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NIA की जांच: कश्मीरी अलगाववादियों से मिले उमर अब्दुल्ला और पाक उच्चायोग के अधिकारी

इस मामले में उमर अब्दुल्ला की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है

Ishfaq Naseem

कश्मीर में अशांति भड़काने में अलगाववादी नेताओं की भूमिका की जांच में लगी नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी(एनआईए) ने पूर्व मुख्यमंत्री तथा नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला तथा पाकिस्तानी दूतावास के कुछ अधिकारियों का नाम लिया है जो हुर्रियत(जी) के नेता देवीन्दर सिंह बहल से कश्मीर में मिले थे.

जांच के सिलसिले में एनआईए ने बहल का एक डिस्क्लोजर स्टेटमेंट तैयार किया है. बहल ने एनआईए को बताया था कि वह मुख्यमंत्री अब्दुल्ला से 2013 में मिला था. उस वक्त उमर अब्दुल्ला सिख और हिन्दुओं की चिन्ताओं का समाधान निकालने में नाकाम रहे और उन्हें कहा था कि वे हुर्रियत(एम) के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारुख या फिर गिलानी से मुलाकात करें. बहल को कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के एक मामले में एनआईए ने हिरासत में लिया था.


बहल जम्मू एंड कश्मीर सोशल पीस फोरम का अध्यक्ष होने के नाते हुर्रियत(जी) से जुड़ा है और इसकी कार्यकारिणी का सदस्य भी है. बहल का परिवार रजौरी में रहता है और वह गिलानी से उसके हैदरपोरा वाले निवास पर मिलने के लिए अक्सर कश्मीर जाया करता है.

एनआईए के दस्तावेज में कहा गया है कि साल 2013 में पुलवामा जिले के हिन्दुओं और सिखों का एक प्रतिनिधिमंडल एसजीपीसी के अध्यक्ष के अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कर की अगुवाई में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मिला और घाटी में हिन्दुओं तथा सिखों को आ रही परेशानियों के बारे में उन्हें बताया. तब मुख्यमंत्री ने उनसे साफ लफ्जों में कह दिया था कि ‘मैं कुछ भी नहीं कर सकता, आपलोगों को मीरवाइज या गिलानी से भेंट करनी चाहिए.’

खामोश हैं उमर

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का पक्ष जानने के लिए फर्स्टपोस्ट ने उनसे संपर्क साधने के बार-बार प्रयास किए लेकिन ये कोशिशें कामयाब नहीं हो पायीं. उनके फोन पर टेक्स्ट मैसेज भेजा गया लेकिन इसका भी जवाब नहीं मिला.

उमर अब्दुल्ला के राजनीतिक सचिव तनवीर सादिक का कहना है कि मुख्यमंत्री के पद पर रहने के दौरान संभव है कई प्रतिनिधिमंडलों से उनकी मुलाकात हुई हो. सादिक का कहना है कि बहल और उमर अब्दुल्ला के बीच हुई बैठक के बारे में इससे ज्यादा वह कुछ नहीं कह सकता.

एनआईए के प्रवक्ता आलोक मित्तल का कहना है कि जांच एजेंसी यह पता करने के लिए रिकार्डस्(अभिलेख) की जांच करेगी कि उमर अब्दुल्ला का नाम मामले में किसलिए दर्ज किया गया है. एनआईए के डिस्क्लोजर पर इंस्पेक्टर विज्ञान सिंह के दस्तखत हैं. एनआईए के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टी की है कि विज्ञान सिंह उग्रवाद से जुड़े मामलों के जांच-अधिकारी के रुप में एजेंसी से जुड़े थे.

साल 2013 के सितंबर महीने से ही बहल का गिलानी से संपर्क रहा है और उसने एनआईए को बताया था कि ढाई सालों में हुर्रियत की लगभग 20 बैठकों में उसने शिरकत की. इनमें से ज्यादातर बैठकें गिलानी के निवास पर हुईं. उसने यह भी बताया था कि इन बैठकों में स्थानीय मजदूर संगठन, होटल यूनियन, फल और परिवहन से संबंधित संघों ने शिरकत की थी.

