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पीएम मोदी की 'चाची' को सही जानकारी न देने पर 2 अधिकारियों को जारी हुआ नोटिस

पीएम को अपना रिश्तेदार बताने वाली महिला एक सरकारी डिस्पेंसरी के किराए के नवीकरण के लिये दफ्तरों के चक्कर काट रही है

Bhasha

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना रिश्तेदार बताने वाली 90 साल की एक विधवा महिला को सही जानकारी न देने पर सीआईसी ने केंद्रीय श्रम मंत्रालय के दो अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. महिला अपने परिसर में चल रही एक सरकारी डिस्पेंसरी के किराए के नवीकरण के लिये दफ्तरों के चक्कर काट रही थी.

सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर में रहने वाली दहीबेन नरोत्तमदास मोदी को पूरी सूचना नहीं देने पर दो अधिकारियों को आड़े हाथों लिया. केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष दी गई अपनी याचिका में उन्होंने दावा किया कि मंत्रालय 1998 से उन्हें किराए के तौर पर 1500 रूपए दे रहा है और उसके बाद से किराए की लीज में कोई बदलाव नहीं किया गया.


उनकी ओर से पेश की गई जानकारी के मुताबिक वडनगर में उनकी इमारत को मंत्रालय द्वारा 1983 में बीड़ी मजदूरों के लिए डिस्पेंसरी खोलने के लिये 600 रूपए मासिक किराए पर लीज पर लिया गया. इस लीज का हर पांच साल पर नवीकरण किया जाना था.

उन्होंने कहा कि इस लीज को 1998 में नवीनीकृत किया गया और किराया 1,500 रूपये कर दिया गया लेकिन इसके बाद इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि मौजूदा बाजार दर 15,000 के बजाए उन्हें अब भी 1,500 रूपए प्रतिमाह ही किराया दिया जा रहा है.

दहीबेन ने एक आरटीआई याचिका पिछले साल दायर की थी जिसमें उन्होंने लीज के नवीकरण से जुड़े कई सवालों के साथ ही यह भी पूछा था कि क्या विभाग उस समय के दौरान के बकाए का भुगतान करेगा जिस दौरान प्रत्येक पांच साल पर उनकी लीज नवीनीकृत नहीं की गई.

सही जवाब नहीं मिलने पर किया था पीएम की चाची होने का दावा

दहीबेन की आरटीआई याचिका के जवाब में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) और सहायक कल्याण आयुक्त टी.बी.मोइत्रा के जवाब से असंतुष्ट महिला ने उनके वरिष्ठ एस एस भोपले के समक्ष पहली अपील दायर करते हुए दावा किया था कि वह प्रधानमंत्री मोदी की असली रिश्तेदार हैं और अगर न्याय नहीं मिला तो वह मामले की शिकायत प्रधानमंत्री से करेंगी.

पहली अपील नहीं सुने जाने का दावा करते हुए महिला ने सीआईसी के सामने एक दूसरी अपील दायर की. इस मामले पर आचार्युलू ने 21 जून 2018 को सुनवाई की. सूचना आयुक्त ने पाया कि पूरी सूचना नहीं पाने का उनका दावा सही लगता है.

उन्होंने कहा, वह किराये को प्रति माह बढ़ाकर 10,000 किए जाने की मांग कर रही थीं. अधिकारी पूरी समस्या से वाकिफ थे. दूसरी याचिका में महिला के प्रतिनिधियों ने उनकी बात रखी क्योंकि वह पीडब्ल्यूडी दफ्तर या कल्याण आयुक्त कार्यालय नहीं जा सकतीं या दस्तावेजीकरण के हर चरण में घूस नहीं दे सकतीं.

आचार्युलू ने कहा, उन्होंने प्रधानमंत्री की रिश्तेदार होने का दावा किया है लेकिन उन्होंने इसका इस्तेमाल प्राधिकारियों को प्रभावित करने के लिए नहीं किया. सूचना आयुक्त ने कहा उन्होंने इस बात का जिक्र तब किया जब उन्हें कोई सही जवाब नहीं मिला. उन्होंने पहली याचिका में खुलासा किया कि वह प्रधानमंत्री की ‘‘ चाची हैं.

उन्होंने कहा, अधिकारियों ने सामान्य तौर पर पूरे पत्र की अनदेखी की और कुछ दस्तावेजों की मांग करते रहे और कुछ दस्तावेज गुजरात लोकनिर्माण विभाग द्वारा दिए गए थे. उनकी पहली याचिका पर कोई जवाब नहीं दिया गया. गुणदोष के आधार पर न तो उनकी सुनवाई हुई और न ही उनकी अपील पर कोई प्रतिक्रिया दी गई.

आचार्युलू ने मोईत्रा और भोपले से जवाब मांगा कि दहीबेन को पूरी जानकारी न देने पर क्यों न उनपर जुर्माना लगाया जाए. उन्होंने गुजरात लोक निर्माण विभाग के सचिव को भी उन सभी दस्तावेजों की प्रति लोक प्राधिकारों को उपलब्ध कराने को कहा है जो किराये की दर के निर्धारण के लिए जरूरी है. याचिकाकर्ता को भी इसकी एक प्रति देने को कहा गया है.