view all

भीकाजी कामा: जब पहली बार विदेशी धरती पर फहरा था तिरंगा

भीकाजी कामा ने साल 1907 में जर्मनी के स्टुटगार्ड में इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस में भारत का झंडा फहराया था

FP Staff

किसी राज्य के लिए झंडे का क्या महत्व होता है इसे एक दंतकथा से समझा जा सकता है. तुर्क आक्रांता मुहम्मद बिन कासिम और सिंध के शासक राजा दाहिर के बीच युद्ध चल रहा था. कहा जाता है कि दाहिर के सैनिकों में ये अंधविश्वास था कि जब तक उनके राज्य में मौजूद एक बड़े मंदिर का झंडा लहराता रहेगा तब तक उनकी सेना नहीं हारेगी. कहा जाता है कि कासिम ने चाल से उस मंदिर का झंडा गिरवा दिया और दाहिर की सेना हार गई.

ये सोचने वाली बात हो सकती है कि जब भारत ब्रिटेन का गुलाम था तो उस वक्त भारतीय झंडा विदेश में लहराने का क्या महत्व हो सकता है? ये कारनामा किया था एक पारसी महिला ने जिनका नाम था भीकाजी कामा. उन्होंने साल 1907 में जर्मनी के स्टुटगार्ड में इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस में भारत का झंडा फहराया था.


ऐसा अदम्य साहस दिखलाने वाली भीकाजी कामा ब्रिटिश कालीन बॉम्बे में एक अमीर पारसी भीकाई सोराब जी पटेल के घर 24 सितंबर 1861 को पैदा हुई थीं. भीकाई पटेल उस समय के पारसी समुदाय में एक जाने-माने व्यक्ति थे. भीकाजी ने अपनी पढ़ाई एलेक्जेंड्रा नेटिव गर्ल्स इंग्लिश इंस्टीट्यूशन से की. 1885 में उनकी शादी रुस्तम कामा से कर दी गई. रुस्तम ब्रिटिश समर्थक वकील थे जो आगे चलकर नेता बनना चाहते थे. उनके विचारों की वजह से भीकाजी की उनसे नहीं पटी. वो अपना ज्यादातर समय सामाजिक कार्यों में ही दिया करती थीं.

1896 में तत्तकालीन बॉम्बे राज्य में प्लेग बीमारी ने अपना प्रकोप दिखाया. पीड़ितों की सेवा के दौरान भीकाजी खुद भी इस बीमारी की चपेट में आ गईं. उनकी तबियत बहुत ज्यादा खराब हो गई. बाद में उनके और बेहतर इलाज के लिए उन्हें ब्रिटेन भेज दिया गया. वहीं पर वो भारतीय राष्ट्रवादी श्याम जी कृष्ण वर्मा के संपर्क में आईं. उस समय श्याम जी कृष्ण वर्मा ब्रिटेन के भारतीय समुदाय में काफी मशहुर हुआ करते थे.

जब जर्मनी में फहराया भारतीय झंडा

कुछ सालों बाद भीकाजी की जिंदगी में वो क्षण भी आया जिसके लिए उन्हें आजतक याद किया जाता है. 22 अगस्त 1907 जब दुनिया भर की सोशलिस्ट पार्टियों के प्रतिनिधि स्टुटगार्ड में इकट्ठा हुए तो भीकाजी कामा ने भारत में फैले अकाल की पूरी स्थिति वहां मौजूद लोगों के सामने रखी. उन्होंने मानवाधिकारों, समानता और ब्रिटेन से आजादी की दुहाई देकर दुनिया भर के बड़े समाजवादी नेताओं के सामने भारतीय झंडा लहराया. भीकाजी कामा के इस साहस ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं.

कामा और श्याम जी कृष्ण वर्मा द्वारा डिजाइन किए गए इस झंडे को वर्तमान भारतीय झंडे की आधारशिला के तौर पर भी देखा जाता है.