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खाली एटीएम और लंबी लाइनों से महीनेभर नहीं मिलेगी राहत

रोजमर्रा की जरुरतें पूरी करने के लिए आम आदमी खुले पैसों की समस्या से जूझ रहा है.

IANS

नोटबंदी के एलान के साथ ही रोजमर्रा की जरुरतें पूरी करने के लिये आम आदमी खुले पैसों की समस्या से जूझ रहा है. लेकिन इन तकलीफों के दूर होने में अभी एक महीने का समय लग सकता है. जारी किये गए नए नोटों के लिए देशभर के दो लाख एटीएम मशीनों को रीसेट करना होगा.

शनिवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी इसे माना और कहा कि देशभर की एटीएम मशीनों को पूरी तरह काम करने में दो से तीन सप्ताह का समय लग सकता है. देशभर के एटीएम मशीनों को पहले नए नोटों के वजन, रूपाकार, डिजाइन और सुरक्षा मानकों के अनुरूप ढालना होगा. इतना ही नहीं सरकार ने 500 रुपये के नए नोट लाने के लिए कह तो दिया है, लेकिन अभी उन्हें जारी तक नहीं किया गया है. इन सारी प्रक्रियाओं से गुजरते हुए देशभर के एटीएम मशीनों को पूरी तरह संचालित होने में एक महीने से अधिक समय लग सकता है.


दरअसल एटीएम मशीनें और उनमें नकदी रखने वाली ट्रे अब तक 100 रुपये और पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों के साइज के हिसाब से बनी थी. जबकि नए 500 और 2000 रुपये के नोट पुराने नोटों के आकार-प्रकार से एकदम अलग है. इसलिये एटीएम मशीनों की ट्रे को उनके मुताबिक बनाना होगा. साथ ही एटीएम मशीनों के सॉफ्टवेयर में भी बदलाव करना होगा.

जेटली ने शनिवार को कहा, "वित्त मंत्रालय नकदी बदलने की प्रक्रिया पर लगातार नजर रखे हुए है." जिससे उन्होंने पुराने नोटों को हटाकर नए नोट लाने की प्रक्रिया में लगने वाली देरी की ओर ही संकेत दिया है.

जब उनसे पूछा गया कि सरकार ने पहले से एटीएम मशीनों में ये बदलाव क्यों नहीं किए तो जेटली ने कहा कि इससे सरकार के कदम की 'गोपनीयता' खत्म हो जाती.

सीएमएस के उपाध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव कौल ने आईएएनएस को ईमेल के जरिए बताया कि सरकार की घोषणा के बाद तत्काल कदम एटीएम मशीनों से पुराने नोटों को हटाना होना चाहिए.

फिर एटीएम मशीनों को नए नोटों से भरना दूसरा कदम होगा.

कौल ने कहा, "लेकिन इससे पहले सुनिश्चित करना होगा कि हर एटीएम मशीन नए नोटों को स्वीकार करे और कम कीमत वाली नोटों से एटीएम मशीनों को बार-बार भरना होगा."

यही असली चुनौती है. क्योंकि सभी एटीएम मशीनों की ट्रे बदलनी होंगी. नए नोट भरने से पहले एटीएम मशीनों का परीक्षण भी करना होगा.

कौल ने बताया, "हमारा मानना है कि देशभर की एटीएम मशीनों में ये सारे बदलाव करने में दो से चार सप्ताह लग जाएंगे।"

बैंककर्मियों के मुताबिक किसी भी एटीएम मशीन को रीकन्फिगर करने के लिए एक तकनीशियन को खुद एटीएम मशीन जाना होगा. किसी एक मशीन को रिकन्फिगर करने में चार घंटे का समय लग सकता है.

इसका मतलब है कि देश भर की एटीएम मशीनों को रिकन्फीगर करने में आठ लाख घंटे लगेंगे.

अगर एक तकनीशियन एक दिन में दो एटीएम मशीनों को रिकन्फिगर कर पाता है तो देश भर की एटीएम मशीनों को 30 दिन में रीकन्फीगर करने के लिए ऐसे 4,000 तकनीशियनों की जरूरत पड़ेगी. इतनी बड़ी संख्या में तकनीशियनों को इकट्ठा करना भी चुनौती ही है.

अगर इस पूरी प्रक्रिया में स्वाभाविक विलंब और गड़बड़ियों को शामिल किया जाए तो इसका मतलब है कि बैंक और एटीएम मशीनों के बाहर लगी लंबी कतारें जल्द छोटी नहीं होने वालीं.