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अब नासिक जिला अस्पताल में एक महीने में 55 बच्चों की मौत

इस्तीफे की मांग पर स्वास्थ्य मंत्री दीपक ने कहा की विपक्ष का काम ही है इस्तीफा मांगना

FP Staff

पहले गोरखपुर, फिर फर्रुखाबाद और अब महाराष्ट्र का नासिक. जिला अस्पताल मानो नवजात बच्चों की कब्रगाह बनते जा रहे हैं.

महाराष्ट्र के नासिक जिले के जिला अस्पताल में अभिभावक अपने नवजात बच्चों को ठीक हो जाने की उम्मीद में इलाज के लिए लाते हैं. लेकिन उन्हें जिंदा वापस नहीं ले जा पाते. ये हम नहीं बल्कि वो आंकड़े कह रहे हैं जो हाल ही में खुद सरकार द्वारा जारी किए गए हैं.


अगस्त महीने में 350 नवजात बच्चों को इलाज के लिए यहां भर्ती कराया गया था लेकिन इनमें से 55 बच्चों की मौत हो गई. सिर्फ यही नहीं, बल्कि पिछले 5 महीनों में कुल 187 बच्चों की मौत हो चुकी है. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर सहित अन्य जरूरी चिकित्सा सामान नहीं होने की वजह से बच्चों की सांसे रुक जा रही हैं.

इस मामले का खुलासा करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता एजाज पठान का आरोप है कि नासिक के जिला अस्पताल में छोटे बच्चों के लिए जो वेंटिलेटर मशीन चाहिए वो एक भी नहीं है. कुपोषित इलाकों से जो बच्चे आते हैं, उनकी व्यवस्था नासिक शहर में कहीं नहीं होती.

वहीं विपक्ष बच्चों की मौत पर मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग पर अड़ गया है. कांग्रेस प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा कि करोड़ों रुपए अपने प्रचार पर मोदी सरकार खर्च करती है. लेकिन बच्चों को बुनियादी चिकित्सा सुविधा नहीं मुहैया करा रहे हैं. वहीं एनसीपी नेता जयंत पाटिल ने कहा कि इन बच्चों की मौत के लिए बीजेपी सरकार जिम्मेदार है और स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए.

सरकार का दावा

वहीं बच्चों की मौत के मामले में अस्पताल से लेकर सरकार तक दावा कर रही है कि जिन बच्चों की मौत हुई है, वो पहले से ही काफी कमजोर थे और उन्हें दूसरे अस्पताल से यहां लाया गया था. अस्पताल में चिकित्सा के पर्याप्त साधन होने का दावा भी सरकार कर रही है. नासिक जिला अस्पताल के सर्जन डॉ.विनोद जगदाले के कहा कि, बच्चे कमजोर अवस्था में यहां लाए गए थे हमने बचाने की कोशिश की.

वहीं इस्तीफे की मांग पर स्वास्थ्य मंत्री दीपक ने कहा की विपक्ष का काम है इस्तीफा मांगने का, लेकिन सरकार स्वास्थ्य विभाग में बहुत अच्छा काम कर रही है.

सरकार चाहे अब लाख दावे कर ले लेकिन जिन माताओं की कोख उजड़ी है, वो वापस नहीं आ सकती. चिंता की बात ये है कि, इस अस्पताल में अब भी 52 बच्चे भर्ती हैं जिनमें से कुछ की हालत नाजुक है. इन मौतों को रोकने के लिए सरकार ने फौरन उपाय करने को कहा है.

(साभार: न्यूज़18)