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ऑनलाइन फ्रॉड: कई और कंपनियां हैं इस गोरखधंधे में शिकारी

एक क्लिक में पैसा कमाने का मौका देने का धंधा बहुत गहरे फैला हुआ है.

Pratima Sharma

एक क्लिक में पैसा कमाने की ललक ने लाखों लोगों को चूना लगा दिया. ऐसा करने वाली 'सोशल ट्रेड डॉट बिज' अकेली कंपनी नहीं है. इसी तरह की एक कंपनी है ऐडकैश. 'सोशल ट्रेड डॉट बिज' और 'ऐडकैश' के कारोबार का पैटर्न एक जैसा ही है.

आइए आपको बताते हैं कि कैसे ये साइट्स थोड़े से पैसे कमाने के लालच में लोगों को लाखों का चूना लगा देते हैं.


क्या है इन पोंजी स्कीम का फंडा

आपकी नजरों से कई बार ऐसे विज्ञापन गुजरें होंगे, घर बैठे लाइक करें और पैसे कमाएं. मुमकिन है कि समय की कमी के कारण आप इस स्कीम को समझ नहीं पाएं और इससे दूर रहें. लेकिन फटाफट पैसा कमाने की होड़ में लाखों लोग कैसे इन कंपनियों के झांसे में आ गए, यह हम बता रहे हैं.

पहली कोशिश

सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज में सभी चाहते हैं कि उनके फॉलोअर्स की संख्या दिन दोगुनी रात चौगुनी बढ़े. ये कंपनियां सबसे पहले किसी सेलिब्रिटी या नेता को अपना क्लाइंट्स बनाती हैं.

यहां डील ईमानदारी से होती है. इस तरह की कंपनियां इनके फॉलोअर्स बढ़ाती हैं और बदले में तय फीस लेती हैं. लेकिन असली खेल आम लोगों के साथ शुरू होता है.

क्या है असली खेल

इन सेलिब्रिटी को जोड़ने के बाद कंपनियां इनके लिंक्स को अपना मार्केटिंग हथियार बनाती हैं. लोगों के बीच इन्हीं नेता और सेलेब्रिटीज के लिंक दिखाकर कंपनियां उन्हें जोड़ने की कोशिश करती हैं. इस स्कीम के तहत लोगों को बाकायदा मेंबर बनाया जाता है.

यहीं पर शुरू होता है असली खेल. ये कंपनियां 10,000 रुपए की फीस लेती हैं बदले में अपने बिजनेस मॉडल के मुताबिक मेंबर के लिंक को बूस्ट करती हैं. मेंबरशिप के लिए क्लाइंट को अपना पैन कार्ड भी देना पड़ता है.

लेकिन परदे के पीछे एक दूसरी डील भी होती है, जिसके तहत इस तरह की कंपनियां मेंबरशिप लेने वाले कस्टमर्स से हर दिन 5 लिंक लाइक करने का सौदा करती हैं. हर लिंक को लाइक करने पर मेंबर को 5 रुपए दिया जाता है.

अगर मेंबर अपने नीचे दो नए मेंबर यानी लेफ्ट राइट जोड़ते हैं तो उन्हें मिलने वाले लिंक डबल हो जाते हैं. लिंक डबल होने का सीधा मतलब है कि बदले में मिलने वाला पैसा भी डबल हो जाता है. इसी तरह मेंबर अपने नीचे जितने नए मेंबर बनाता जाएगा उसे मिलने वाले लिंक्स बढ़ते जाएंगे.

कानून के जामे में गैरकानूनी काम

कंपनियां खुद को कानूनी रूप से सही साबित करने के लिए 10 फीसदी टीडीएस काटकर पैसे देती थी. शुरुआत में कंपनी हर दिन के हिसाब से पैसे देती थी. कंपनी के सदस्यों की संख्या लाखों में होने के कारण बैंकों ने यह सवाल उठाना शुरू कर दिया कि हर दिन इतने बड़ी तादाद में पैसे क्यों दिए जा रहे हैं.

इसके बाद कंपनियों ने हफ्ते में एकबार फिर महीने में एक बार पेमेंट करना शुरू कर दिया. हालांकि, इसके बाद भी बैंकों की तरफ से सवाल उठाए जाने पर कंपनियों ने एक रुपए के बदले प्वाइंट देना शुरू कर दिया. मेंबर्स अपनी मर्जी से जब चाहें इन प्वाइंट्स को रिडीम करा सकते थें.

पैसों की लालच में बने बेवकूफ

घर बैठे कमाई का मौका देखते हुए कई लोगों ने एक पैन कार्ड पर दो-दो, तीन-तीन आईडी बनाने लगे. इसमें उन्हें सालाना 11,000 रुपए की फीस देनी पड़ती थी, लेकिन इसके बदले उन्हें ज्यादा लिंक्स मिलते थे.

बाद में कंपनी ने थोड़ी सख्ती बरतते हुए एक पैन कार्ड पर सिर्फ एक मेंबर बनाने का काम शुरू किया. इसके बाद लोगों ने अपने घर परिवार के दूसरे सदस्यों के नाम पर आईडी बनाना शुरू किया. अगर हम 'ऐडकैश' कंपनी की बात करें तो ये करीब 6-7 लाख लोगों को जोड़ चुकी है.

ऐडकैश कंपनी का विज्ञापन व्हाट्स ऐप पर कुछ यूं चल रहा था.

कैसे बिगड़ी बात

'सोशल ट्रेड डॉट बिज' ने शुरुआत में लोगों को वादे के मुताबिक लाइक करने के लिए लिंक्स और बदले में पैसे नियमित तौर पर देती थी. इस काम में शनिवार और रविवार की छुट्टी होती थी. यानी दो दिन कोई लिंक नहीं दिया जाता था.

धीरे-धीरे सर्वर खराब होने का बहाना बनाकर 'सोशल ट्रेड डॉट बिज' हफ्ते के बीच में भी काम देना बंद कर दिया. इससे लोगों के बीच नाराजगी बढ़ने लगी.

इतना ही नहीं, नए मेंबर बनने वाले लोगों की शिकायत यह भी है कि कंपनी ने फीस लेने में फुर्ती दिखाई लेकिन आईडी बनाने में आनाकानी कर रही है.

बात इतनी भी रहती तो शायद इसका खुलासा अभी नहीं होता. मेंबर्स का धैर्य उस वक्त जवाब देने लगा जब कंपनी प्वाइंट्स रिडीम करने से मना करने लगी या आनाकानी करने लगी.

अभी 'सोशल ट्रेड डॉट बिज' की करतूतों का खुलासा हुआ है लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आने वाले हफ्तों में ऐसी दूसरी कंपनियों के नाम भी सामने आ जाए.