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डीएलएफ अब तैयार फ्लैट्स ही बेचेगी ताकि ग्राहकों को तसल्ली रहे

अभी डीएलएफ ने लगभग 13,500 करोड़ रुपये के घर पूरे कर लिए हैं, जिसे आने वाले 5-6 सालों में बेचा जाएगा. वहीं डीएलएफ ने जीआईसी के साथ मिलकर सेंट्रल दिल्ली में अपनी 7 मिलियन स्क्वायर फुट आवास परियोजनाओं के पहले चरण में निर्माण शुरू कर दिया है.

FP Staff

रियल एस्टेट मार्केट का एक बड़ा नाम है डीएलएफ. डीएलएफ ने अब अपने बिजनेस मॉड्यूल को बदलने का फैसला किया है. इसके तहत अब डीएलएफ कोई भी अपार्टमेंट तभी बेचेगी जब परियोजना को पूरा करने के बाद उसे अधिग्रहण प्रमाणपत्र मिल जाएगा. ये कदम इसलिए उठाया गया है ताकि खरीददारों को फ्लैट की लागत और उसकी डिलीवरी की समयसीमा के बारे में किसी भी तरह की कोई आशंका न रहे. यह निर्णय बहुत अहम है. क्योंकि आज के समय में भारत का रियल एस्टेट बाजार खासकर दिल्ली-एनसीआर के मार्केट में परियोजनाओं के निष्पादन में भारी देरी हो रही है. इससे घर के खरीददार विरोध करने और अदालत की शरण में जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

जेपी समूह, अम्रपाली, यूनिटेक और द 3सी जैसी डेवलपर्स कंपनियों की विभिन्न परियोजनाओं में लाखों घर खरीददारों के पैसे फंस गए हैं.


इंडियन एक्सप्रेस के खबर के अनुसार कंपनी के नए बिजनेस मॉडल के बारे में बताते हुए डीएलएफ के समूह सीएफओ सौरभ चावला ने कहा कि 'कंपनी अब से सिर्फ पूरे हो गए फ्लैट ही बेचेगी. ग्राहक अब जोखिम लेने के मूड में नहीं हैं और वे अपार्टमेंट में अब रेडी टू मूव घर लेना पसंद करते हैं.'

अभी डीएलएफ ने लगभग 13,500 करोड़ रुपये के घर पूरे कर लिए हैं, जिसे आने वाले 5-6 सालों में बेचा जाएगा. कंपनी तैयार हो गए उत्पाद की ताजा सूची बनाना जारी रखेगी. डीएलएफ ने जीआईसी के साथ मिलकर सेंट्रल दिल्ली में अपनी 7 मिलियन स्क्वायर फुट आवास परियोजनाओं के पहले चरण में निर्माण शुरू कर दिया है. चावला ने कहा, 'प्रोजेक्ट के पूरा होने और इसकी ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट मिलने के बाद हम इसे बिक्री के लिए खोलेंगे.'

डीएलएफ ने बताया कि 'रेरा और इंडस्ट्रीज़ एएस 115 दोनों ही इस व्यापार मॉडल का समर्थन करते हैं.' और टैक्स के स्तर पर देखें तो पूरे हो गए यूनिट्स पर कोई जीएसटी नहीं लगता जबकि निर्माणाधीन फ्लैटों के लिए प्रभावी जीएसटी दर 12 प्रतिशत है. नए व्यापार मॉडल के रूप में, डीएलएफ खुदरा ग्राहकों को अपने आवासीय उत्पाद बेचेगा. वहीं कॉमर्शियल प्रॉपर्टी को या तो खुदरा ग्राहकों (बी 2 सी) या फिर डीएलएफ साइबर सिटी डेवलपर्स लिमिटेड (डीसीसीडीएल), वैश्विक निवेश फर्म जीआईसी के साथ जेवी फर्म को इंवेसटमेंट प्रॉपर्टी (बी 2 बी) के रूप में बेचा जाएगा.