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‘कुछ गलत रिपोर्टिंग’ होने पर मीडिया पर मानहानि का केस न हो

अपने पहले के फैसले का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह प्रावधान भले ही संवैधानिक हो परंतु किसी घोटाले के बारे में कथित गलत रिपोर्टिग मानहानि का अपराध नहीं बनती है

Bhasha

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि प्रेस की बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी ‘पूर्ण’ होनी चाहिए और ‘कुछ गलत रिपोर्टिंग’ होने पर मीडिया को मानहानि के लिए नहीं पकड़ा जाना चाहिए.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने एक पत्रकार और मीडिया हाउस के खिलाफ मानहानि की शिकायत निरस्त करने के पटना हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए की.


पीठ ने कहा, ‘लोकतंत्र में, आपको (याचिकाकर्ता) सहनशीलता सीखनी चाहिए. किसी कथित घोटाले की रिपोर्टिंग करते समय उत्साह में कुछ गलती हो सकती है. परंतु हमें प्रेस को पूरी तरह से बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी देनी चाहिए. कुछ गलत रिपोर्टिंग हो सकती है. इसके लिए उसे मानहानि के शिकंजे में नहीं घेरना चाहिए.’

कोर्ट ने मानहानि के बारे में दण्डात्मक कानून को सही ठहराने संबंधी अपने पहले के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि यह प्रावधान भले ही संवैधानिक हो परंतु किसी घोटाले के बारे में कथित गलत रिपोर्टिग मानहानि का अपराध नहीं बनती है.

इस मामले में एक महिला ने एक खबर की गलत रिपोर्टिंग प्रसारित करने के लिए एक पत्रकार के खिलाफ निजी मानहानि की शिकायत निरस्त करने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. महिला का कहना था कि गलत रिपोर्टिग से उसका और उसके परिवार के सदस्यों की बदनामी हुई है.

यह मामला बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा बिहिया औद्योगिक क्षेत्र में इस महिला को खाद्य प्रसंस्करण इकाई लगाने के लिए भूमि आबंटन में कथित अनियमित्ताओं के बारे में अप्रैल 2010 में प्रसारित खबर को लेकर था.