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पाकिस्तान ने कश्मीर ही नहीं, भारत के आम पर भी दावा ठोंका

पाकिस्तान ने इस आम की प्रजाति के ऊपर अपने देश में एक डाक टिकट भी जारी किया

Faisal Fareed

भारत और पाकिस्तान के बीच झगड़ों का अंत नहीं है. दोनों देशों के बीच आदमियों, जमीन, हवा, पानी लगभग हर चीज पर विवाद है. लेकिन क्या आपको पता है कि पाकिस्तान ने कश्मीर ही नहीं भारत में आमों के सिरमौर रटौल आम को भी हथिया लेने का अभियान छेड़ रखा है.

इस आम की वेरायटी ने पहली बार दोनों देशो के बीच मैंगो डिप्लोमेसी की शुरुआत की जब पाकिस्तान के तत्कालीन शासक जनरल जिया उल हक ने भारत में इंदिरा गांधी और तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी को इस आम की पेटी भेजी और इसको अपने देश का सबसे बढ़िया आम बताया.


पाकिस्तान ने इस आम की प्रजाति के ऊपर अपने देश में एक डाक टिकट भी जारी किया. जबकि भारत ने इसका विरोध किया.

लंदन की मैंगो प्रदर्शनी में रटौल आम

बात है पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाए जाने वाले रटौल आम की प्रजाति की. उत्तर प्रदेश के बागपत में एक गांव है रटौल. ये जगह मैंगो बेल्ट के रूप में जानी जाती है. आजादी से पहले इसी गांव के एक निवासी अनवारुल हक ने आम की एक नई प्रजाति विकसित की जो काफी फलदार हुई. गांव के नाम पर इसका नाम रटौल रख दिया गया.

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रटौल आम धीरे-धीरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी लोकप्रिय हो गया. अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उर्दू अकादमी के डायरेक्टर डॉ. राहत अबरार जो खुद रटौल के हैं और इनके पूर्वजो ने ये नई प्रजाति विकसित करी थी.

बताते हैं: 'रटौल आम हम लोगो की बाग में विकसित हुआ. सन् 1936 में नवाब अहमद सईद खान ऑफ छतारी एस्टेट इस आम को लंदन में मैंगो प्रदर्शनी में भी ले गए. जहां पर इसे बेस्ट मैंगो ऑफ द वर्ल्ड का खिताब दिया गया.'

फिर 1947 में भारत के विभाजन के बाद अनवारुल हक के बेटे अबरारुल हक पाकिस्तान चले गए और अपने साथ रटौल आम के कुछ पौधे भी ले गए.

राहत अबरार ने बताया 'अबरारुल हक जो हमारे रिश्ते में ताया लगते थे वो मुल्तान के बहावलपुर एरिया में बस गए और रटौल आम के पौधे लगाए. जो वहां बहुत कामयाब हुए. उन्होंने इसका नाम अपने पिता की याद में अनवर रटौल रख दिया. आज ये आम पूरे पाकिस्तान में मशहूर हैं.'

आम को भारत में वो प्रसिद्धी नहीं मिल पाई जो मिलनी चाहिए थी

आज पाकिस्तान इस आम को विदेशों में अनवर रटौल के नाम से भेजता है. एक डाक टिकट भी इस आम पर जारी किया है.

अबरार ने बताया 'जब इंदिरा गांधी को जनरल ज़िया उल हक ने रटौल आम भेजा तब हमने उनको बताया था कि ये आम भारत की ही प्रजाति है. ये बात सच है भारत में इस आम को वो प्रसिद्धि नहीं मिल पाई जो मिलनी चाहिए. लेकिन इस बात से हम इस पर अपना दावा नहीं छोड़ सकते.'

रटौल आम में बहुत खुशबू होती है

आज भी रटौल आम का मदर प्लांट रटौल, बागपत में हैं. ये आम अब पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैल गया है. इसके कुछ पेड़ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी लगे है.

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रटौल आम की खासियत ये है कि इसमें खुशबू बहुत होती हैं. दो आम भी पूरे कमरे को महका देते हैं. अबरार के अनुसार ये आम बहुत मीठा, छिलका बहुत महीन और हलकी गाजर के स्वाद वाला होता है.

अबरार ने कहा 'हम आज भी इस कोशिश में हैं और भारत सरकार से ये मांग करते हैं कि ये भारत ये मुद्दा भी उठाए. रटौल आम को एक्सपोर्ट करे. दूसरे देशों में जहां पाकिस्तान इस आम को अपना बता कर भेज रहा है वहां ये बात पहुंचे कि असली रटौल आम भारत में होता है. हम क्यों अपना इतना मशहूर आम पाकिस्तान के हवाले करे दें.'