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आज पद्मावत जल रही है, तब सैटनिक वर्सेस और लज्जा जल रही थी

ओवैसी आज भले ही राजपूतों से सीख लेने की बात कर रहे हों, मुसलमान भी इस तरह के काम खूब कर चुके हैं

FP Staff

मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मुसलमानों को राजपूतों से सबक लेने की नसीहत दे डाली. ओवैसी बोले कि 4 प्रतिशत राजपूत अगर संस्कृति की रक्षा के लिए लड़ सकते हैं तो 14 प्रतिशत मुस्लिम शरीयत के लिए क्यों नहीं लड़ सकते?

ओवैसी ने करणी सेना की तरह फिल्म रिलीज़ होने से पहले तय कर लिया कि फिल्म में राजपूतों की रानी का गलत चित्रण है. आगे बढ़ने से पहले असदुद्दीन ओवैसी को समझ लेना चाहिए कि देश के सारे राजपूत पद्मावत के विरोध में नहीं हैं. करणी सेना और उनसे जुड़े संगठन हैं जो संविधान और कानून को ताक पर रख कर बैठे हैं. ओवैसी को ये भी याद रखना चाहिए कि जिस रवायत और गुंडागर्दी को अपनाने की सलाह वो मुसलमानों को दे रहे हैं, वो उनसे ही आई है. ऐसा कई बार हुआ है जब मुसलमान क्रिएटिविटी पर आहत हो गए. खूब विवाद भी हुए और कई सारे तुष्टिकरण भी.


सैटैनिक वर्सेस

सलमान रश्दी की अंग्रेज़ी किताब सैटैनिक वर्सेस के चलते उनका गला काटने का फतवा जारी हुआ. लोगों ने बिना किताब पढ़े ही मान लिया कि ये इस्लाम के खिलाफ है. किताब के टाइटल का अर्थ होता है शैतान की आयतें, यही इस विवाद की जड़ है. किताब पर राजीव गांधी के समय में बैन लगा. दुनिया भर में यहां तक कि ईरान में भी किताब से बैन हटा लिया गया मगर भारत में रश्दी की ऐंट्री पर विवाद होते रहे. बैन के 27 साल बाद पी चिदंबरम ने इसको गलत ठहराया था.

अंडरस्टैंडिंग इस्लाम थ्रो हदीस

यह किताब राम स्वरूप ने लिखी थी. इस किताब पर मुस्लिम बोर्ड ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कड़ा विरोध किया. किताब पर आरोप लगा कि यह इस्लाम को गलत तरीके से दर्शा रही है. जिसके बाद प्रकाशक को जेल भी जाना पड़ा.

लज्जा और तस्लीमा नसरीन

बाबरी विध्वंस के बाद प्रकाशित तसलीमा नसरीन इस किताब में बांग्लादेश में हिन्दू-विरोधी दंगों का जिक्र है. किताब अल्पसंख्यक हिन्दुओं के साथ किये गए बर्बर व्यवहार को दिखाती है. न सिर्फ किताब बैन हुई. तस्लीमा बांग्लादेश के बाहर निर्वासित जीवन बिता रहीं हैं. आज भी भारत में उनके विरोधी कम नहीं हैं.

एमएफ हुसैन

हुसैन हिंदू देवी-देवताओं की आपत्तिजनक पेंटिंग बनाने के चलते विवादों में रहे. मगर उनसे मुसलिम कट्टरपंथियों की अदावत कम नहीं रही. अपनी फिल्म मीनाक्षी में उन्होंनें कुरान की एक आयत को गाने की तरह इस्तेमाल किया था. इसके बाद हुसैन समान रूप से दोनों तरफ के कट्टरपंथियों की आंख की किरकिरी बने रहे.

इन सबके अलावा डेनमार्क में बने एक कार्टून पर भारत में प्रदर्शन, शार्ली एब्दो जैसे हत्याकांड पर चुप्पी, ओवैसी साहब के अपने भाई का भड़काऊ बयान, ऐसे बहुत से मामले हैं जब मुस्लिम समुदाय ने ठीक वैसा ही किया है जैसा आज करणी सेना कर रही है.