राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (ओबीसी) को गुरुवार को संवैधानिक दर्जा मिल गया. इससे जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक गुरुवार को लोकसभा में दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ पारित कर दिया गया.
लोकसभा में मतविभाजन (वोट डिविजन) के दौरान विधेयक के पक्ष में 406 सदस्यों ने वोट दिया. विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा. सरकार के संशोधनों को भी सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया.
लोकसभा में करीब पांच घंटे तक चली चर्चा के दौरान 32 सदस्यों ने हिस्सा लिया। विधेयक के पारित होते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में मौजूद थे. इससे पहले बीजू जनता दल (बीजेडी) के भर्तृहरि महताब की ओर से पेश संशोधन को सदन ने 84 के मुकाबले 302 मतों से नकार दिया.
ये होंगे बड़े बदलाव
संविधान में अब सामाजिक और शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग नाम का एक नया आयोग होगा. आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे. इस प्रकार नियुक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा शर्तें और कार्यकाल ऐसे होंगे जो राष्ट्रपति नियम से तय होंगे.
आयोग को अपनी खुद की प्रक्रिया बनाने की शक्ति होगी. आयोग को पिछड़े वर्गों के सुरक्षा उपाय से जुड़े मामलों की जांच और निगरानी का अधिकार होगा. इसके अलावा आयोग पिछड़े वर्गों के सामाजिक और आर्थिक विकास में भाग लेगा और सलाह देगा.
केंद्र और हरेक राज्य सरकार पिछड़े वर्गों को प्रभावित करने वाले मामलों पर आयोग से परामर्श करेगी.
केंद्र सरकार ने मार्च 2017 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को भंग कर दिया था. इसके बाद राष्ट्रीय आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीएसईबीसी) के गठन को मंजूरी दी गई थी. नया आयोग सिविल कोर्ट की शक्तियों से लैस होगा. इस शक्ति से वह आरोपी को समन कर सकता है. सजा भी दे सकता है. जैसा कि राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग करता है.