उमर अब्दुल्ला के साथ बहल की हुई मुलाकात के अतिरिक्त एनआईए ने यह भी खुलासा किया है कि वह नई दिल्ली में अक्सर पाकिस्तान के दूतावास में जाया करता था तथा वह पाकिस्तान भी जा चुका है. डिस्क्लोजर रिपोर्ट के मुताबिक बहल ने बताया था कि “ साल 2012 के दिसंबर में मैंने पाकिस्तान के लिए टूरिस्ट वीजा की अर्जी लगायी थी. मोहम्मद जुल्फिकार पाकिस्तान के दूतावास में फर्स्ट ऑफिसर के पद पर थे और उनसे मेरी जान-पहचान थी. साल 2013 की जनवरी में मैं पाकिस्तान गया.,”

क्या कह रहा है हुर्रियत

हुर्रियत(जी) के प्रवक्ता गुलाम अहमद गुलजार का कहना है कि बहल अलगाववादी धड़े की बैठकों में भाग लिया करता था तथा इसकी कार्यकारिणी का सदस्य भी था.

अलगाववादी नेता ने एनआईए को यह भी बताया था कि हुर्रियत के नेता पाकिस्तान की संस्थाओं में एमबीबीएस तथा बीडीएस के प्रशिक्षण के लिए नौजवानों के नाम की सिफारिश करेंगे. उसने अपने खुलासे में यह भी कहा था कि वह पाकिस्तान गया था और उसने यह मसला उठाया था कि कश्मीर के मुस्लिम नेताओं को फंडिंग मिल रही है जबकि गैर-मुस्लिम नेताओं को फंडिंग से महरुम(वंचित) रखा जा रहा है.

बहरहाल, गुलजार का कहना है कि एनआईए ने जो आरोप लगाये हैं वे बेबुनियाद हैं. एनआईए के दस्तावेज में आगे कहा गया है कि हुर्रियत के तकरीबन 50 नेताओं को एक कोटा दिया गया है जिसके तहत इनमें से हर नेता पाकिस्तान में एमबीबीएस की एक सीट के लिए सिफारिश कर सकता है जबकि हुर्रियत के शीर्ष के दस नेताओं को एक से ज्यादा सीटों के लिए सिफारिश करने के अधिकार दिए गए हैं.

एनआईए के सामने अपने खुलासे में बहल ने कहा था कि पाकिस्तान के मेडिकल कॉलेजों में नामांकन के लिए सिफारिश करने के नाम पर अलगाववादी नेता 17 से 25 लाख रुपये तक की वसूली कर रहे हैं.

गुलजार का कहना है कि बहल की पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस का अहम हिस्सा बनी हुई है. बहरहाल, गुलजार ने यह भी कहा कि हमलोग मसले पर विचार करेंगे कि आखिर बहल के डिस्क्लोजर स्टेटमेंट में हुर्रियत पर धन उगाही के आरोप क्योंकर लगाये गये हैं.

अलगाववादी नेता ने यह भी बताया था कि गिलानी से जब उसने कहा कि एमबीबीएस तथा बीडीएस की कुछ सीटों के लिए नामों की सिफारिश का उसे भी हक होना चाहिए तो उसकी पार्टी को भी पाकिस्तान की संस्थाओं में एमबीबीएस तथा बीडीएस में से प्रत्येक की एक सीट पर नामों की सिफारिश के अधिकार दिए गए.

एनआईए ने अपने खुलासे में यह भी बताया है कि बहल के अतिरिक्त हुर्रियत के कुछ और नेता भी पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारियों से नजदीकी संपर्क में थे और ये नेता पत्थरबाजी जैसी बहुत भारत-विरोधी गतिविधियों को चलाये रखने के लिए हुर्रियत तथा अन्य नेताओं को फंड बांटने में लगे थे.

बहल ने यह भी बताया था कि अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान उसने कई अलगाववादी नेताओं से भेंट की. साथ ही उसने कहा था कि हुर्रियत ने पैलेटगन से घायल लोगों तथा पत्थरबाजों के नामों की सूची तथा उनकी तस्वीरें पाकिस्तान भेजी थी ताकि धन मांगा जा सके. बहल ने स्वीकार किया था कि पाकिस्तान के एक अलगाववादी नेता को उसने खुद भी ह्वाटस्एप्प पर एक सूची भेजी थी. पाकिस्तान भेजी गई सूचियों के बारे में उसने कहा था कि इनमें से प्रत्येक में 20 से लेकर 100 पीड़ितों के नाम दर्ज थे.