल जाती है कि उनके पद्मावती के 'बचाव' में ऐतिहासिक सच्चाई की चिंता न के बराबर है- यह पद्मावती की कहानी पर नियंत्रण और इसके जरिए महिलाओं के शरीर के नियंत्रण के बारे में है.

जोधा की तरह पद्मावती भी एक काल्पनिक चरित्र है- अस्पृश्य, मृत और गैर मर्द के साथ रोमांस/रेप के खिलाफ खड़ी- ऐसी महिलाओं का सम्मान करने और सम्मान बचाने के लिए बाहुबली सामने आते रहेंगे.

उम्मीद नहीं कि आप करणी सेना को किसी बलात्कार की शिकार 'जिंदा' महिला या खुद अपना प्रेमी चुनने वाली किसी महिला को बचाते देखेंगे.

(महिलाओं की ऑनलाइन मैगजीन द लेडीज फिंगर से साभार)