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तीन तलाक पर अध्यादेश: क्रूर प्रथा का अंत कर मुस्लिम महिलाओं को साधने की कोशिश

तीन तलाक के मुद्दे पर मोदी सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला आखिरकार कर ही लिया. कैबिनेट ने तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने वाले अध्यादेश को पास कर दिया है.

Amitesh

तीन तलाक के मुद्दे पर मोदी सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला आखिरकार कर ही लिया. कैबिनेट ने तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने वाले अध्यादेश को पास कर दिया है.

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक से जुड़े अध्यादेश के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि तीन तलाक से जुड़े बिल में पहले के प्रावधानों में तीन मुद्दों पर संशोधन के साथ अध्यादेश लाया गया है.


इन तीन प्रावधानों में पहले प्रावधान के तहत पीड़ित महिला इस मामले में जब खुद अपने पति के खिलाफ शिकायत करेगी या फिर उसका कोई नजदीकी रिश्तेदार पुलिस में शिकायत करेगा तभी पुलिस आरोपी पति को गिरफ्तार करेगी. पहले किसी पड़ोसी या दूसरे व्यक्ति की शिकायत पर भी गिरफ्तारी का प्रावधान था.

अध्यादेश में किए गए दूसरे प्रावधान के तहत अगर पत्नी चाहे तो पति के साथ समझौता कर सकती है. अक्सर देखा जाता है कि कई बार गुस्से में आकर भी तीन तलाक का मामला सामने आ जाता है, लेकिन, बाद में कानून के भय से या फिर अपनी गलती का एहसास होने के बाद फिर इस तरह के मामले में पहले की तरह साथ रहने के लिए पति तैयार हो जाता है. अध्यादेश के प्रावधान के तहत अगर पत्नी चाहे तभी दोनों में समझौता हो सकता है.

अध्यादेश के तीसरे प्रावधान के तहत मजिस्ट्रेट पति की तरफ से तीन तलाक देने के मामले में उसे बेल दे सकता है. लेकिन ऐसा करने से पहले मजिस्ट्रेट को पत्नी का पक्ष सुनना होगा. यानी पत्नी का पक्ष सुनकर अगर मजिस्ट्रेट को लगता है कि जमानत दी जा सकती है तो फिर वो पति को जमानत दे सकता है.

पिछले साल दिसंबर में शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में तीन तलाक से जुडा बिल यानी मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) बिल पास हो गया था. लेकिन, उसके बाद यह बिल राज्यसभा में लटका हुआ था. लाख कोशिश के बावजूद राज्यसभा में नंबर नहीं होने के कारण सरकार इस बिल को राज्यसभा में पास नहीं करा सकी थी. लेकिन, विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार के रुख से सहमत नहीं था.

विपक्ष चाहता था कि तीन तलाक से जुड़े बिल को संसदीय समिति को भेजा जाए उसके बाद जरूरी संशोधन के बाद इस बिल को सदन के पटल पर रखा जाए. खासतौर से इस बिल में तत्काल गिरफ्तारी और सजा के प्रावधान को लेकर विपक्ष की आपत्ति थी. उनका तर्क था कि अगर पति की गिरफ्तारी हो जाएगी तो फिर गुजारा भत्ता देने के लिए कौन सामने आएगा.

हालांकि सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर तीन संशोधन के बाद इस बिल को राज्यसभा में पास कराने की कोशिश की गई, लेकिन, विपक्ष इस पर भी राजी नहीं हुआ. अब उन्हीं तीन संशोधनों के साथ सरकार ने तीन तलाक से जुडे मुद्दे पर अध्यादेश ला दिया है.

विपक्ष के तेवर के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार इस मुद्दे पर अध्यादेश ला सकती है. खासतौर से 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से देश को संबोधन के दौरान जब इसका जिक्र किया गया तो फिर उम्मीदें और बढ़ गई थीं. उन्होंने भरोसा दिलाया था कि सरकार इस मामले में तमाम बाधाओं के बावजूद गंभीर प्रयास कर रही है.

मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा ‘तीन तलाक के कारण मुस्लिम महिलाओं के साथ गंभीर अन्याय होता है. इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए हम प्रयासरत हैं. तीन तलाक की कुरीति ने हमारे देश की मुस्लिम बेटियों की जिंदगी को तबाह कर दिया है. जिनको तलाक नहीं मिला है वो भी इस दबाव में गुजारा कर रही हैं.’

अब सरकार की तरफ से इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश भी हो रही है. तीन तलाक का मुद्दा मुस्लिम महिलाओं के हक से जुडा है लिहाजा बीजेपी को लगता है कि आधी मुस्लिम आबादी की सहानुभूति उसके साथ है. बीजेपी मुस्लिम महिलाओं में अपनी पैठ बनाने की कोशिश के तौर पर भी तीन तलाक पर अध्यादेश को देख रही है.

भले ही सरकार और पार्टी की तरफ से इस मुद्दे पर राजनीति से दूर रहने की बात कही जा रही हो, लेकिन, हकीकत यही है कि लोकसभा चुनाव से पहले सरकार की तरफ से फेंका गया यह पासा विपक्ष को कठघरे में खड़ा करने वाला है. क्योंकि कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर न ही विरोध कर पा रही हैं और न ही खुलकर इस पर समर्थन ही कर पा रही हैं.

रविशंकर प्रसाद ने भी 22 मुस्लिम देशों में तीन तलाक की प्रक्रिया को प्रतिबंधित करने का जिक्र कर यह बताने की कोशिश की है कि किस तरह मुस्लिम देशों में बैन होने के बाद भी इस कुप्रथा पर भारत में राजनीतिक दल विरोध नहीं कर पा रहे हैं. कोशिश विपक्ष के ढ़ुलमुल रवैये को उजागर कर उन पर वोटबैंक पॉलिटिक्स करने का आरोप लगाने की है.

अब बीजेपी की तरफ से विपक्ष की तीन महिला नेताओं सोनिया गांधी, ममता बनर्जी और मायावती से इस मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं के हक में समर्थन मांग कर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है. बीजेपी और सरकार की तरफ से विपक्षी दलों पर दबाव बनाकर तीन तलाक बिल पर उन्हें एक्सपोज करने की है. क्योंकि चुनाव से पहले बीजेपी को तीन तलाक से जुड़े बिल का मुद्दा सूट कर रहा है.