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सरकार की एडवाइजरी से असहमत अठावले, कहा 'दलित' अपमान का शब्द नहीं

अठावले ने कहा, 'ये शब्द सिर्फ अनुसूचित जाति के बारे में नहीं है, 'दलित' में ऐसे लोग भी शामिल हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं'

FP Staff

हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने न्यूज चैनलों को एक एडवाइजरी जारी करते हुए 'दलित' शब्द इस्तेमाल करने से बचने का आग्रह किया है. इसके चंद दिनों बाद ही केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री रामदास अठावले ने केंद्र सरकार के इस निर्णय पर असहमति जताई है. उन्होंने कहा कि दलित शब्द इस्तेमाल करने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.

न्यूज़ 18 से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'हमने दलित पैंथर्स आंदोलन शुरू किया और हमने जो शब्द इसके लिए इस्तेमाल किया वो 'दलित' ही था. ये सिर्फ अनुसूचित जाति के बारे में नहीं है. 'दलित' में ऐसे लोग भी शामिल हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं.'


दलित पैंथर्स एक कट्टरपंथी सामाजिक संगठन है जिसने जाति भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी. इसकी स्थापना महाराष्ट्र में 29 मई, 1972 को नामदेव ढसाल और जेवी पवार ने की थी. दलित पैंथर्स ब्लैक पैंथर पार्टी से प्रेरित थे. ब्लैक पैंथर एक समाजवादी आंदोलन था जो अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकियों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव के लिए लड़ता था.

सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दिया हवाला

दरअसल सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एडवाइजरी में बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच का हवाला देते हुए ये एडवाइजरी जारी की है. इसी के साथ मंत्रालय ने मीडिया से कहा है कि वो ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल करने से परहेज करे. इसके बजाय उसने संवैधानिक शब्द ‘अनुसूचित जाति’ का इस्तेमाल करने की सलाह दी है.

इस पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, 'हाई कोर्ट का कहना है कि ये गलत है और हम अदालत के फैसले का समर्थन नहीं कर रहे हैं. लेकिन मेरे विचार से 'दलित' शब्द की पहचान है, ये अपमान का शब्द नहीं है.'

एक और बीजेपी नेता उदित राज का मानना है कि 'दलित' एक ऐसा शब्द है जिससे सामाज और राजनीति दोनों जुड़ा है. उन्होंने कहा 'इसका बोलचाल की भाषा में काफी इस्तेमाल होता है. हम 'दलित' शब्द का उपयोग करते हैं और इसे छोड़ दिया जाना चाहिए. ये शब्द दलितों को उनकी स्थिति के बारे में याद दिलाता है, और उन्हें लड़ने के लिए प्रेरित करता है.'

(साभार न्यूज18)