view all

एक अस्पताल में एक ही दवा के 5 अलग-अलग दाम, कहीं 225 तो कहीं 1550 वसूल रही हैं दुकानें

अस्पताल कैंपस के अंदर की पांच दुकानें एक ही दवा अलग-अलग कीमत पर बेचती हैं

FP Staff

चंडीगढ़ पीजीआईएमईआर में दवा की कीमतों को लेकर एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. अस्पताल परिसर के अंदर एक ही दवा अलग-अलग केमिस्ट दुकानों में अलग-अलग रेट पर बेची जा रही है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीजीआई अस्पताल कैंपस में 225 रुपए की एक दवा पांच अलग-अलग दुकानों में 225 रुपए से लेकर 1550 रुपए तक की रेट पर बिक रही है.


ताज्जुब की बात यह है कि अस्पताल प्रशासन मनमानी कीमत वसूलने के खिलाफ न तो कोई कदम उठा रहा है न ही दवा दुकानों को कोई निर्देश दे रहा है. इनमें से दो दुकानें इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर के ठीक सामने हैं, जहां मरीजों और उनके तिमारदारों से ज्यादा पैसा वसूली की आशंका सबसे अधिक है. इन दोनों दुकानों पर लोगों को जल्दी होती है क्योंकि उनके लिए समय काफी मायने रखता है. इन्हीं दुकानों पर सबसे ज्यादा भीड़ भी होती है क्योंकि ट्रॉमा और इमरजेंसी के ठीक बाहर यहीं दुकानें पड़ती हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की टीम ने कैंपस के अंदर पांच दुकानों से चार अलग-अलग दवाएं खरीदीं जिन्हें डॉक्टरों ने लिखा था. इनकी कीमतों में बहुत बड़ी विसंगती देखने को मिली. हरेक केमिस्ट ने एक ही दवा को अलग-अलग ब्रांड नाम से बेचा जिनका कॉम्बिनेशन समान था. इन दवाओं के कॉम्बिनेशन ये हैं-मीरोपेनेम 1 ग्राम (एंटीबायोटिक इंजेक्शन), लेबीटेलोल इंजेक्शन 4 एमएल (हाई ब्लड प्रेशर की दवा), अमॉक्सीसिलिन और क्लेवुलेनेट पोटैसियम टैबलेट (एंटीबायोटिक) और एटोरवेस्टेटिन टैबलेट (कोलेस्ट्रॉल घटाने की दवा).

नेहरू इमरजेंसी के सामने की दुकान पर इन चार दवाओं की सबसे ज्यादा कीमत 1954 रुपए वसूली गई जबकि ओपीडी ब्लॉक में जन औषधि दुकान पर यही चारों दवाएं 400 रुपए में खरीदी गईं. ये दोनों दुकानें अस्पताल कैंपस के अंदर ही कुछ मीटर की दूरी पर हैं लेकिन मरीजों और उनके तीमारदारों को जानकारी न होने के कारण उनकी जेब कटती रहती है. कैंपस के अंदर की पांच दुकानें एक ही दवा अलग-अलग कीमत पर बेचती हैं यह कहकर कि दूसरे ब्रांड की दवा उनके पास नहीं है.

नेहरू इमरजेंसी के सामने सिर्फ एक प्राइवेट केमिस्ट है. यही वह दुकान है जहां चार दवाओं की अधिकतम कीमत 1954 रुपए वसूले गए. इसी इमारत में एडवांस ट्रॉमा सेंटर है जहां इमरजेंसी मरीजों के उपचार होते हैं. लोगों को जल्दी होती है कि जल्द दवा मिले तो इलाज भी जल्द शुरू हो. पीजीआई के नेहरू इमरजेंसी में हमेशा भीड़ बनी रहती है. इलाज शुरू करने से पहले डॉक्टर तीमारदारों को दवा की लिस्ट सौंपते हैं. मरीज ज्योंहि दवा खरीदने बाहर निकलते हैं उन्हें सामने यही प्राइवेट दुकान दिखती है.

इमरजेंसी के बाहर ऐसा कहीं नहीं लिखा गया है कि निजी दुकान के अलावा उस ब्लॉक में और कौन-कौन सी दुकानें हैं. टॉमा सेंटर से ठीक नीचे एक और प्राइवेट दुकान है और सबसे सस्ते रेट पर दवा बेचने वाली दुकान अमृत रिसेप्शन के बगल में है. इमरजेंसी से दूर होने के कारण मरीज अमृत स्टोर का उपयोग नहीं कर पाते क्योंकि रिसेप्शन वाले रास्ते से होकर सिर्फ अंदर के मरीज ही उठा सकते हैं.

नेहरू इमरजेंसी के सामने वाली निजी दुकान पर एम-पिनेम 1 ग्राम इंजेक्शन की कीमत 1550 रुपए ली गई, वह भी 45 प्रतिशत की छूट देने के बाद. इस दुकान पर इस इंजेक्शन का अधिकतम खुदरा मूल्य 2850 रुपए है. यहां चारों दवाओं की कीमत 3348 रुपए लगाई गई. 1394 रुपए छूट देने के बाद चारों दवाएं 1954 रुपए में मिलीं. ग्राउंड फ्लोर पर एडवांस टॉमा सेंटर के नीचे दूसरी प्राइवेट दुकान है. यहां इन चारों दवाओं की कीमत 905 रुपए वसूली गई लेकिन यहां एक्यूपिनेम 1 ग्राम इंजेक्शन की कीमत 646 रुपए बताई गई. 15 प्रतिशत छूट के बाद यह इंजेक्शन 549 रुपए में मिली.

अस्पताल के मुख्य ब्लॉक में अमृत दुकान है. इसे सरकार चलाती है. यहां चारों दवाओं की कीमत, वह भी ज्यादा मात्रा में, 638 रुपए लगाई गई. सबसे महंगी दवा मेरोपीनेम (ब्रांड मेरोप्लान) का एमआरपी 3248 रुपए था जिसे 93 प्रतिशत की छूट के साथ 221.76 रुपए में दी गई. इसमें टैक्स भी शामिल है. एक और सरकारी दुकान जनऔषधि केंद्र में इन चारों में से तीन दवाओं की कीमत 316 रुपए वसूली गई. यहां मेरोपीनेम का दाम 255.41 रुपए लिया गया.