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NRC के लिए जिस शख्स ने सर्वे किया, लिस्ट में उसी का नाम गायब

मोइनुल हक असम में अकेले शख्स नहीं हैं जिनका नाम गायब है. आर्मी के एक जवान, सीआईएसएफ के एक कांस्टेबल, एक राजपत्रित अधिकारी और असम पुलिस के स्पेशल ब्रांच के एक एएसआई के भी ऐसे ही आरोप हैं

FP Staff

असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) मामले में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. मोइनुल हक नाम का एक शख्स जो एनआरसी के काम में फील्ड लेवल ऑफिशर के तौर पर लगा था, उसका नाम मसौदे की लिस्ट से गायब है. उदलगुड़ी जिले के इस 47 साल के सरकारी टीचर का नाम उन 40 लाख लोगों में शामिल है जिनका नाम मसौदे में दर्ज नहीं है.

हक का नाम उन 55 हजार सरकारी और ठेका कर्मचारियों में शामिल है जिन्हें एनआरसी के काम में लगाया गया था. लिस्ट में अपना नाम न पाकर हक ने कहा, इसके बारे में मैं अपने सीनियर अधिकारियों से बात करुंगा. मुझे उम्मीद है कि कोई न कोई रास्ता जरूर निकल आएगा क्योंकि हमलोग सच्चे भारतीय हैं.


इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोइनुल हक असम में अकेले शख्स नहीं हैं जिनका नाम गायब है. आर्मी के एक जवान, सीआईएसएफ के एक कांस्टेबल, एक राजपत्रित अधिकारी और असम पुलिस के स्पेशल ब्रांच के एक एएसआई के भी ऐसे ही आरोप हैं. एएसआई के बारे में चौंकाने वाली जानकारी यह मिली है कि वे पूर्व में मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की सुरक्षा में रह चुके हैं और मौजूदा मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की सुरक्षा टीम में भी सेवा दे चुके हैं.

हक का यह भी आरोप है कि उनके परिवार के 11 लोगों के नाम भी मसौदे में नहीं हैं. इन 11 लोगों में उनके चार भाई, चार बहन और मां-बाप हैं. हक ने कहा, पिछले तीन साल से मैं स्कूल कम ही जाता था क्योंकि मैं एनआरसी के काम में व्यस्त था.

मोइनुल हक की तरह 29 साल के सिपाही इनामुल हक भी हैं जिनका नाम लिस्ट में नहीं है. आर्मी के जवान इनामुल फिलहाल रूढ़की में पदस्थापित हैं. लिस्ट में हालांकि इनामुल के परिजनों के नाम हैं जिनमें उनके मां-बाप और भाई-बहन शामिल हैं.

इनामुल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, मैं फौजी हूं फिर भारतीय नागरिक क्यों नहीं हो सकता. एनआरसी को मैंने वही जानकारी दी है जो मेरे परिजनों ने भी दी. फिर उनका नाम है जबकि मेरा नाम गायब है.