महाराष्ट्र सरकार द्वारा शुरू किए गए एक अभियान के तहत चार नवबंर को राज्य के चैरिटेबल अस्पताल फुटपाथ पर जीवन बसर करने वाले लोगों और झुग्गी बस्तियों में गंदगी के बीच रहने वाले गरीब लोगों के घर-घर जाकर उनकी सेहत की जांच और उपचार करेंगे.
एक अधिकारी ने बताया कि ‘गरीब मरीजों के द्वार, चैरिटेबल अस्पताल’ नामक मुहिम को गरीब मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है.
राज्य चैरिटी आयुक्त कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘राज्य चैरिटी आयुक्त शिवकुमार डीगे द्वारा शुरू मुहिम के तहत अस्पताल में उपचार की आवश्यकता वाले मरीजों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा. डीगे का आंकलन है कि गरीब लोग चिकित्सकीय सुविधाओं से वंचित रहते हैं.’
अधिकारी ने कहा कि यह मुहिम उन तमाम शिकायतों के संदर्भ में भी है जिनमें आरोप लगते रहे हैं कि ये अस्पताल हाईकोर्ट के निर्देशानुसार गरीबों एवं वंचित तबके के मरीजों के लिए निर्धारित सभी 20 प्रतिशत बिस्तरों को उनके लिए आरक्षित नहीं करते.
संपर्क करने पर डीगे ने कहा कि अस्पतालों के साथ हुई उनकी पहली बैठक में सभी चैरिटेबल अस्पताल इस मुहिम को लागू करने के लिये तुरंत सहमत हो गये. मुहिम को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिये अभी दो और बैठकें होंगी.